सब कहा खो गए ?

सब कहा खो गए ?
कल की ही बात है
यहाँ एक खेत था
एक खलियान,
कच्चा घर और कुआँ था
गोरैया का एक घोसला था
नीम के उस पेड़ में
और आज,
आज न जाने
सब कहा खो गए ?

सुबह - सुबह ही देखा
बहु मंजिल मकान था
हजारो इमारतो के झुंड में,
दिन में 'दिन' तो दिखा
मगर रोशनी में अपना नहीं था कोई
आसमान पर परिंदा न था
मेहंदी की झाड़ियों में रंग न था,
शाम को जब घर गया
ख़ामोशी से डरा खामोश घर
इंतजार में था...
खिड़की खोली तो
छत नदारद थी
तारे तो थे असमान पर
मगर खोये थे कही अंजान रोशनी में...
कल ही की बात है
न जाने...
सब कहा खो गए ?
#YugalVani

आंगन के कोने में पड़ी “खामोश” कुर्सी...

आंगन के कोने में पड़ी खामोश कुर्सी...
एक शख्स हर शाम
थक हार कर यहाँ बैठ जाता था 
मिट्टी से सने पांवो को धोकर
अपनी धोती को सवारकर
सुपाड़ी कत्था और पान बड़े चाँव से खता था
इसी आँगन में पड़ी उस कोने की कुर्सी में !

कभी एकदम शांत होकर अख़बार पढता
कभी संगतियो के चेहरो की चमक,
एक शोर तो था मगर बड़ा खामोश सा
एक चहल पहल थी,
कोई अपना लगता था ‘अपना’
जो कभी डाटता था,  चिल्लाता था,  सुनाता था
मगर कुछ भी करो हमेशा ‘अपनाता’ था
इसी आँगन में पड़ी उस कोने की कुर्सी से !

दिन गुजरते गए और कुर्सी ‘खिजती’ गयी,
शोर - शांत होता गया और चिल्लाना - खामोश
सुना था बड़ा लम्बा सफ़र है जिंदगी का 'युगल'
मगर अभी तो जिदगी का अंकुर'ण ही हुआ था
और कुर्सी का बुढ़ापा आ गया,
जो कोने में सिमट गया
बुढ़ापे के ‘वाणी’ की मृत ख़ामोशी.
जो सफ़ेद चादर में सिमट गयी...
अब बस चार दीवारे और एक आँगन है
एक छत के नीचे,
कोने में पड़ी एक अकेली कुर्सी के साथ..."खामोश" ..."खामोश" 

#YugalVani


जंग... जारी है सबकी

जंग,
जारी है सबकी
किसी की जिंदगी से तो
किसी की शर्मिंदगी  से
किसी की खुद से तो
किसी की खुदा से
किसी की जबाब से तो
किसी की सवाल से
मगर जंग
जंग जारी है सबकी
युवा की, विधवा की
साधू की, साध्वी की,
मालिक की, नाबालिक की
पिता की, पति की
सबकी
जंग जारी है सबकी
कभी कुरान से, तो  कभी इमाम से,
कभी भगवान से तो कभी शैतान से
कभी मेंहमान से, तो कभी मेजमान से,
सबसे
जंग जारी है सबकी...
हौसलों की सांसो है
हिम्मत का एहसास है
जिंदगी का सपना है
खुशियों का महकना है
बस यही सब अपना है
इसीलिए
जंग जारी है सबकी...
कुछ जीत जाते है
कुछ हार जाते है
मगर
जिंदगी की इस जंग का
'युगल' अब भी
हारा नहीं, मिटा नहीं
बस थक गया है...
विजय रूपी अंकुर'ण के लिए
जारी है सबकी...
#YugalVani 

लोकतंत्र

“लोकतंत्र” 
जब जब सोया,
क्या गजब सोया,
नेता को सुलाया,
जनता को रुलाया..
लफ्जो के खेल में सबको खिलाया
कभी जुमलो से
तो कभी हमलो से
कभी ख़ामोशी से
तो कभी बेलगाम शोर से
जनता में उम्मीदों को हर रोज खूब जगाया..
बिगडती है बनती है
बनती है फिर बिगडती है
और फिर बिगड़कर बनती है
अजीब लोकतात्रिक सरकार है
जो हर रोज जनता के साथ
एक नया खेल खेलती है ...
फिर हजारो रातो में कभी एक रात
इतिहास का भूगोल बदलता है,
सदियों से सोया लोकतंत्र
खुद के खातिर
एक रास्ता,
एक सफर,
एक हमसफर चुनता है,
ऐसी एक रात,
तारीख बनती है,
इतिहास बनता है,
लोकतंत्र जीतता है,
और इस रात जीतने की भी कोई हद नहीं होती है...
‪#‎YugalVani‬



(Photo Credit: Jagranmudda)

'आम आदमी पार्टी' को भारी-भरकम समर्थन : 'जनता' की उम्मीदों के एक लम्बी लिस्ट...

ऐसी जीत तो नसीब वालो को भी नसीब नहीं होती ! वजन में देखे तो बहुत ही भारी, लम्बाई में बहुत लम्बी, उचाई में बहुत ऊँची और संख्या में बहुत ही ज्यादा ! ऐसी जीत जो हिंदुस्तान के केंद्र से निकली है अच्छे वर्तमान और उज्जवल भविष्य बनाने के लिए प्रेरणादायी है ! भारतीय लोक्तातंत्र की महाराजा जनता ही है जिसे आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जो भारी-भरकम बहुमत लेकर सिध्ध कर दिया ! आप जीत रही है इसके संकेत तो कई दिनों से मिलने लगे थे लेकिन विरोधी दलों का लगभग पूरी तरह सफाया हो जाएगा यह उम्मीद तो खुद आप नेताओं तक को नहीं थी। किसी के लिए एक ‘विजय’ तो किसी के लिए एक परिवर्तन, मगर दिल्ली के लिए एक अच्छी सरकार की बस एक चाह... दिल्ली की जनता पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जिस प्रयोग को शुरू किया था उसे इस बार वह पूरे दिल से सिरे चढ़ाना चाहती थी। कुछ महीनो पहले एक पार्टी को असमान पर पहुचाया तो इस बार बुरी तरह दिल्ली से अस्तित्व ही ख़त्म कर दिया ! इतना बड़ा समर्थन मिलने का हाल-फिलहाल का कोई उदाहरण हमारे सामने नहीं है। भाजपा यह कह सकती है कि प्रतिशत के मामले में उसे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सच यही है कि जिस समय दिल्ली में ध्रुवीकरण हो रहा था उसका मत-प्रतिशत अपनी जगह ठिठका खड़ा था। कम से कम दिल्ली में तो भाजपा नए मतदाता वर्गों को अपने साथ जोड़ने में नाकाम रही। लेकिन कांग्रेस में तो अपने डूबते जहाज को बचाने की बेचैनी भी नहीं दिखी !



