सब कहा खो गए ?

सब कहा खो गए ?
कल की ही बात है
यहाँ एक खेत था
एक खलियान,
कच्चा घर और कुआँ था
गोरैया का एक घोसला था
नीम के उस पेड़ में
और आज,
आज न जाने
सब कहा खो गए ?

सुबह - सुबह ही देखा
बहु मंजिल मकान था
हजारो इमारतो के झुंड में,
दिन में 'दिन' तो दिखा
मगर रोशनी में अपना नहीं था कोई
आसमान पर परिंदा न था
मेहंदी की झाड़ियों में रंग न था,
शाम को जब घर गया
ख़ामोशी से डरा खामोश घर
इंतजार में था...
खिड़की खोली तो
छत नदारद थी
तारे तो थे असमान पर
मगर खोये थे कही अंजान रोशनी में...
कल ही की बात है
न जाने...
सब कहा खो गए ?
#YugalVani

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