क्या विश्वकप में व्यक्तिविशेष की टीम खेलेगी ?? अंकुर मिश्रा "युगल"



आज जो विश्वकप के लिए क्रिकेट टीम का चयन हुआ है, उसमे कही न कही कुछ कमी महसूस हो रही ही !!
महीनो से क्रिकेट प्रेमी जिस खिलाडी की प्रतीक्षा कर रहे थे उस खिलाडी को टीम में जगह न मिलना अत्यन सोचनीय ही !जी हा मै बात कर रहा हू सबके चहेते "इरफान पठान" की जिन्होंने भारतीय टीम को अनेक मैचो में जीत क सवद चखाया ही और पने प्रदर्शन से क्रिकेट प्रेमियों का मन मोह लिया ही ,इन सबके बावजूद उन्हें टीम में जगह न दें किस बात को प्रदर्शित करता है !यदि हम उनके प्रदर्शन के बात करते ही तो ,हमें उन खिलाडियों को देखना चाहिए जिन्हें इए टीम में जगह दी गई है और उनका प्रदर्शन इरफ़ान पठान के सामने नगण्य है!!!उनका प्रदर्शन तो हमेसा सराहनीय रहा है ! कुछ मैचो में अच्छा प्रदर्शन न करना इस चयन के लिए उत्तरदायी नहीं हो सकता जिसमे पठान को जगह नही दी गई !!
इन सब बातो को सोचते है तो साफ नजर आता है की वजह कुछ और ही हो सकती है, हो सकता है वो धोनी को पसंद न हो,हो सकता है कोई चयन सिमित का सदस्य उन्हें पसंद न करता हो ,हो सकता है "धन" का मामला हो जिसकी वजह से उन्हें टीम में जगह न दी गई हो !!पर इन सब कारणों को देशवाशी और क्रिकेट प्रेमी स्वीकर नहीं करेगे ,हम भारतीय क्रिकेट को देखना चाहते है किसी व्यक्ति विशेष की टीम को नहीं !! बी.सी.सी.आई. को देशवाशियो को बताना होग की इरफान पठन जैसे खिलाडी को टीम में जगह क्यों नहीं दी गई !!

ओबामा गए पर एक वास्तविकता दिखा गए !! अंकुर मिश्रा"युगल"


आखिर महीनो से चर्चा में रहनी वाली बराक ओबामा की यात्रा का भारत को फायदा क्या हुआ !वो अपनी नीतियों को लेकर भारत आये थे और उन्होंने यहाँ उन्हें रखा ! हा उन्होंने हमें एक सोच जरुर दी की देश के अंदर कुछ भी हो रहा हो परन्तु राजनीती का मतलब हमेशा "विकास" होना चाहिए !हमने उनकी नीतियों को सुना क्या उन्होंने हमारी नीतियों के बारे में सोचा भी,उन्होंने यहाँ पर अपनी औद्योगिक विरासत सुरु करने की बात कही क्या हमने उनसे अमेरिका में एक दुकान खोलने की भी अनुमति मांगी !यहाँ सोचनीय यही है !
मै वहाँ के नेताओ की तारीफ करता हू की जहा भी जाते ही अपने देश के विकाश के बारे में ही सोचते है ! देखिये एक साथ "राष्ट्रपति" पद का चुनाव लड़ने वाले "बराक ओबामा" और "हिलेरी क्लिंटन" को दोनों विरोधी दलों से है, परन्तु आज दोनों मिलकर देश का नेतृत्व कर रहे है !और अब उनका मुद्दा वो हर जीत नहीं बल्कि देश का विकास है !यहाँ मै अपने देश की कमिय नहीं गिना रहा बल्कि एक सत्य का व्याख्यान कर रहा हू !यदि इस तथ्य पर हम जरा भी सोचते है तो आपको लगेगा यदि हम इसमे जरा भी अमल करे तो हमारा देश विकास के मार्ग पर एक धावक बन सकता है !

हम हमेशा इन क्षणों को यद् करेगें !!.Ankur Mishra"yugal"