मै अपनी नजर से देखू तो अरविंद केजरीवाल को मिलने वाला यह भरपूर समर्थन, दिल्ली की जनता की उम्मीदों की लिस्ट है ! इतने भारी मत प्रतिशत का अर्थ है कि उन्हें तकरीबन सभी वर्गो और क्षेत्रों के मतदाताओं ने भारी उम्मीद बांध कर वोट दिए हैं। हर वर्ग और हर क्षेत्र की उनसे बांधी गई उम्मीदें अलग-अलग हैं, यही वह जगह है जहां से उनकी समस्या शुरू हो सकती है। कोई विपक्ष नहीं, कोई परेशां करने वाला नहीं बस एक परेशानी होगी तो केंद्र सरकार का समर्थन ! और अगर इस बार जनता की उम्मीदों में खरे नहीं उतरे तो, जनता है जीरो से हीरो और हीरो से जीरो बनाने में वक्त नहीं लगाती ! सबसे बड़ी मुश्किल घोषणापात्र के वादे है, इन वादों में हर वर्ग को उम्मीदे है भ्रष्टाचार का मुद्दा है जिससे सत्ता हासिल करना आसान हो सकता है लेकिन भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने का काम काफी जटिल होगा ! वास्तव में आप कितना कामयाब होगी, अभी नहीं कहा जा सकता मगर पुराने राजनैतिक दलों से अच्छी होगी इतना जरुर कह सकते है ! दिल्ली के इन नतीजों का असर आने वाले समय में भारतीय राजनीति में दिखाई पड़ सकता है। बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनाव जल्दी ही आने वाले है ! बिहार के विधानसभा चुनाव तो इसी साल दिसंबर में हैं और उसके लिए बिसात भी बिछनी शुरू हो गई है। मांझी और नितीश कुमार का खेल, लालू के पंगे सब शुरू हो चुके है ! दिल्ली  चुनाव से देश के प्रधानमंत्री (भाजपा प्रचारक) नरेंद्र मोदी को बहुत उम्मीद थी, मगरनकारात्मक परिणामो ने सब धुंधला कर दिया ! बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनावों को भी वे अपनी पुरानी शैली और अपने पुराने रुतबे से ही लड़ना चाहेंगे ! लेकिन इस बार जब वे मैदान में उतरेंगे तो अक्षत विजय गाथा वाले नायक नहीं होंगे। दिल्ली में भाजपा की हार उसके विरोधियों को नया हौसला तो देगी ही। और अगले साल तो कई विधानसभाओं के चुनाव होने हैं।

आज आप के मयंक गाँधी ने बोल भी दिया की आगे के कुछ समय वो एमसीडी के चुनाव लड़ेगे ! अब यह लगभग  भी तय है कि दिल्ली की जीत के बाद आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल अपने प्रयोग को अखिल भारतीय स्तर पर आजमाने के लिए भी जुटेगी। खुद पिछले लोकसभा में नाकाम रहने के बाद और फिर देश में मोदी सरकार की असफलताओ के बाद यह ध्यान रखने की बात है कि दिल्ली में आप को असली कामयाबी अपने दूसरे प्रयास में ही मिली है ! जिससे भाजपा की तरफ जनता की नाराजगी और आप की तरफ झुकता लगाव एक मजबूत लोकतंत्र के अंकुरण का प्रतीक है ! 

मोदी जी आत्ममुग्धता से बाहर निकलकर 'देश चलाओ', 'भाजपा' नहीं...

एक कहावत है ‘कर्म करो फल की इच्छा मत करो’, मगर कुछ लोग पहले फल सोचकर कर्म करना शुरू करते है और किसी भी तरह शाम-दाम-दंड का प्रयोग करके उस फल को प्राप्त करने की कोशिश करते है !
किस्सा हल ही के दिल्ली विधान सभ चुनाव का है वैसे पीछले चुनाव में तो तीन बड़े राजनैतिक दल मैदान थे मगर इस बार बस नाम के लिए तीन थे मैदान में बस दो ही थे भाजपा और आप, तीसरा दल कांग्रेस पहले ही हार मन चूका था बस अस्तित्व के लिए चुनाव लड़ना पड़ा है उन्हें ! चुनाव और चुनाव प्रचार में कई रंग दिखे कभी ‘इमाम’ के नाम से राजनीती हुयी तो कभी ‘आवाम’ के नाम पर ! कभी चंदे के लिए राजनीती हुयी तो कभी तेरी पार्टी का धन ज्यादा काला है मेरी पार्टी का कम ! कभी दूसरे दलों के सदस्यों को ‘भेदा’ गया तो कभी खुद के दलों के ! कभी किसी को सप्ता के लिए राजनीती में लाया गया तो कभी किसी को सप्ता की वजह से निकाला गया ! आरोप और प्रत्यारोप का खेल तो पहले का ही है मगर इस बार नाबालिक लड़को और और खांसी जुखाम तक पहुच गया ! अजीब सा खेल, खेल रही थी पिछले कुछ महीनो से जिसका आनंद टीवी मीडिया से लेकर अख़बार ने, जनता से लेकर पत्रकार और बच्चों से लेकर कलाकार सबने लिए ! सबने अपनी अपनी रोटियां पका हुआ तवा देखाकत खूब सेंकी !
परिणाम चाहे जो भी आए, लेकिन इस चुनाव के दौरान मैंने साफ तौर पर महसूस किया की एक व्यक्ति सबसे ज्यादा परेशां था, पता नहीं उसे यहाँ भारत का प्रधानमंत्री कहूँ या भाजपा का प्रचारक... नरेंद्र मोदी !!
पूरे चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा भ्रमित रही कभी बेदी को भेदकर दिल्ली का चक्रव्यूह भेदना चाहा तो कभी हर्षवर्धन, जगदीश मुखी, विजय गोयल के साथ क्रीड़ा करती रही ! मगर इस बार जातिवाद और क्षेत्रवाद का खेल थोडा फीका रहा ! दिल्ली में 40 फीसदी मतदाता बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी हैं। इनमें से ज्यादातर दलित एवं पिछड़ी जातियों के हैं, जो स्वरोजगार में लगे हैं। इस बात को भाजपा नेता भी स्वीकार करते हैं कि इस वर्ग के ज्यादातर लोग आप और अरविंद केजरीवाल के साथ हैं ! मगर लोकसभा चुनाव में यही वर्ग था जिसके कारण मोदी जी केंद्र तक पहुच सके थे ! चुनाव से संबधित सभी प्रचार प्रसार में मोदी जी लोहिया के समाजवाद का स्मरण करने लगे थे मगर उनके लिए किये गए वादों को कभी पूरा नहीं किया जिससे ये पूरा वर्ग इनसे खफा हो चूका था !
मै यहाँ बताना चाहूँगा मोदी जी की ये चिंता बस दिल्ली के लिए नहीं है अगर दृश्य यही रहा तो दिसंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले गंभीर आत्मनिरीक्षण करना होगा, और यही उत्तर प्रदेश के लिए करना होगा वर्ना हर-हर मोदी हर-हर हार में तब्दील हो सकती है !





मेरा ऐसा मानना है कि मोदी जी लोकसभा चुनाव में मिले बहुमत से उपजे अपनी सरकार के बढ़ते अहंकार का उसी तरह शिकार हो सकते हैं, जिस तरह राजीव गांधी 1985-86 में हुए थे। इस अहंकार का एक बड़ा कारण है कि सरकार ने अपने निष्ठावानों की तुलना में अन्य लोगों की बात सुननी बंद कर दी है। इतिहास हमें बताता है कि सियासत का यह पुराना रोग है, लेकिन जहां तक राजग सरकार की बात है, तो इसे यह रोग जल्दी हो गया है।

१० फरवरी को आने वाला दिल्ली राज्य के चुनावो का परिणाम अगर अनुमान के मुताबिक हुआ तो भाजपा प्रचारक (देश के प्रधानमंत्री) मोदी जी  के लिए पहली चेतावनी साबित हो सकते हैं कि वह हाल के विधानसभा चुनावों में मिली भाजपा की जीत के बाद अपने छवि प्रबंधकों द्वारा निर्मित 'बढ़ती लोकप्रियता की धारणा' से अतिशीघ्र बाहर आ जाएं। मोदी जी भारतीय राजनीति में चीजें तेजी से बदलती हैं, जनता है सब जानती है । थोडा आलसी है राजनीती से दीओर भागना चाहती है, मगर एक बार उंगली कर दी तो शेर बन जाती है अपना हक़, हक़ से छीनती है ! मोदी जी किरण बेदी भाजपा के ब्रम्हास्त्र नहीं बल्कि भाजपा भेदी साबित हुयी ! अपनी आत्ममुग्धता से बाहर निकलो ! अपने और अपनी सरकार के कामकाज का तटस्थतापूर्वक आकलन करो आपको देश चलाना है भाजपा नहीं !

