“धरना-जेल-लाठियों” के बाद अरविन्द केजरीवाल के साथ एक अलग अनुभव : अंकुर मिश्र “युगल”

यद्यपि मै किसी आई आई टी से नहीं हूँ लेकिन फिर भी वहां था ! मेरे मित्रो को मेरी बातो से ये लगता है की मै भाजपा सामर्थी हूँ लेकिन फिर भी मै वहां था ! लेखनी की दुनियाँ में होने के बावजूद मेरा पत्रकारों से कोई ज्यादा सम्बन्ध नहीं है फिर भी मै वहां था ! कुछ तो कारण था जो मै वहां था, दिनभर की थकान और एक बड़े सेमिनार को ख़त्म करने के बाद भी मै वहा पूरी शक्ति के साथ वहां था ! आखिर कारण क्या था?

कारण था एक व्यक्ति जिसके पीछे पूरा देश चल पड़ा आखिर उसमे तो कुछ है ! जो व्यक्ति आज अमीरों की पंक्ति में खड़ा होकर आराम कर सकता था उसने अपने आप को दांव में लगाकर कुछ बदलने के लिए कदम उठाया ! जिसके पास आज एक ऐसी टीम है जो किसी भी प्रश्न का जबाब इमानदारी से देने में सक्षम है ! कुछ नहीं तो देश के लिए कुछ न कुछ करने में सक्षम तो है ही ! इस वजग से मै यहाँ था !



सेमिनार हाल में जाने से पहले मैंने अरविन्द केजरीवाल और रवीस कुमार से जिस तरह के अनुभव लिए उन अनुभवों के लिए मै यहाँ था! मैंने दोनों व्यक्तियों के बीच में खड़े होकर जो बाते की वो वास्तव में मेरे लिए मार्गदर्शक रहेगी ! सरलता और ओजस्विता से परिपूर्ण इन दोनों लोगो की बाते मुझे थोड़ा बहुत देश और लेखनी के तरफ तो जरुर ले जायेगी! वैसे तो मै अरविन्द केजरीवाल के साथ १६ अगस्त वाली क्रांति से जुडा हूँ लेकिन उस क्रांति के बाद कल ही उनसे मुलाकात हुयी! रविश कुमार को हमेसा टीवी में देखा था कल प्रत्यक्ष बात की, अतुभाव थोड़ा अलग तो था ही!
वैसे तो अभी तक मै इस आन्दोलन की १५ से ज्यादा संगोष्टिया में गया हूँ, देश के इस आन्दोलन के लिए जेल भी गया हूँ, लाठियां भी खायी है लेकिन कल जब अरविन्द केजरीवाल का स्वागत मैंने आई.आई.टी के १५०० से ज्यादा छात्रो की तालियों से देखा, सच में मेरे रोंगटे खड़े हो गए ! जो देश के लिए आधुनिक प्रद्योगिकी के सहयोग से देश का विकास और पैसा दोनों कम सकते है, ऐसे लोग भी आज देश की दुर्गति से परेशान हो चुके है उन्हें देश के लिए एक नया संचालक चाहिए, जो उन्हें विदेश जाने से रोके देश को सुपर पावर बनने में अपना सहयोग दे ! देश के सभी तरह के विकास के लिए एक अच्छी राजनीती की जरूरत होती है, अच्छी राजनीती एक अच्छे राजनेता से आती है और एक अच्छा नागरिक ही अच्छा राजनेता बन सकता है जो देश के लिए कुछ सोच सके, भ्रष्टाचार , जातिवाद समाजवाद के अलावा प्रगतिवाद के लिए भीं सोच सके !


अतः अंततः परिणाम यही आता है देश को एक विकल्प की जरुरत है जो आज की ग्रसित राजनैतिक विचारधारा के आगे कुछ सोच सके, विकास और सुपर पावर के लिए काम कर सके, केवल बाते नहीं !