न जाने क्यों इतनी उदास है 'वो'

न जाने क्यों इतनी उदास है 'वो'
उसे नहीं पता क्या कितनी खास है 'वो'
उसे तो सिर्फ मोहब्बत है मुझसे
उसे न जाने क्या क्या तलाश है तुझसे
न जाने क्यों इतनी उदास है 'वो
ये खेल मोहब्बत का बस
एक 'हम' के एहसास में है
ये न तेरे 'खुद' की साँस में है 
और न ही उसकी प्यास में है...
न जाने क्यों इतनी उदास है 'वो
उसे नहीं पता क्या कितनी खास है 'वो'
आसमान के एक 'अधूरे' चांद की
'पूरी' ख्वाहिश में बैठी है क्यों तू ?
खाली मन और निडर वदन लिए,  
क्यों काली रात में बैठी है तू ?
न जाने क्यों इतनी उदास है 'तू'
तुझे नहीं पता क्या कितनी खास है 'तू'




जिंदगी की डगर में रोज खेलते थे तुम
अब 'युगल' न हुआ तो क्या हुआ
तुम ही हम बनकर खेल लो अब ये खेल
उदासी खोकर तुम्हे 'तुम' पाने में मजा आयेगा
तुम्हे नहीं पता क्या कितनी खास थी 'तुम'
आजमा के देख लो नव अंकुर'ण को,
न जाने क्यों इतनी उदास है 'वो'

उसे नहीं पता क्या कितनी खास है 'वो'
#YugalVani