#YugalVani

एक बच्चा दिखा मिट्टी में खेलते आज,
सालो हो गए पैर "जमीं" पर नहीं गए...
#YugalVani

हमेशा लगता था यहाँ सारी कमियां "मुझमे" है
अच्छे हो तो अच्छा ही होगा ये गलत-फहमीं है...
#YugalVani

उसका नजरंदाज करने का अंदाज भी गजब है,
दुनिया की दुनियादारी का अंदाज ही अलग है... 
#YugalVani

कैसे संभाल लेती है गुल्लक सिक्को की खनक,
हमसे तो कभी "खुशिया" अकेले नहीं संभालती...
#YugalVani

मजहबी हवाओ से बचाना इन बच्चो को,
बच्चे वो पेड़ है जो दुनिया को महका दे...
#YugalVani

संसद में चूतिया, गलियों  में हम
मज़हबी ये देश में मुहब्बत है कम.
#YugalVani

कितनी भी बड़ी कहानियां हो 'चाँद' तेरे चमकने की,
बच्चो से पूंछ, खिलौने से ज्यादा कुछ भी नहीं है तू...
#YugalVani

मजहबी हवाओ से बचाना इन बच्चो को,
बच्चे वो पेड़ है जो दुनिया को महका दे... 
#YugalVani

सरहद की लड़ाइयों से क्या हासिल किया है हमने,
जमीन अब भी वहीँ है, हाँ बस परिवार उजड़ गए..
#YugalVani

तिनका तिनका लाकर एक आशियाना बनाता है,
परवरिश क्या होती है किसी परिंदे से सीखो...
#YugalVani


वक्त, सु:ख, दुःख, ख्वाब और जिंदगी सब बदल जाते है,
मगर ‘माँ’... हमेशा ‘माँ’ रहती है...
#YugalVani

वोएकरूपयाजोमाँदेतीथीस्कूलजातेवक्त,
आजकरोड़ोकाखजानाबेकारहैउसकेसामने
#YugalVani

हरसालख़त्महोजाताहैदिसंबरआतेआते
कौनकहताहैवक्तकभीमरतानहींहै
#YugalVani

आजकल हिचकियों ने आना ही छोड़ दिया है,
लगताहैकोईयादकरनेवालानहींरहाअब... :(
#YugalVani

यहाँ न सबसे इंतजार होता है,
न ही सबका इन्तजार होता है...
#YugalVani

कुछ न करने की बातें हमने भी सजो राखी थी,
मगर इस "नये" वक्त से युगल संभल न पाया...
#YugalVani

नीदोंकाअबनहींरहा,
वो, कईरातेगुजरगयी...
#YugalVani

अपने तो अपनोकेसाथहै,
मगरमैअकेलाहूँआजकल...
#YugalVani

वोबच्चातोबसस्कूलजानाचाहताथा,
मजहबकीलड़ाईमेंजिसकीजानलेली
#YugalVani

शर्दियोमेंअक्सरवहीहाथकापतेहै,
घर दूसरोकाबनाकरजोलौटतेहै...
#YugalVani

परिंदे अब बिजलीकेतारोमेंहीनजर आते है,
लगता है इस शहरकेपेडोपरडालियनहींबची
#YugalVani
खुदसेभीमिलनसकोइतनेपासमतहोना,
इश्कतोकरनामगरदेवदासमतहोना,
देखना, चाहना, मांगना या खो देना,
येसारेखेलहैइनमेउदासमतहोना...
#YugalVani

जिंदगी तूकितनेभीऔरइम्तेहानले-लेमेरे,
"हौसलों"कीस्याहीकभीखत्मनहींहोगी...
#YugalVani

दिल की बात बिना दिमाग के बोल देता था,
"वो" बचपन की आदतें कुछ गलत नहीं थी...
#YugalVani

खाते में तनख्वाह अभी पहुची भी नही थी,
ख्वाहिसों ने आवाज लगनी शुरू कर दी...
#YugalVani

एक ख्वाब ख्वाब जैसा, हकीकत हकीकत जैसी
बस यही मांग है मेरी इस अकेली जिंदगी की
#YugalVani

वोलिखतारहाखुदकेजज्बातोंकोशायरीमें,
लोगो को अल्फाजो में जादूगिरी लगी जो हमेशा...
#YugalVani

चिड़ियाकिताबोसेनिकलकरखूबचहचहातीथी...
माँजबभीटिफिनरखती...बस्ता खूब मुस्कुराताथा.
#YugalVani

अहसासो के इस शहर में, खुद के लिए फुर्सत कहा उसे,
कभी बच्चो के आंसू तो कभी शौहर का पसीना पोंछती "औरत"...
#YugalVani

अहसासो के इस शहर में, खुद के लिए फुर्सत कहा उसे,
कभी बच्चो के आंसू तो कभी शौहर का पसीना पोंछती "औरत"...
#YugalVani

चिड़िया "किताबो" से निकलकर खूब चहचहाती थी...
माँ जब भी टिफिन रखती...बस्ता खूब मुस्कुराता था.
#YugalVani

वोपलटनेरहेइश्ककीकिताबोको,
कभीमेरीजिंदगीहीपढ़मेरी
#YugalVani

बीमारजिंदगीमेंकुछतोअच्छारहनेदीजिये,
जबभीकोईबच्चामिलेबसमुस्कुरा दीजिये...
#YugalVani

तुमतोबदलगएहो,  शिकायतक्याकरेतुमसे
हाँयहाँहालतयेहैकिहमेंखुदकीखबरनहींहै...
#YugalVani

वोमोहब्बतकीकिताबकुछऐसीछपी,
कीकुछपन्नोतकहीजिक्रहुआमेरा...
#YugalVani

तू तो ख़त्म हो जाएगी 'जिंदगी' एक दिन,
मै तो फिर भी किताबो में जिन्दा रहूगा...
#YugalVani

हाँतुमजैसाकोईऔरहोसकताहै
औरमुझजैसाभी,
मगरहमजैसा.... ?
हमजैसाकोईनहीं....
#YugalVani

न तुम हो...
न मै हूँ,
चलो चलते है जहाँ कोई न हो
कुछ हो वहां तो बस हम हो...
#YugalVani

खाली रखी बाम की सीसी बताती है,
'माँ' ने न जाने कितने दर्द छुपाये है...
#YugalVani

जैसे रात आती है और कुछ देर में चली जाती है,
कुछ ऐसा ही तुम भी अपनी यादो को सिखाओ ना...
#YugalVani

अपनीकहानीकिसीकोनहींबताईमैंने,
चंदकागजोऔरइसचाँदकोछोड़कर...
#YugalVani

न तुम हो...
न मै हूँ,
चलो चलते है वहाँ,
जहाँ हम दोनों ना हो...
#YugalVani

मंदिरो में दिए तो जलाये बेसुमार उसने ,
की घर लौटा तो रोशनी भी न कर सका वो...
आजकल कलम  साथ नहीं  दे रही...
ज़हन मेंअफ़साने तोआजभी बहुत हैं ..
#YugalVani