जब राष्ट्र मंडल खेल शुरू हए थे तब इस संसार के साथ साथ हमने अपनों की टिप्पणियों का वो चेहरा देखा था जिसकी कोई तुलना नहीं हो सकती है,जिसका श्रेय हम किसे दे हमें भी नहीं पता ,उस "लेकिन" और "यदि" में किसका हाथ था पता नहीं ,अब हमें सोच कर करना भी क्या ! अब राष्ट्रमंडल खेल समाप्त हो चुके है! इसमे हमारे जीतने के साथ साथ आज हमारा देश "भारत" विजयी हुआ है !
हमने जो १०१ पदक जीते है, वो हमारे १२५ करोण भारतीयों को गर्व महसूस कराते है, उससे भी बड़े गर्व की बात यह है की आज हमने वो सफल कर दिखाया है जिसकी आलोचना हमने सम्पूर्ण विश्व से झेली है ,हमेशा यहाँ की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगाने वालो को हमने ऐसा "तमाचा" दिया है जो वो शदियों तक ध्यान रखेगा! हमारा देश हमेशा "करने" पर विश्वाश रखता आ रहा है! हमने ऐसा ही राष्ट्रमंडल खेलो में कर दिखाया है ! हमने विदेशी खिलाडियों को सम्पूर्ण सुख-सुविधाए दी है! उन्हें पूरी सुरक्षा दी है, उन्हें उनके घर का वातावरण दिया है ! घुमने की पूरी आजादी दी है ! हमें संवेदनशील बताने वालो ध्यान से सुनो वो दिन दूर नहीं है जब हम "ओलम्पिक" का आयोजन यही "भारत" भूमि पर करेगे और उस समय भी आपकी आलोचनाओ का इंतजार करेगे ! हाँ, हम इन खेलो के पश्चात सूनापन जरुर महसूस कर रहे है ,क्योकि हमारा "शेरा" अब हमारे साथ नहीं है , हमारे खिलाडी अब हमारे साथ नहीं है, हम हमेशा इन स्वर्णिम क्षणों को सजाकर रखेगे !!
हम हमेशा इन क्षणों को यद् करेगें !!!

अर्जुन के साथ सचिन का नया रूप- अंकुर मिश्र "युगल


जब आस्ट्रेलिया और भारत का दूसरा मैच खेला जा रहा था तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा की उसमे क्या होगा और क्या नहीं! यहाँ भारत ने २-० से मैच जीतकर इतिहास तो रच ही डाला ,और इसके साथ- साथ कई यादगार पल भी ऐतिहासिक बना दिए ऐसे पल जो दर्शको के साथ साथ ,खिलाडियों को भी हमेशा यद् रहेगे! क्रिकेट की दुनुया में रिकार्डो के बादशाह सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के भगवन तो है ही ऐसा हम सभी जानते है ,परन्तु हमेशा "नर्वस " ९० का शिकार होने के कारन उनके रिकार्डो की गिनती कुछ अलग सी लग रही थी !जरा सोचिये जिन भी मैच में वे "नर्वस " ९० का शिकार हुए है यदि उनमे उनके शतक होते तो रिकार्डो का नजारा क्या होता ! इनमे कुछ में सचिन की अनियमितता के कारन सफलता नहीं मिली ,और कुछ में उन्होंने "दबाव" में खेला लेकिन जिस तरह से सचिन का शतक यहाँ इस श्रंखला में देखने को मिला वह अत्यंत ही सोचनीय है और कहा जा सकता है अब सचिन पर "दबाव" का असर भी ख़त्म हो गया है !उन्होंने अपना शतक छक्के के साथ करते ही अपने बेटे की मनोकामना पूरी करने के साथ साथ करोणों आलोचकों की आलोचनाओ को भी ख़त्म कर दिया !कहते है कुछ समय पहले सचिन के बेटे अर्जुन ने अपने "पापा" से कहा था की "पापा" अप अपना शतक छक्का मारकर क्यों नहीं पूरा करते तब सचिन ने इस शतक के साथ अपने बेटे को जबाब दिया ,साथ ही अर्जुन ने भारत के गौरव को और गौरंवान्वित होने का नया रूप भी दिया है !!!
सचिन के इस नए रूप को सलाम ,साथ ही अर्जुन को धन्यवाद जिसने इस नए रूप को प्रेरणा दी !!!!

"रोबोट" के साथ एक नए युग की शुरुआत !!!!अंकुर मिश्र "युगल"



आज देश को विकास के लिए जिन महत्वपूर्ण तथ्यों की जरुरत है,उनकी पूर्ति के लिए हमारा "बालीबुड" भी आगे आता नजर आ रहा है !हाल ही में आयी "शंकर जी " के निर्देशन एवं "रजनी कान्त" के अभिनय की फिल्म "रोबोट" के जरिये जो चलचित्र समाज को दिखाया गया है इससे हमें कुछ सोचने पर विवस जरुर होना पड़ता है वो अलग बात है की विश्व के अनेक सिनेमा ऐसी फिल्मो को बहुत पहले से दिखाते आ रहे है ,परन्तु हमारे भारत में ये ऐसी पहेली फिल्म है जिसमे मानव, तकनीक के बारे में जरुर सोचेगा !दशको से चली आ रही बालीबुड जिसने अभी तक अधिकतर "प्यार","मोहब्बत" वाली फिल्मो का ही निर्माण किया है उसने "रोबोट" को बनाकर बालीबुड की नयी नीव राखी है !फिल्म के जरिये जो प्रदर्शन किया गया है वास्तव में सराहनीय है ,"इलेक्ट्रोनिक्स के प्रयोग से अभिनेता जिस तरह एक मानव सामान आकृति को तैयार करता है जो बाद में एक गलत आदमी के हाथ में पहुच जाने के कारन मानव की ही दुश्मन बन जाती है,सोचने के लिए बिबस जरुर करती है ,हमारे छोटे-छोटे बच्चो को फिल्म से बहुत कुछ सिखाने को मिलता है !
मै यह नहीं कह रहा की यह विश्व स्तर बहुत अच्छी फिल्म है, मै तो यह कह रहा हु की यह फिल्म भारत के लिए बहुत ही अच्छी है ,आधुनिकता का सन्देश ,आज पर विज्ञानं की पकड़,विज्ञानं के गलत स्तेमाल का नतीजा एवं भ्रष्टाचार रूपी अभिशाप को फिल्म ने दिखाकर एक मिशाल कायम की है जो शराहनीय है !!!!

