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दुनिया का हर देश एक ही मुद्दा रखता है “विकास” !!
कहने को तो ये मुद्दा भारत में भी है और राजनेताओ की सुने तो वो कहते भी है की हमारी पार्टी देश के “विकास” को लेकर बहुत चिंतित है लेकिन यह वाक्य कितने सही है और कितने गलत ???? ये एक यहाँ का निवासी ही बता सकता है !यह किसी विशेष राजनैतिक दल की बात नहीं है भाजपा हो !!
कांग्रेस हो !! माकपा हो !! सपा हो !! बसपा हो !! या और कोई सा भी राजनैतिक दल सभी के चुनाव के पहले या बाद की प्रक्रियाये एक ही तरह की होती है ये ऍम जनता को भी पता है !
आज की राजनीती ही देख लो चुनाव प्रचार की रैलियां जोरो पर है , चुनाव प्रचार के ऐसे सहारे लिए जाते जो वास्तव में अतुलनीय है ! पार्टी प्रवक्ता या पार्टी प्रचारक प्रचार में “विकास” शब्द छोरकर बांकी सभी अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करते है एक दूसरे के ऊपर आरोपो का प्रत्यारोपण जिनसे जनता का कोई मतलब नहीं है !! एक कहेगा “क्या उसने “मुझे” ये कहा तो ये ले मेरा “जबाब” ! जबाब की उस भाषा में होगा जो ये सिद्ध कर देता है की हमारे राजनेता कितने “शिक्षित” है ! वैसे भी भारतीय लोकतंत्र में ये नियम “पास” हो चूका है की कोई भी “क्रिमिनल” चुनाव लड़ सकता है अब इस भाषा से ये भी सिद्ध होता है की कोई भी “गवांर” चुनाव लड़ सकता है !!
क्या किसी राजनैतिक पार्टी का मुद्दा "विकास" भी है या फिर सबका एक ही मुद्दा है एक दूसरे के ऊपर पलटवार ??
क्या कोई उस 99% जनता की भी बात करेगा जो कुल संपत्ति के 1% में पल रही है या फिर उन्ही 1% की बात करोगे जो 99% संपत्ति के मालिक है ??
क्या अपने विकास की चिंता को छोड़कर 125 करोण लोगो के विकास के बारे में नहीं सोच सकते ??
अरे देश के आकाओ आखिर देश की जनता को समझते क्या हो ??
क्या भूल गए वो एक बार जग गई तो भारत हिल जायेगा, चुनाव में सम्भलियेगा जरा कही जनता जाग न जाये और आपका विकास रुक न जाये ??