उसेइतवारकीछुट्टीकीख़ुशीइसकदरथी
कि "माँ"कोओवरटाइम करना पड़ गया घर पर...
#YugalVani

बड़ेअजीब शौक है, कुत्ते को घरमेंपाल रखा हैं...
मगरबुढे माँ बाप को घर से निकाल रखा है !!!
#YugalVani

लिखतेरहियेआदतबुरीनहींहै...
एहसासो के इस शहर में अल्फाज भी बिकते है...
#YugalVani

बड़ीमासूमियतसेकसम "खा" कर...
उसनेकहाकीवो "भूखा" हैसुबहसे...
#YugalVani

जिनसे खेलने की उम्र है उसकी खुद की,
खिलौने वो चौराहे पर दौड़-दौड़कर बेचता है
#YugalVani

जिनसे  खेलने की  उम्र है  उसकी "खुद" की,
खिलौने "वो" चौराहे पर दौड़-दौड़कर बेचता है...
#YugalVani

रोजाना दफ्तर से कुछ "लफ्ज" साथ चले आते है,
कुछ "झगड़ते" है और कुछ "कहानी" बन जाते है...
#YugalVani

'तनख्वाह' से चल रही जिंदगी भी अब "चाँद" हो चली है,
महीने की हर "पंद्रह" तारीख को 'लापता' सी हो जाती है...
#YugalVani

कमबख्त ये दिल ऐसे तरसता है तुम्हारे लिए,
जैसे महीने भर किश्ते तरसती है तनख्वाह के लिए...
#YugalVani

एक अजीब सा आशिक था मेरे अन्दर... कुछ दिन पहले गुज़र गया !
एक शायर सा है अब कोई... अजीब सी बातें करता है....अजीब सी !
#YugalVani

मझे मेरी किताबो में ढूढ़ लेने....जब मै मिलूं ना कहीं
#YugalVani


दिन ढलते-ढलते आजादी भी ढल गयी, तीन रंगों वाले कपड़े और चूड़िया..
सब अलमारी में कैद हो गए, फिर आजाद होंगे अगले साल एक पल के लिए...
#YugalVani

"दाई" जो तुम्हारा बच्चा दिनभर संभालती है,
"खुद अपना"... अकेला घर में छोड़ आती है...
#YugalVani

थाली में पनीर झूठा, तो आसानी से फेक देते है,
जो रिक्शे वाले से दस रुपये के लिए झगड़ते है...
#YugalVani

जब हाँथ आसमां तक न पहुचे...
बड़े बुजुर्गो के पैर छूना अच्छा लगेगा..
#YugalVani

इतना "पढ़ा" मैंने तुझे की,
तू "याद" हो गया मुझे...
#YugalVani

क्यों बिना मेहनत के लोग हार जाते है  आजकल,
कभी चाँद को अँधेरे में चमकते नहीं देखा क्या...?
#YugalVani

दिख जाऊ गर कही तो मुझे भी बता देना..
सालो हो गए "मुझे" खुद से मिले हुए...
#YugalVani

कल ही उसने नयी "साड़ी" लाने के वादे किये थे,
आ गया तिरंगे में खुद लिपटकर 'माँ' को रुलाने...
#YugalVani

पहले अख़बार के साथ दबे पांव आती और चली जाती थी,
कमबख्त टीवी ने खबरों को भी शोर मचाना सिखा दिया...
#YugalVani

जिंदगी के अजीब एक "चौराहे" से गुजर आया हूँ,
अब यहाँ कभी 'राश्ते' बदल जाते है तो कभी 'रिश्ते'
#YugalVani

मेरी तश्वीर अपने दिल में तू  उतार  न सकी तो क्या,
तुम्हारी अधूरी कहानी तो मै रोज कागजो में पूरी करता हूँ...
#YugalVani

हमें अब भी 'पूरब-पश्चिम' ने संभल रखा है,
तुम्हे 'मस्तराम' ने कब का बिगड़ दिया...
#YugalVani

रिश्ते भी मोबाईल हो चले है अब,
धीरे-धीरे बैटरी के साथ बुझ जाते है...
#YugalVani

वो हर बात का जबाब चाहती है
जिंदगी कोई गूगल हो जैसे...
#YugalVani

परिंदा जो कल "मंदिर" में खाना खा रहा था,
उसका घर अपनी गली वाली "मस्जिद" में है...
#YugalVani

किश्ते रोज दंगे करती है घर में,
रिश्तो में कर्फ्यू लगा रहता है अक्सर...
#YugalVani

ख्वाहिशें रोज़ दंगे करतीं हैं घर में.... रिश्तों में अक्सर,
कर्फ्यू लग जातें हैं..!!"
#YugalVani

जब जब चाभी टटोलता हूँ जेबों में घर  पहुचकर,
अभी अभी देखा है चद्दर में लिप्टा पड़ा घर किसी का सड़क
#YugalVani

चलो गमो को सँभालते है 'लफ्जो' और 'स्याही' से,
ताकि जब ये कागजो पर दिखे तो,खूबसूरती दिखे...
#YugalVani

न जाने क्यों 'खो' देने के डर से सब सह लेती है 'वो',
"थक हार" कर कह देती "एक साथ" खो देने को...
#YugalVani

बिना पतंग आसमान सूना सा है मेरे मोहल्ले का,
लगता है बस्ती में अब कोई बच्चा सा नहीं रहा अब...
#YugalVani


शाम को जब थका हारा,
दफ्तर से पहुचता है वो घर...
तो कभी बिगड़े हुए रिश्ते
या  कभी बिखरी  हुयी किश्ते
इंतजार में होती है,
"उसकी " !
#YugalVani

कल गहरी गहरी सांसे ले रहे थे वो,
"इतवार" भी बस कुछ पल का ही था...
#YugalVani

सुना है तुमने प्यार किया 'था', मगर मैंने प्यार किया 'है',
बदल चुके हो 'तुम' मगर 'मै' तो मोहब्बत अब भी करता हूँ...
#YugalVani

जब तक रही ये "जिंदगी" "जिन्दा" शोर करती रही,
एक बेचारी मौत थी दबे पांव ले चली गयी... :)
#YugalVani

जिंदगी ऐसी दे उस गरीब को...हे खुदा,
के कम से कम "जीना" तो नसीब हो उसे...
#YugalVani

अब भी सरकारी दफ्तरों में "अफसर" बिकतें दिखते हैं...
कल ही लोगो को कहते सुना था "अच्छे दिन आ गए"...
#YugalVani


दिल ने नफरते संभाल रखी है न जाने किस किस की...
इसने जिससे प्यार भी किया होगा , कैसे किया होगा...
#YugalVani

अब मुझे उन रास्तो में ढूढने की कोशिश मत किया कर,
जब तूने रास्ता बदला था, मैंने मंजिल बदल ली थी अपनी...
#YugalVani

'तुम' तो आज भी 'तुम' हो और  'मै' आज भी 'मै',
मगर हमारा 'हम' और "हम" पहले से नहीं रहे...
#YugalVani

लोगो को कहते सुना था की "मै बहुत बोलता हूँ",
मेरे चंद कागजो को पढ़ा उसने तो यकीं आया...
#YugalVani

अजब ख़ुशी थी, बेटा इंजीनियर बन बड़ा होकर घर आया बरसो बाद,
मगर आज माँ के पैर में पैबंद नहीं था, पिता कर्जे में अब भी खड़ा था...
#YugalVani

पढ़कर कह तो दिया लिखते तो तुम बहुत खूब हो.
काश कभी तुमने मेरी हकीकते भी पढ़ी होती ...
#YugalVani

