"जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा वह भारत देश है मेरा ! को दोबारा सत्य करना है आज हमे यह गीत बदला हुआ नजर आ रहा है हम आज कह भी सकते है "जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती दी बसेरा वह भारत देश था मेरा !
अब आप सोचिये जब एक ७५ वर्षीय बृद्ध व्यक्ति इस समस्या को समाप्त करने की पहल कर सकता है तो क्या हम नहीं हम तो अभी जवान है! आप अपने आतंरिक ह्रदय से पूछिए क्या आपको भ्रस्टाचार अच्छा लगता है??और हाँ आप यह जबाब मत दीजियेगा की "भ्रष्ट तो सभी है हम क्या कर सकते है!!" क्योकि इस उत्तर से मै पागल हो चूका हूँ! हाँ इस तरीके के उत्तर वाले लोगो से मै बस इतना कहना चाहूँगा की यदि वो इसी तरह सोचते रहे तो वो दिन दूर नहीं है जब हा दोबारा किसी के अधीन होंगे!
आप सोचिये अब समस्या है तो समाधान भी होगा, हमें समाधान के लिए अंगे आना होगा, अंगे नहीं आ सकते तो जो अंगे आ रहा है उसका समर्थन तो कर सकते है, और यदि समर्थन नहीं कर सकते तो लोगो को तो जगा सकते है , यदि लोगो को नहीं जगा सकते तो शांत तो रह सकते है,यदि शांत नहीं रहा सकते तो बुरा तो मत बोलिए !!!
हाँ यदि आप या हम ये सब नहीं कर सकते तो हमसे या आपसे बड़ी समस्या कोई नहीं है !!
यहाँ केवल लोकपाल बिल की बात नहीं है, यह केवल स्विस बैंको में जमा धन की बात नहीं है, यह कोड़ा, कलमाडी, राजा या रानी की बात नहीं है यह देश की बात है यह उस "सोने की चिड़िया" की बात है जिसे यहाँ के कुछ तानाशाहों या मंद्बुध्धियों ने आपने को स्वर्ण बनाने के लालच में खोखला कर दिया है!!
अब सोचिये मत अपना कदम बढाइये, अन्ना हजारे जैसी क्रांतिकारियों की आज देश को जरुरत है,यह तो "आज" की सुरुआत है यदि आपका ,हमारा और उनका साथ रहा तो अंगे अंगे देखिये होता है क्या ???
