आज फिर मजाक बना है, उसके गाँव का एक किसान मरा है...

आज फिर मजाक बना है, 
उसके गाँव का एक किसान मरा है, 
कल तक जब 
कड़-कडाती धूप,
थर-थराती सर्दी,
गड-गड़ाती बरसात
में 
बिना गमझे, 
बिना छाता
बिना चप्पल 
बिना कम्बल 
पैदल उस खेत में जाता था,
जहाँ की दाल और अनाज 
से 
तुम्हारी थाली में खाना सजता है,
आज फिर उसका मजाक बना है...
जब तक वो था,
उस पर सब भारी थे,
तुम्हारे खाने का मालिक होकर भी 
किसी मालिक का नौकर था,
कल सबके लिए खाना उगा पाए,
कभी कभी खुद भूखा सोता था,
तब कोई नहीं आया 
...मतलब कोई नहीं 
आज एक एक करके 
सब चिल्ला पड़े 
"उस गाँव में फिर एक किसान मरा है"
उसकी वजह से मरा है 
उसकी सरकार की वजह से मरा है 
ऐसे मरा है वैसे मरा है....
किसी ने नहीं छोड़ा आज उसे
आज फिर उसका मजाक बना है...
मजाक मजाक में सरकार ने 
मुआवजा देने को कह दिया,
जनाब बस पैसो में मत लगाओ उसकी कीमत, 
वर्ना कभी चुका नहीं पाओगे कर्ज उनका, 
वो अन्नदाता था तुम्हारा...
आज फिर मजाक बना है, 
उसके गाँव का एक किसान मरा है,
#YugalVani