मोहब्बत का दर्द इतना था दिल में,
आज एक मोती किताब बन गया...
#YugalVani




"इश्क" तो सभी करते है इस "जिंदगी" में
किसी का "छिप" जाता है तो किसी का "छप"...
#YugalVani

"दिल" से तो बस "इश्क" हो सकता है,
दोस्ती के लिए "जिगर" चाहिए "दोस्त"...
#YugalVani

उसके "कॉल" तुमसे मिस हो जाते है,
जो "माँ" आज भी  तुम्हे मिस करती है...
#YugalVani

वाइन-वोदका तो कब के पहुच चुके है उस गाँव में,
स्कूल और अस्पताल पहुचने में शायद वक्त लगेगा...
#YugalVani

बच्चो की भूख कभी "रोजा" तो कभी "व्रत" के नाम पर बहलाता है,
वो गरीब मजबूर बाप अपने बच्चो को दोनों ही मजहब सिखाता है...
#YugalVani

बरसात के पानी से छत टपकती है उसके घर में,
मगर फिर भी वो किसान बारिश की दुआ करता है...
#YugalVani

हर कहानी डरावनी लगती है यहाँ,
'माँ' जो सर मेरा तेरी गोद में नहीं होता..
#YugalVani

अब भी जब-जब ख्वाब में आती हो तुम,
तो नींद भी हमें, बहुत गहरी आती है....
#YugalVani

सुना है तुम पढ़ती हो इसलिए 'मै' लिखता हूँ,
वरना इस कलम से अपना कोई वास्ता नहीं है...
#YugalVani

.....काश मै उस दिन कुछ बोल पाता,
जिंदगी आज इतनी खामोश तो न होती !
#YugalVani

दूर जाते वक्त एक बार पीछे मुड़ के देखना उनका,
लगता है जैसे जिंदगी वापस बुला रही है...
#YugalVani

न जाने कौन सी मिट्टी से बनाया है, खुदा ने उसे...
"माँ" हर दर्द में भी "मुस्कुराती" रहती है...
#YugalVani

सच्चा "ईमान" हो या खुबसूरत "जिस्म",
बेचने की सोच लो तो हर तरफ बाज़ार है...
#YugalVani

साहब आपकी जो "रिश्वत" वाली 'कार' नीचे खड़ी है...
कोई उसे "साफ़" करके कोई अपने 'घर' चलाता है...
#YugalVani

कभी किसी ने लैपटाप बटवाए, कभी किसी ने पत्थर के हाथी...
मगर अब भी 'बच्चियों' के देर से घर आने पर "माँ" ही घबराये..
#YugalVani

जूतों में "पॉलिश" कर हाथ "मैले" किये उसने...
मगर कभी "किसी" के सामने "फैलाये" नहीं...
#YugalVani

"पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ"...
मगर उन "बच्चियों" को कौन बचाएगा, जिन्हें इनमे लटका दिया ?
#YugalVani

एक बार खुदा से क्या मांग लिया "तुझको"...
अब तो खुद को "खुदा" के पास ढूढने लगा हूँ...
#YugalVani

कोने में रखे 'कागजो' में देख; कैसे संभाल रखा है 'तुझे'...
समझ आ जायेगा 'लापरवाह' कौन था ? "मै" या "तू"...
#YugalVani

जाग जाता है 'वो' किसी की जरा  सी 'आहट' से,
खुदा गर 'गरीब' को बेटी दे...तो "दरवाजा" भी दे...
#YugalVani

आज भी चुप रहकर, अपनी हजारो ख्वाहिशे कुर्बान करती है...
"बेटे" की कोई जिद अधूरी न राह जाये, "माँ" आज भी डरती है...
#YugalVani

जिन्दा 'आँखों से नही देखा इन 'कंधो' को मिलता,
जो "साथ" मिलकर आज उसे "कब्रिस्तान" ले गए...
#YugalVani

जरा सी 'किलकारी' से जग जाते है 'वो' रातो में...
खुदा "बच्चा" दे गरीब को तो "खाना" भी जरुर दे...
#YugalVani


'सह्जादो' ने आज फिर हाथ नहीं लगाया ठन्डे खाने को,
'नौकरों' के यहाँ कल फिर से 'दावत' मनाई जायेगी...... :)
#YugalVani

न जाने क्यों 'जंग' लड़ते है दुसमन बनाने के लिए,
थोड़ा 'कामयाब' होकर तो देखो खैरात में मिलेगे...
#YugalVani

कपड़े "उसके" फटे थे पर 'नंगा' मै महसूस कर रहा हूँ...
आज फिर एक"छोटू" एक रुपये में हजारो की मुस्कान दे गया...
#YugalVani

मेरे वाजूद में तू आज भी मौजूद है...
कुछ तश्वीरे जला देने से यादें नहीं जलती...
#YugalVani

कही तो होगी ऐसी दुनियां, जहाँ साथ तू मेरे होगी.
तू बस रास्ता बता दे, या फिर नयी दुनिया साथ बसा ले.
#YugalVani

सालो से उस खिड़की का कांच नहीं टूटा,
मोहल्ले के वो बच्चे न जाने कहा चले गए...
#YugalVani

लिखते रहिये, आदत बुरी नहीं है...
#YugalVani

न जाने क्या क्या ले गए तुम अपने साथ,
कलम और कागज भी साथ नहीं देते अब तो...
#YugalVani

जिंदगी हम भी जी लेते.. ख़ुशी ख़ुशी,
अब साँस ले कैसे जो तू है नहीं यहाँ..
#YugalVani

"दोस्तों" से भरी महफ़िल भी आज "अजनबी" सी है,
न जाने इस "बाजार" में क्या क्या और... "बिकेगा"
#YugalVani

मैंने हमेशा "हँसना" अपनी आदत बना ली है,
सुना है "छुपाने" का इससे बेहतर तरीका नहीं है
#YugalVani

तेरी आवाज जब जब मेरे जहन में गूंजती है,
तब तब मै सुनाई खुद को नहीं देता...
#YugalVani


रोज रोज ये उदासी के बाज़ार पूंछते है...
कहाँ गयी वो खुशियों का खाजन... :(
#YugalVani

रोज रोज ये उदासी के बाज़ार पूंछते है...
नेता जी, कब आय्र्गी खुशियों की बाहर...?
#YugalVani

कोने की मेज़ पर पड़ा एक काेरा काग़ज़....
न जाने किस नयी कहानी के इंतजार में है...
#YugalVani

बेचारी "माँ" रोज जेब देखती, बेरोजगार बेटे की...
कही जेब में उसने "जहर" तो नहीं रख लिया...
#YugalVani

कभी कुछ लिखकर देखिये,
मानिए बड़ा सुकून मिलेगा...
#YugalVani

कोई सिकवा नहीं अब भी एक रिश्ता तो है ...
मोहब्बत का न सही नफ़रत ही सही
#YugalVani

अगर जानना है कितना नजदीक हूँ,
बस एक बार दूरी बना कर देख लो...
#YugalVani

आज तुम  गुमसुम हो अपनी अधूरी  ख्वाइशों के लिए ,
उस सरफिरे को देखो जो जेल में पड़ा है तुम्हारे लिए...
#YugalVani

उससे दूर होना मुझे मुझसे दूर ले गया...
अगर कहीं मिले वो तो पता पूंछ लेना...
#YugalVani

अच्छा भला सा आदमी बेकार हो जाये...
'अंकुर' जरा बचके कही प्यार हो न जाये...
#YugalVani

कितना अजीब है इस दुनिया का दस्तूर...
दिल के पास रहते है मेरे, मुझसे कितना दूर...
#YugalVani

