'आम आदमी पार्टी' को भारी-भरकम समर्थन : 'जनता' की उम्मीदों के एक लम्बी लिस्ट...

ऐसी जीत तो नसीब वालो को भी नसीब नहीं होती ! वजन में देखे तो बहुत ही भारी, लम्बाई में बहुत लम्बी, उचाई में बहुत ऊँची और संख्या में बहुत ही ज्यादा ! ऐसी जीत जो हिंदुस्तान के केंद्र से निकली है अच्छे वर्तमान और उज्जवल भविष्य बनाने के लिए प्रेरणादायी है ! भारतीय लोक्तातंत्र की महाराजा जनता ही है जिसे आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जो भारी-भरकम बहुमत लेकर सिध्ध कर दिया ! आप जीत रही है इसके संकेत तो कई दिनों से मिलने लगे थे लेकिन विरोधी दलों का लगभग पूरी तरह सफाया हो जाएगा यह उम्मीद तो खुद आप नेताओं तक को नहीं थी। किसी के लिए एक ‘विजय’ तो किसी के लिए एक परिवर्तन, मगर दिल्ली के लिए एक अच्छी सरकार की बस एक चाह... दिल्ली की जनता पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जिस प्रयोग को शुरू किया था उसे इस बार वह पूरे दिल से सिरे चढ़ाना चाहती थी। कुछ महीनो पहले एक पार्टी को असमान पर पहुचाया तो इस बार बुरी तरह दिल्ली से अस्तित्व ही ख़त्म कर दिया ! इतना बड़ा समर्थन मिलने का हाल-फिलहाल का कोई उदाहरण हमारे सामने नहीं है। भाजपा यह कह सकती है कि प्रतिशत के मामले में उसे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सच यही है कि जिस समय दिल्ली में ध्रुवीकरण हो रहा था उसका मत-प्रतिशत अपनी जगह ठिठका खड़ा था। कम से कम दिल्ली में तो भाजपा नए मतदाता वर्गों को अपने साथ जोड़ने में नाकाम रही। लेकिन कांग्रेस में तो अपने डूबते जहाज को बचाने की बेचैनी भी नहीं दिखी !



मै अपनी नजर से देखू तो अरविंद केजरीवाल को मिलने वाला यह भरपूर समर्थन, दिल्ली की जनता की उम्मीदों की लिस्ट है ! इतने भारी मत प्रतिशत का अर्थ है कि उन्हें तकरीबन सभी वर्गो और क्षेत्रों के मतदाताओं ने भारी उम्मीद बांध कर वोट दिए हैं। हर वर्ग और हर क्षेत्र की उनसे बांधी गई उम्मीदें अलग-अलग हैं, यही वह जगह है जहां से उनकी समस्या शुरू हो सकती है। कोई विपक्ष नहीं, कोई परेशां करने वाला नहीं बस एक परेशानी होगी तो केंद्र सरकार का समर्थन ! और अगर इस बार जनता की उम्मीदों में खरे नहीं उतरे तो, जनता है जीरो से हीरो और हीरो से जीरो बनाने में वक्त नहीं लगाती ! सबसे बड़ी मुश्किल घोषणापात्र के वादे है, इन वादों में हर वर्ग को उम्मीदे है भ्रष्टाचार का मुद्दा है जिससे सत्ता हासिल करना आसान हो सकता है लेकिन भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने का काम काफी जटिल होगा ! वास्तव में आप कितना कामयाब होगी, अभी नहीं कहा जा सकता मगर पुराने राजनैतिक दलों से अच्छी होगी इतना जरुर कह सकते है ! दिल्ली के इन नतीजों का असर आने वाले समय में भारतीय राजनीति में दिखाई पड़ सकता है। बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनाव जल्दी ही आने वाले है ! बिहार के विधानसभा चुनाव तो इसी साल दिसंबर में हैं और उसके लिए बिसात भी बिछनी शुरू हो गई है। मांझी और नितीश कुमार का खेल, लालू के पंगे सब शुरू हो चुके है ! दिल्ली  चुनाव से देश के प्रधानमंत्री (भाजपा प्रचारक) नरेंद्र मोदी को बहुत उम्मीद थी, मगरनकारात्मक परिणामो ने सब धुंधला कर दिया ! बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनावों को भी वे अपनी पुरानी शैली और अपने पुराने रुतबे से ही लड़ना चाहेंगे ! लेकिन इस बार जब वे मैदान में उतरेंगे तो अक्षत विजय गाथा वाले नायक नहीं होंगे। दिल्ली में भाजपा की हार उसके विरोधियों को नया हौसला तो देगी ही। और अगले साल तो कई विधानसभाओं के चुनाव होने हैं।

आज आप के मयंक गाँधी ने बोल भी दिया की आगे के कुछ समय वो एमसीडी के चुनाव लड़ेगे ! अब यह लगभग  भी तय है कि दिल्ली की जीत के बाद आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल अपने प्रयोग को अखिल भारतीय स्तर पर आजमाने के लिए भी जुटेगी। खुद पिछले लोकसभा में नाकाम रहने के बाद और फिर देश में मोदी सरकार की असफलताओ के बाद यह ध्यान रखने की बात है कि दिल्ली में आप को असली कामयाबी अपने दूसरे प्रयास में ही मिली है ! जिससे भाजपा की तरफ जनता की नाराजगी और आप की तरफ झुकता लगाव एक मजबूत लोकतंत्र के अंकुरण का प्रतीक है !