आतंरिक अंको(Internal Marks) की समाप्ति आवश्यक ..


शिक्षा विभाग को चाहिए की विद्यालय या विशाव्विध्यालय से छात्रो को मिलने वाले आतंरिक अंक (Internal Marks ) को समाप्त कर एक और सराहनीय कदम उठाये !
हाँ इस कार्य में अनेक वधाएँ जरुर आयेगे, अनेक विरोध भी होगे और कुछ छात्र और शिक्षक व्यक्तिगत रूप से आहत भी होगे ,परन्तु यह संख्या पक्ष के लोगो से कम ही होगी और यह कार्य विद्या एवं विद्यार्थी हित में होगा ! वर्तमान में विद्यालय व विश्वविद्यालय में इन अंको (marks) के कारण एक लम्बी राजनीती होती है जो छात्र एवं अध्यापक दोनों के लिए हानिकारक है , कभी इस राजनीती में कोई शिक्षक किसी विद्यार्थी को शिकार बनाता है तो कभी खुद कोई शिक्षक इसमे बलि चढ़ जाता है !
हाँ यह सत्य है की विद्यालय य विश्वविद्यालय में छात्रो व शिक्षक के सम्बन्ध अच्छे होते है पर ये सम्बन्ध सभी के साथ अच्छे नहीं होते है!
कभी कोई शिक्षक किसी विद्यार्थी को किसी व्यक्तिगत कारण की वजह से अंक(marks) कम देकर बलि का बकरा बनाता है तो कभी कोई विद्यार्थी अनेक असम्मानानीय कदमो को उठाकर अच्छे अंक(marks) प्राप्त करना चाहता है जो शिक्षक और शिक्षार्थी के संबंधो की गरिमा को ढेस पहुछाता है !
वास्तविकता तो यह है की कोई छात्र इन आन्तरिक अंको(Internal marks) के लिए कोई मेहनत ही नहीं करना चाहता है बस वो मेहनत करता है तो शिक्षक से अच्छे सम्बन्ध बनाने की जो उसे शिक्षक की नजरो में ले जा सके ! और अच्छे अंक(marks ) दिलाने में सहायता कर सके !
हमें आन्तरिक ह्रदय से सोचना चाहिए की आखिर इन अंको का क्या महत्त्व जिनके लिए इस तरीके की राजनीती खेली जाती हो !
विद्या ,विद्यार्थी और विद्यालय एक ऐसा मंदिर है जहा सरलता ,शीतलता जैसी पूज्य सामग्री को लेकर प्रवेश करते है फिर ऐसा जानते हुये भी क्या हम इसका उपहास बनाए में आनंद प्राप्त करते है वो भी ऐसा उपहास जो हमें खुद को सोचने पर मजबूर कर दे !
अलग अलग सस्थानो द्वारा अलग अलग प्रणाली से आन्तरिक अंक(Internal marks ) प्रदान किये जाते है जिससे कभी छात्र को संतुस्ती तो होती ही नहीं है तब ऐसी स्थिति में हमारी केंद्र एवं राज्य सरकारों के शिक्षा मंत्रालयों को चाहिए की समाज को समाज के सामने अपने आप को पठनीय बनाने वाली शिक्षा को कुछ नया दे उसे ऐसे आवाम प्रदान करे की विद्या इस भ्रष्टाचार से बच जाये !आन्तरिक अंको(Internal marks) को समाप्त करके पूरे मुल्यांकन को वाह मुल्यांकन में परिवर्तन ही इसका एक हल नजर आता है !
इस मुल्यांकन के जरिये वास्तविक प्रतिभाये तो उभर के आयेगी ही साथ में छात्रो में ज्ञान में भी ब्रद्धि होगी !!!!
आशा है हमारी सरकारे इस विचार पर विचार जरुर करेगी !!!!!!!!!!!