पति के जूठन से खोलती रही सारे व्रत ,
एक मुस्कान पर बदचलन बतलाई गई !!
वोदौड़तेरहतेथे, क्रिकेटकेमैदानोंमेंदिनभर.
जिन्हेंआजबिनागाड़ीकेचलनादूभरहै, पलभर...
मीलोपैदलचलीथीवो, तुझेखड़ाकरनेमें,
माँकेसाथआज, तूचारकदमभीनहींचलता...
#YugalVani

ख्वाहिस बस दो रोटी की होती है उनकी
जो बड़े बड़े होटलों में पनीर परोसते है..
#YugalVani

जिस खेत के आगे खड़े हो कर, उन्होंने तस्वीर खिचाई थी
आजकल वहां एक बहुमंजली ईमारत कड़ी है...
#YugalVani

लगता है ईंटो के बीज बोने का दस्तूर चला है
जहाँ देखो गाँवो के  खेतो में इमारते खड़ी है...
#YugalVani

उन लहलहातेगाँवो से ही निकले है ये शहर...
माँ को छोड़ दिया ठीक है, इज्जत तो मत छोड़ो
#YugalVani

दुकानों से क्या खफा थीजो गाँवो से भी चुरा लिया इन्हें...
मिट्टी ही ठीक थी, ईंट बेचकर तो गाँव भी बाज़ार में बदल दिए ..
#YugalVani

ख्वाब बड़ी बड़ी मंजिल के मत दिखा मुझे...
जहाँ से हम चले थे वो रास्ते कहा चले गए...?
#YugalVani

दिल तो  अभी भी  उनका पत्थर  का ही है...
हम तो बस उसमें खुदा की ललक के लिए है...
#YugalVani

काट दिया था जल्लादों ने तो उस पेड़ को हफ्तों पहले..
मगर वो परिंदे अब भी अपना बसेरा ढूढने रोज आते है...
#YugalVani


कोई एक रात जला तो आपने उसे चिराग कह दिया,
बरसो से जल रहे है हम कोई ख़िताब यहाँ भी दे दो...
#YugalVani

महीने का आखिरी होने वाला है,
बैंक की किश्ते कुण्डी खट-खटाएगी...
#YugalVani

जिंदगी अपनी होकर भी अपनी नहीं है,
कार परायी सी है और घर किराये सा...
#YugalVani

सुबह वो खुद रात का बचा खाना खाती थी...
जिस माँ ने कभी ठंडी रोटी मुझे खिलाई नहीं...
क्या तुम्हे आता है अंदाज मुकर जाने का ?
हम तो थक चुके है ये वादे निभा निभाकर...
#YugalVani

पैसो में मत लगाओ इन लम्हों की कीमत, चूका नहीं पाओगे कर्ज हमारा...
चलो एक लम्हे का एक पैसा ही सही अब अरबों के कर्ज़दार हो तुम हमारे
#YugalVani

कोहराम ही जिन्दादिली है इस ज़माने की..
खामोश रहे तो जीने नहीं देगी ये जिंदगी ...
#YugalVani

चाय के जल्वे तो बस कुछ दिनों के है...
बाद में सब दूध का दूध और चाय का चाय हो जाना है...
#YugalVani

शिकायत तो हमेशा रहेगी, तेरे बदलने की,
मगर तेरी कुछ बातों ने मुझे जीना सिखा दिया...
#YugalVani

ये दिल हार मान गया था तेरे ओह्टो से एक ना सुनते ही,
तभी किसी ने बाताया अभी तो अभी तो पूरी बात बांकी है
#YugalVani


हम हजार बार मर लिए यूँ ही चुपके चुपके...
न तुझे हुयी खबर और न जमाना समझ सका.
#YugalVani

फुटपाथ पर सोये थे कुछ भूखे लोग..
उन्हें देख आज घर बहुत याद आया..
#YugalVani

बड़ी गजब मार है यहाँ,
अगर बज भी जाओगे जिंदगी से,
तो उम्र मार देगी...
#YugalVani

लोग काँटों से बच के चलते हैं
मैंने फूलों से ज़ख़्म खाए हैं
#YugalVani

जख्मो से बचने के लिए, काँटों से बच के चलते है
मगर यहाँ तो फूलों ने ही ज़ख़्म के बाज़ार बना डाले..
#YugalVani

हे ग़ालिब अब गम को जताने का कोई,नयाँ रास्ता इजात कर..
तेरी इन बेगानी आँखों का ये पानी तो अब पुँराना हो गया...
#YugalVani

कुछ लोग हंस रहे थे मुझ पर...
कमबख्त एक तो आईने में भी था..
#YugalVani

इश्क की ये दुनिया फिर से कितनी अँगूठा-छाप हो गयी..
पहले हाथ से लिखा प्रेम पात्र मिलता था,
मगर अब फोन पर टाइप मैसेज ही मिलता है...
#YugalVani

ज़िन्दगी तुझसे हर कदम पर समझौता करूँ,
शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं।
#YugalVani


मैं और मेरी किस्मत साथ जलते हैं इत्त्फ़ाक से,
मैं जलता हूँ आग से वो जलती है राख से।
#YugalVani

दूध पीते हुए बच्चे की तरह है दिल भी....
दिन में सो जाता है रातों को जगाता है मुझे....
#YugalVani

इस सियासत की जबां भी बड़ी अजब है
यहाँ इकरार को भी वि इंकार पढ़ते है ..
#YugalVani

बेचारावोअख़बारभीसुबहसुबहरोपड़ा..
"हिंदी" मेंछपताहूं, इसीलिएकमबिकताहूं
#YugalVani

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
#YugalVani

परीक्षा के रिजल्ट का वो एक लम्हा...
कैसे हँसती खेलती दुनिया को उजाड़ देता है।
#YugalVani

जब अपनी पुरानी स्कूल की इमारत को देखता हूँ
तो सोचता हूँ  मुझे बनाकर खुद टूट सी गयी है ...
#YugalVani

सड़कों पर रफ़ू होने लगा है....  
चुनाव आस पास होंगे....
#YugalVani

फिर से इच्छा है जिंदगी जीने की,
बस दुआ करना इश्क न हो..
#YugalVani


पल पल में दफ्तर की वो चाय..
जैसे बंद जेल में मिठाई बाटी हो...
#YugalVani

क्या मिला हमें सदियों की मोहब्बत से..
एक शायरी का हुनर और दुसरा जागने कि सज़ा...
#YugalVani

तनख्वाह का दिन बेचारा, सुबह से बैंक का खाता इंतज़ार में है...
किस्तों की किस्मत कितनी बद्लिएगी, हिसाब उम्मीद लगाए बैठें हैं .....
#YugalVani

बहके कदम तो गिरा उसकी बाहों में जाकर,
देखो आज मेरा पीना ही मेरे काम आ गया।
#YugalVani

जब बहका तो गिरा उसकी बहो में जाकर,
देखा आखिर मेरा पीना मेरे ही काम आया,
#YugalVani

उन्हें क्या पता क्या होते है मस्जिद और शिवाले...
वो जो भूखे होते है वो बस जानते है निवाले...
#YugalVani

कमबख्त आज की याद एक एहसास दिला गयी 
'वो साथ निभाने' वाली बात, तुम्हारी बात आखरी थी...
#YugalVani

वक्त का पिटारा था जब मेरे पास, तब तेरा प्यार मिल न सका...
आज तेरा प्यार है बहुत, मगर अब फुर्सत चार लम्हे नहीं है.
#YugalVani

जब था वक़्त बहुत, तब मिल सका तेरा प्यार नहीं,
आज तेरा प्यार है बहुत, पर फ़ुर्सत के लम्हें चार नहीं।
#YugalVani

