वो नन्ही सी यादें

वो नन्ही सी यादें 
न जाने... न जाने कहाँ खो गयी
अंधेरे से उजाले में लाया
संवारा और निखारा था उन्हें
कुछ अंकुरि'त रिश्तों के भरोशे
वो आंगे बढ़ाया था उन्हें...
नन्ही यादें
बिन गम, बिन खता
हर चीज देख मुस्कुराई थी वो,
सपनो को सर पर चढ़ाकर बेठी थी
मगर बस कुछ देर
आसमान में कुछ सपने उड़े भी थे
मगर बस कुछ देर
चाँद सी सजी थी वो यादे... नन्ही
न जाने... न जाने कहाँ खो गयी
'युगल' यादें 'तेरी और मेरी'
यादों में बदल गयी
अब मै अकेला,
यादें अकेली...
दोनों लिपटे है,
एक दूजे के साथ
रात के डर और
पिघली यादो के लबरेज से..
वो नन्ही सी याद
न जाने... न जाने कहाँ खो गयी...
#YugalVani