दिल्ली के दिल से लखनऊ और अमेठी के लिए रवाना कुमार विश्वास......

ग्यारह जनवरी की तारीख थी डाक्टर साहब दिल्ली के दिल से निकलकर लखनऊ जाने के लिए ट्रेन में सवार हो चुके थे! लखनऊ अमेठी और दिल्ली के बीच में पढता है है उत्तर प्रदेश की राजधानी भी है इस वजह से उन्होंने बीच में एक ठहराव लिया, आप टीम और कुछ प्रेस के मित्र वहां उनका उनका इन्तजार कर रहे थे, स्टेसन में विशाल भीड़ उमड़ी थी लेकिन ये पता नहीं था ये जनता किसे देखने आई थी, एक कवी को?, एक समाज सेवी को? एक प्रोफ़ेसर को? या फिर एक नेता को?
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है......
की पक्तियों से जिसने देश को अपना आशिक बना लिया आज वो समाज सेवा के लिए मैदान में उतर चूका था! मैंने व्यक्तिगत रूप से डाक्टर साहब की सभी कविताओ को गहनता से पढ़ा है, उनकी कविताओ में प्यार, देश प्रेम और जोश का संगम है! अतः आप कह सकते है एक कवी के रूप में तो मई भी उनका प्रेमी हु! उसके बाद अन्ना के जुनूनी क्रांति के समय उनसे मिलाने का पहला मौका मिला एक बड़ी वार्तालाप के बाद पाया की डाक्टर साहब केवल कविताओ से नहीं दिल से देश सेवा का जज्बा रखते है इसलिए मै उन्हें समाज सेवी के रूप में भी अनुसरित करने लगा !



इसके बाद जब जब भी उनसे मिला एक अजीब सी उर्जा शारीर में आने लगी, प्रतयेक नयी मिलाकात में कुछ न कुछ नया सीखने को जरुर मिलता रहा !
मेरे इस अनुभव के आधार पर मै तो मानता हूँ लखनऊ की वो जनता देश में परिवर्तन की गुहार के साथ उनके स्वागत करने के लिए इकठ्ठा हुयी थी, अक ऐसी जनता तो प्रदेश की सपा और बसपा रुपी सर्कार से और देश में भाजपा और कांग्रेस रुपी सरकार से त्रस्त हो चुकी है ! भ्रष्टाचार और सुरक्षा के लिए चिल्ला चिल्ला कर थक चुकी है ! ऐसे में एक नए विकल्प को ही जनता ने अपना भविष्य समझ लिए है ! तो कह सकते है इतनी जनता का आना लाजमी था !
डाक्टर साहब के लखनऊ पहुचने के बाद पत्रकारों और जनता का इंतज़ार ख़त्म हुआ, आप की नीतियों पर विचार विमर्श शुरू हुआ.... तभी अचानक एक व्यक्ति की उत्दंटता शुरू हुयी और पूरे वार्तालाप को तितर वितर कर दिया यह उनकी विरोधी डालो में से एक था कभी जिनके फ़ोनों में डाक्टर साहब के गाने चला करते थे, जब डाक्टर साहब इनके विरोधियो को कुछ कहते थे तो ये इनके समर्थन में ताली बजाते थे लेकिन जब इन्ही के फर्दाफास में डाक्टर साहब मैदान में आये तो ये परेशान हो गए और अराजकता का साथ लेने लगे... लेकिन ये भूल जाते है की इन सब से कुछ होने वाला नहीं है आम आदमी जाग चूका है उनकी आवाज जाग चुकी है आपके खुद के दलों से लोग आप का समर्थन कर रहे है, आपके काम के गुड़गान गा रहे है, ऐसे में आपका कुछ भी आम आदमी का कुछ भी नहीं कर सकता...
खैर इसके बाद भी डाक्टर साहब पत्रकारों से बात करते रहे और जबाब देते रहे वार्तालाप ख़त्म हुयी लखनऊ को धन्यवाद देते हुये कुमार अमेठी के लिए रवांना हुए रस्ते में ठण्ड का आनंद और ट्रेन का अँधेरा उनके दिमाग में कई प्रश्न लता रहा, अमेठी में क्या होगा? जनता का रुख क्या होगा? क्या इस परिवर्तन में वो साथ होगे? क्या देश विकास में वो एक आम आदमी के साथ होगे?........ आदि अनेक प्रश्नों के साथ डाक्टर साहब अपने मित्रो के साथ अमेठी पहुचे, अमेठी में आप के लिए जो समर्थन था वो वास्तव में केवल एक ब्लॉग में नहीं लिखा जा सकता... किसी के खुद के घर के लोग इतने नाराज हो सकते है यह आप अमेठी में जाकर देख सकते है अमेठी की जनता अपने ही राहुल गाँधी और गाँधी परिवार से किस तरह से नाराज है उसका अंदाजा इस भीड़ और समर्थन से ही लगाया जा सकता है...

डाक्टर साहब की अमेठी यात्रा का पूरा वर्णन अगले ब्लाग में जरुर पढ़े....