''सत्य और साहित्य'' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ )
क्या बात है !! सरकार.... अंकुर मिश्र"युगल"
क्या बात है !! सरकार ,
फिर एक और "हार",
कहाँ व्यस्त हो आप,
कुछ तो सोचो जनाब !!
हम भी यहीं है,
आप भी यहीं है,
पर हम ही क्यों हर बार !!
बोले भी तो फिर वही,
हम कुछ करेंगे,
पर ये तो बताया ही नहीं
करेंगे पर कब करेंगे !!
हमें खैरात नहीं
अपना हक चाहिए ,
हमें वक्तव्य नहीं,
सुरक्षा चाहिए !!
कुछ तो करो !! सरकार ,
क्या आपको नहीं है हमारी जरुरत ,
यदि नहीं तो ठीक है,
पर किसी और को तो है,
उन "अंकुरो" की तो सोचिये,
जिन्हें है हमारी जरुरत !!
क्या लगते है आपके ,
"अफजल" और "कसाब"!
क्यों करतें है, उन पर
हमारा पैसा बर्बाद !!
कुछ तो बोलो !!! सरकार
आपको रोना नहीं आता,
पर सुनना तो आता होगा,
उन चीखो को तो सुनिए,
जिनमे दुःख होता है
अपनों को खोने का !!
कुछ तो करो !!सरकार!!
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