कार तुम्हारी हिम्मत से नहीं पेट्रोल से चलती है
उसकी पैदल रिक्शा देखो हिम्मत दिख जाएगी
#YugalVani

अभी अभी सोचा ज़िन्दा हूँ, तो घूम ही लूँ ...
वर्ना मरने के बाद तो भटकना ही है...
#YugalVani

माना मै अमीर नहीं हूँ ,
मगर...
सारे गम खरीद सकता हूँ
तुम्हारे...
अपना बनाके तो देखो.
#YugalVani

ये वक़्त के नाखून...पैने कब नहीं थे...?
मगर  मेरा चेहरा सलामत है अभी तक....
#YugalVani

सारे दोस्त, रिश्ते और प्यार कैद है, जेब में पड़े इस मोबाईल में..
आजकल बटनों से बस मशीने ही नहीं बहुत कुछ चलता है..
#YugalVani

नींद बड़ी गहरी आती है, अगर तुम ख्वाब बन जाओ..
आजकल नींद से भी प्यार है हमें,
जबसे तुमने कहा है 'तुम्हारे लिए ख्वाब हूँ मै...
तुम अगर ख्वाब में आने को कहो
नींद से कुछ इसलिये भी प्यार है हमे, तुमने कहा था, तुम्हारे लिए ख़्वाब हूँ मै
#YugalVani

ट्रैफिक पर खड़े भूखे गरीब को हंसते हुए देखा..
सच में कितनी दौलत थी उसके चेहरे पर..
#YugalVani

गजल लिखे, शेर लिखे या कुछ और  लिखे,
तुझे दिल से कागज में उतारे तो उतारे कैसे
हर वो इन्सान जो तुमसे झुक कर मिला होगा,
यक़ीनन उसका पद तुमसे तो बड़ा ही होगा..
#YugalVani

आजकल फ़िर से वो कुरेदने लगे घाव हैं..
अरे हाँ हाँ फ़िर से देश में चुनाव है .....
#YugalVani

जबरातमेंउनकीयादआतीहै,
मैबालकनीकीकुर्सीपरबैठजाताहूँ..
खुदसेरूठजाताहूँ..
खुदकोहीसमझाताहूँ...
#YugalVani

कलतकतोतुम्हेंसरहदोंकिफिकरथी
आजतुमदेशकोबेचनेहीनिकलपड़े....
#YugalVani

आजइसमोबाईलनेहाथोमेंघरबनारखाहैयूँ,
कीवोबच्चोकीउँगलियाँपकड़नाहीभूलगए
#YugalVani

चौराहोंपरबुततोनएहैनेताओके,
मगरसड़कोकेगड्ढेअबवैसेहीहै...
#YugalVani

कमबख्तयेराजनीतिआजकलशामकोमेरेरिश्तोमेंआजातीहै
मैंहोजाताहूँमनमोहनसिंहऔरवोअरनबबनखूबजुल्मधातीहै
#YugalVani

आमआदमीतोखुदाकोभीदसदिनकेबादडुबोदेतेंहैं
तुम्हेकुछदिनोंतकसरपेबिठायातोगुरूरकैसा..
#YugalVani

चिड़ियानेउसखिड़कीपरघोसलाऐसेहीनहींबनाया..
तुम्हारीजहाँआजईमारतहै, कभीवहांएकनीमकापेड़था..
#YugalVani

कौनकहताहैजिंदगीबिकतीनहींहै?
अस्पतालकेबाहरकीलम्बीकतारनहींदेखिक्या...
#YugalVani

आजतारीखक्याहैजराउनसेपूंछिये
जोजोरबचीहुयीतनख्वाहगिनतेहै..
#YugalVani

एकमैंथाजोलफ़्ज़ढूँढ़-ढूँढ़करथकगया,
वोखरीदेहुएफूलदेकरइज़हारकरगया।
#YugalVani

ख्वाबभीअबदर्ददेनेलगेहैं,
कलरातख्वाबमेंउन्हेंबुलाकरदेखा।
#YugalVani

मेराउदासरुखदेखकरलोगतेरामिजाजपूंछतेहै
बसयहीखुशनसीबीहैशायदमेरेनसीबमें।
#YugalVani

मै, एकअकेलातन्हानहींहूँइसजहाँमें...
कलमयखानेमेंकईऔरसाथीमिलगए..
#YugalVani

तंगहोकरखुदासेमांगीमौतजोमैंने,
तभीकिसीनेमेरेजीनेकीदुआमांगली..
#YugalVani

हररोजसोचताहूँलिखूंकुछउनकेलिए,उनकीयादमें,
कलमतोरुकजातीहैमगरआंसूचलपड़तेहै
#YugalVani

वोअख़बारभीराद्दियोंकेभावबिकतेरहे
जिनमेछपीथीखबर'फौजियों' केमरनेकी...
#YugalVani

इसकदरघायलकरेगीवोआवाजसोचानहींथा
धीरेसेकहकर "जान" "बे-जान" करदियाहमें...
#YugalVani

जोरहतातोहैहज़ारोंदिलोंमें...
वोहोतानहींकिसीकाभी..
#YugalVani

येमेरी'घुटन', तूमुझमेंहीरह..
बहारआकरनजानेकितनोकीजानलेगी..
#YugalVani


एकमुशीबतहै
जोएकबारआकरकभीजातीनहींहै,
एकयेहै
जोहमेशाआतेहीचलीजातीहै...
#YugalVani

नामैंतेराहोसकानाअपनाहीरहा,
यादकरकरकेतुझेमैंखुदकोभुलातारहा।
#YugalVani

यादउसेकरकरमैखुदकोभुलातारहा...
आजमैनउसकाहोसकाऔरनहीअपनारहा...
#YugalVani

स्टेसनपरउतारतेहीगीताप्रेसकीदुकानदेख
दादीकीबहुतयादआई...
#YugalVani\

कुछझगड़ोकोसबसेछिपारखाहैमैंने...
इसतनख्वाहसेनहींबनतीमेरीकिश्तोंकी
#YugalVani

वोनिकलेथेयहाँख़ुशीके "फूल" लेने,
मगरयहाँतो "गमो" कापूराजंगलहै...
#YugalVani

जहाँमेंसबभूलबैठेहै,
किस्मतकोईचीजनहींहोती,
उसेहमबनातेहै "हम"..
#YugalVani

कौनकहताहैउसपुरानेशायरकीकीमतनहींरही?
दरियागंजकीपुरानीकिताबोकीदूकानमेंअबभीबिकताहैवो...
#YugalVani

रोजकहतीहै'वो' मेरेबिनाभीजिंदगीजीनासीखलो,
बिना'जिसके' एकलम्हाभीगुजारनामुश्किलहै
#YugalVani

वो "मजदूर" बेख़ौफ़चढ़जाताहै, उनऊँचीऊँचीइमारतोमें
जिसेखौफहोताहै "कहीउसकाबच्चारातमेंभूखानसोजाये"
#YugalVani

अक्सर बिना 'मुलाकातो' के 'रिश्ते' बिगड़ जाते है...
जैसे  लगाकर पेड़ भूल जाने से बेचारे सूख जाते है...
#YugalVani

अक्सर शहर की इमारतो की उचाईयां देखकर,
बचपन और बाबा के वो कंधे बहुत याद आते है 
#YugalVani

वो बैठा रहता है रात तक अपना सच लिए,
जहाँ दोपहर तक बिक जाता है सारा झूठ...
#YUgalVani

जब देखो निकल पड़ते हो माँ-बत्तियां लेकर,
कभी वोट डालने के लिए निकल कर देखो...
#YugalVani

