राष्ट्रपिता ''बापू'' के नम एक पत्र ............................


पूज्यनीय बापू ,
सादर चरणस्पर्श ।
हम इस कर्मभूमि पर दुरुस्त है और आशा करते है की आप भी अपने संसार में दुरुस्त होगे ! आपकी याद में देश सूना सा होता जा रहा है !
देश के संचालक देश्वशियो की परवाह नही करते है उन्हें तो विकसितो
और अमीरों को और विकसित और आमिर करना है ! देश की गरीबी , देश की सुरक्षा , देश के स्वाभिमान , देश के गौरव की उन्हें परवाह नही है!
आपके के लिए दुखद समाचार है की आपका ''नमक कानून '' निरर्थक सा होता जा रहा है ! आपके द्वारा दिए गए
हथियार ''सत्य'' और ''अहिंषा '' के बारे में तो आपको पता ही होगा की इन हथियारों को तो विदेशियों को बेच दिए है !आपका रामराज मुझे वास्तविक धरातल में लागू होता मुमकिन नही दिख रहा है ,,क्योकि आज की दुनिया और आज की राजनीती में ''रामराज '' का मतलब कुछ दूशरा ही
है !
आज यहाँ न तो न्याय है और न ही समानता और आदर्श आचरण की तो कोई गुनजिस नही है १ चारो ओरबश एक ही होड़ है .........
=>मेरी जात तेरी जात से उची है;
=>मेरा धर्म श्रेष्ठ है;
=>मई तुमसे अच्छा और सच्चा हू
=>मेरा स्तेतश तुमसे बड़ा है;
=>मई सर्वश्रेष्ठ हू!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
आपको उपर्युक्त बाते जानकर कास्ट तो होगा क्योकि आपका देश आज एक विलक्षण स्थिति में है लेकिन आज अहि सत्य है ,यह सत्यता तो क्षणिक है वास्तविकता तो अद्भुत है ! बापू अब एपी का ही सहारा है ,कृपया अपनी शक्तिया हमारे अन्दर शामाहित करे !
अंत में एक दुर्लभ बात बताना चाहूगा की अमेरिकी राष्ट्रपति ''ओबामा दादू ''आपको खाने पर आमंत्रित करना चाहते है लेकिन मेरी आपसे गुजारिश है की एपी उनका अमात्रं जरा सोच-विचार कर स्वीकार करियेगा कही इसमे भी उनकी कोई कूटनीति न हो !
धन्यवाद ,पत्र संभाल के रखियेगा ! शेष अगले पत्र में .......................
आपका
अंकुर मिश्रा "युगल''