''राष्ट्रिय एकता'' भारत को ''इंद''होने से बचा सकते है ......अंकुर मिश्र''युगल''



अखंड ज्योति के रूप में देदिव्यमन विश्वके विकसित राष्ट्रों की नजर वर्तमान के केवल और केवल भारत पर है यह यथार्तातः सत्य है क्योकि भारत ऐसा रास्त्र है जो पूर्ण रुपें सम्प्रभुत्व है प्रत्येक पहलु मजबूत है!लेकिन हमारी कमी जो अनादी कल से चली आ रही है ''आपसी फूट'' ! कहते है अनेकता में एकता का देश है भारत , लेकिन वास्तविकता को महसूस करिए समाज में चल रही भ्रस्ताचारिता से परिपूर्ण कुतनितियो को देखिये लोकतान्त्रिक भारत की रास्ट्रीय व राज्यीय सरकारों को देखिये ,लोगो के पारिवारिक क्लेशो को देखिये नगरीय, राज्यीय आपसी ladaiyo को देखिये , नजर डालिए उन पहलुओ पर जो भारत को अन्दर ही अन्दर खोखला किये जा रहे है और करिए एक दिन वह क्षण अवश्य आयेगा जब देश को देखने वाले देश के रखवाले बन जायेगे और हम उनके नौकिअर ! अतः अज की भारतीय स्थिति को सुधारने के लि कृष्ण , राम , हरीश्चन्द्र के जन्म लेने इ नहीं बल्कि उनके आदर्शो पर चलने वाला बनाकर भारत की ''इन्दीयस्थिति को बचाया जा सकता है ! रास्ट्रीय एकता केवल वह शब्द है जो हमारी प्रत्येक समस्या का निदान है , गरीबो के पेट का भोजन है ,बीमारियों की दावा है, बेरोजगार कारोजगार है ! अतः स्पस्ट है की रास्ट्रीय एकता द्वारा ही हम भारत को ''इंद''होने से बचा सकते है ......Ankur mishra ''Yugal''