वो बेचारे अधनंगे बच्चे रात में वहीँ भूखे सोते है,
जहाँ नेता जी ने लाखो की होर्डिंग लगवाई है...
#YugalVani

वो कैसे चल दिए गाँव छोड़... हाँ छोड़ कर गोवा..
मगर एक सोच होगी जैसे दिल....दल-दल में गया
#YugalVani

बचपन की एक कॉपी देखी आज,
क्या शायरी क्या गजल  सब बेकार है...
#YugalVani

इस इश्क के बाज़ार में नींद भी नीलम हो जाती है,
किसी को भुलाकर 'सोना' इतना आसान नहीं होता
#YugalVani

न जाने कब खाना होगा उस गरीब की थाली में
जो हर बार अपनी थाली को देखकर ...वोट देता तो  है
#YugalVani


कभी खुद को पूरा तेरे हाथो में सौप दिया था,
और आज अपने ही  हाथो की लकीरों में ढूढ़ता हूँ तुझे..
#YugalVani

आज उंगली पर  एक दाग तो है , पर "बेदाग" है...
दिल साफ़ है और इसी दाग  से नेता "बेनकाब" है...
#YugalVani

मोहब्बत बुरी होती है, मोहब्बत बहुत बुरी होती है...
बोल बोल कर थके जा रहे है, और किये जा रहे है..
#YugalVani

इस बेवफाई के ज़ख्म देता कोई है,
शायरी और किताबे लिखने खुद बैठ जाते है..
#YugalVani

उंगली बनाकर, उंगली पकड़कर चलना सिखाया...
उस "माँ' को भी उसने अगुठा दिखा दिया...
#YugalVani

आखिरी रोटी भी खिला देती थी तुझे वो,
जिस 'माँ' को भूलकर मंदिर ढूढने निकला है...
सुई-धागे से सींती थी वो मेरे  कपड़े,
"माँ" के लिए आज तक एक साड़ी भी नहीं ली
#YugalVani

अब आज ये सड़क और नालो से नाराजगी कैसी ?
चुनाव के दिन तो निकल जाते हो पिकनिक मनाने...
#YugalVani

उस शहीद की माँ आज भी अकेले में बहुत रोती  है...
जिसके नाम एक चौराहा एक स्कूल और एक  मैदान भी है...
#YugalVani

खेत वही है जो कल भी खाना देते थे और आज भी,
मगर आज  इमारतो के आगे इनकी चलती है...
#YugalVani

दौलत कमाने में न जाने क्या क्या गवां दिया हमने,
आलम ये बचपन वाली वो नींद भी नहीं आती अब ...
#YugalVani



कौन कहता है रिश्तो को भूख नहीं लगती,
जनाब कभी प्यार परोस कर तो देखिये...
#YugalVani

चलो दूर चलते है इस इंटरनेट से,
घर के रिश्ते "इंतजार" कर रहे है...
#YugalVani

तूफ़ान आया और उड़ा ले गया आज  घर परिंदों का,
इसे क्या पता कैसे बनाया था ये घोसला उन्होंने....
#YugalVani

वो गरीब बच्चे अब भी बिना "कपड़ो" के "जीते" है,
मगर यहाँ मिल जाता है "कफ़न" "मरने" वाले को
#YugalVani

जब जब याद आती है "माँ" की इन सरहद के जवानो को,
चूम धरती को और लगाकर माथे से मिटटी सुकून से सो जाते है वो
#YugalVani

रात में खिड़कियों से आज भी गाड़ियों की आवाज़ आती है..
न जाने ये बेचारे कौन लोग हैं ये ,जो अब तक पहुंचे नहीं कहीं ..
#YugalVani

"पैसे के लिए" माँ के एक ख़त ने,
दारु-सिगरेट सब छुड़ा दी उनकी...
#YugalVani

याद आती है पर दो लफ्जो की बात मुश्किल है
अब तो लिखकर ही सब..सब कुछ कहना पड़ता है... 
#YugalVani

यादें इस तरह बिखरी है तेरी फलक में,
जैसे खिलौने किसी छोटे बच्चे के फ़र्स पर...
#YugalVani

जहाँ में दर्द बेचना इतना आसान नही होता,
वर्ना यहाँ तो सब के सब व्यापारी ही होते...
#YugalVani

गाँव का शहर और घर का मकान बन चुका है इस जहाँ में,
अब कोई असरा मत रखना, रिश्तो की भी दुकाने खुल गयी है
#YugalVani


ढूंढ़ लाता है मुझे हर कोने से,
मेरा अकेलापन भी बांटने आ गया।
#YugalVani

बारिश की पहली बूंद की तरह थी मोहब्बत उनकी,
कुछ लम्हों तक ही रही चेहरे पर फिर ढह गयी वो...
#YugalVani

कौन कहता है मौत किसी का इंतजार नहीं करती ?
तेरे जाने के बाद से अब तक आने की उम्मीद में बैठी है...
#YugalVani

गुस्ताखी भी ऐसी क्या हुयी मुझसे, जो लोग इतना जलते है...
जहाँ में अकेला मई नहीं हूँ मई जिसने मोहब्बत की हो... :)
#YugalVani

इतनी चुप चाप सी मत रहा करो...
कानों का शोर दिल को चीर जाता है
#YugalVani

आज गाँवो में जिसके खेत "सूखे-सूखे" से थे,
दिल और आँखों में "नमी" भी उसी के थी...
#YugalVani

तिनका तिनका जोड़ कर बनाया था बसेरा उसने,
फिर भी लोग कहते है खाली है झोपड़ा उसका...
#YugalVani

"दिल" तो हैरान है फिर से एक और "धोखा" खाकर,...
मै हैरान हूँ "कम्बखत अब तक हैरान होता है " देखकर...
#YugalVani

ये जो जलेबी की तरह उलझ गयी है जिंदगी,
चलो इसे लेकर कही चासनी में डुबोते है...
#YugalVani

जिंदगी में बात अब यूँ ही नहीं बनती...
रोजाना  वो बरसते है और मै  भींगता..
#YugalVani

कितने सलीके से रखता था किताबो को बस्ते में वो बचपन,
आज हम बड़े हुए है, जिनसे खुद की जिंदगी नहीं संभलती...
#YugalVani

आजकल रिश्ते भी टेलीफोन हो गये है,
सिक्के डालो तभी बात होती है इनसे...
#YugalVani

कौन कहता है माँ के हाथो में जादू नहीं है, देखा नहीं...
टिफिन तैयार हो जाता था, स्कूल बस का हार्न बजते ही.. .
#YugalVani

उसनेचीनीकेडब्बेमेंकुछपैसेछिपारखेथे,
"माँ" ने'युगल' केख्वाबऐसे "पका"  रखेथे...
#YugalVani

दिनभरजबलोगोकीसुन-सुनकरछकजाता,
एकवोलोरी "माँ" कीरातबनादेतीथी...
#YugalVani

माँकीममतानेनजानेकैसेकैसेहिसाबलगाया,
पानीयाकैसेभीदोनोबच्चोकोदूधपिलाया.
#YugalVani

बीमारमाँ "कोकभीकभीयेदवाभीदीजिये...
जबजबभीमिलेबसदिलसे "मुस्करा" दीजिये..
#YugalVani

आजभीजबघरलौटामै, दरवाजेपरहीपायाउसे...
नजानेकैसेवोअपनेघुटनोंकादादरछुपातीहै...
#YugalVani

गाँवसेनिकलबेटा "कलेक्टर" तोबनगया,
मगरइनसबमे "माँ" के "झुमके" नहींरहे...
#YugalVani