सर्वश्रेष्ठ करने का सर्वश्रेष्ठ मौका !! अंकुर मिश्र"युगल"



३ अक्तूबर में प्रवेश करते ही हमारे इतिहास में नया इतिहास जुड़ने को तैयार खड़ा है,आज हम उन खेलो के आयोजन की सुरुआत कर रहे है जो हमरे लिए अदुइतीय है जिसमे १-२ नहीं बल्कि ७१ देशो के लगभग ५००० खिलाडी अपने अपने राष्ट्रों के लिए संघर्ष करेगे !
जब हमें इन खेलो के आयोजन की जिम्मेदारी सौपी गई थी तब से अब तक विश्व के कुछ राष्ट्रों को छोड़कर सम्पूर्ण विश्व ने हमारी निंदा की ,हमारे ऊपर टिप्पणिया की !पर वो शायद भूल गए हम वही "सोने की चिड़िया" वाले हिन्दुस्तानी है जिसने कभी आपका पेट "पला" है ,आपको ज्ञान दिया है ,आपमे सदाचारो का "अंकुरण" किया था ,और आज वो हमसे ही आंख मिलाने की कोशिश कर रहे है !हमारे १९५१ब के खेलो को भूल गए क्या !!
विश्व के वासियों हमारे काम करने के तरीके को समझो हम किसी काम का ढिंढोरा नहीं पीटते हमारे परिणाम हमारे कार्य को सर्वश्रेष्ठ सिध्ध करते है,और बताते है की हम वही अर्यवासी है !
और मै यहाँ यह बताकर ढिंढोरा नहीं पीट रहा बल्कि वास्तविकता बता रहा हूँ ! हमारे "राष्ट्र मंडल" खेल सर्वश्रेष्ठ होगे हमारी सुरक्षा को ढीला समझने वाले राष्ट्रों को पता होना चाहिए हम "शांति" प्रिय है, हमारा पहला हथियार "अहिंसा" है ,परन्तु अब यहाँ जरुरत पड़ी तो हम अपने दूसरे हथियार "हिंसा" का उपयोग हमारी शांति के विनाशको के ऊपर जरुर करेगे !
हम अपने राष्ट्र मंडल खेलो को सर्वश्रेष्ठ बनायेगे, हम १३० करोण भारतीय उन ५००० प्रतिभाओ का उत्साहवर्धन करेगे!हम सब उनके साथ है आज देश में हर नागरिक के अन्दर जोश और जज्बे का जो संग्रह है उससे हम निहाल हो जायेगे !

आज देश का प्रत्येक नागरिक मौका मिलने पर अपनी "भ्रष्टता" दिखने में माहिर है !!!!


अरे कब तक सुनेगे अपनों से ही की हमारा देश भ्रष्ट है ,हमारे neta भ्रष्ट है ,हमारा प्रशाशन भ्रष्ट है !, और यदि हैं भी तो बता किससे रहे हो उन्ही से जो इस कड़ी का एक हिस्सा है !आज यही तो समस्या है की खुद ने खुद को सोचने पर बिवस कर दिया है,देश के लोकतंत्र,प्रजातंत्र यहाँ तक की एक सामान्य मनुष्य ने भी इस जीवाणु से अपने अप को नहीं बचा पाया है!अरे हम विश्व में किस मामले में पीछे है १३० करोण लोग हमारे पास है जो विश्व की लगभग १७% जनसँख्या है ,हमारे पास सभी कच्चे पदार्थ प्राप्त होते है ,हम खनिजो से परिपूर्ण है ,हम प्राचीनतम विश्वगुरु है ,हम प्राचीनतम धनाड्य है फिर भी हम खुद से खुद में ऐसे जीवाणु को फैला रहे है जो देश के विनाश का मार्ग है ,और वास्तविकता पर ध्यान दे तो आज देश का हर नागरिक ,हर बच्चा मौका मिलने पर इस जीवाणु से हाथ जरुर मिलाता है !
सोचिये भ्रष्टाचार न होता तो "कला धन" जैसे शब्द आपको सुनाने को भी नहीं मिलता !अरे अप इस कड़ी से जुड़ते क्यों है अपने कार्य को जल्दी और सामान्य ढंग से बनाने के लिए , अप यही कार्य नियम-कानूनों के दायरे में रहकर करिए फिर देखिये आपको कितने लाभ प्राप्त होते है आपका धन बचेगा,आपका समय बचेगा ,आपकी प्रतिष्ठा बनेगी,आप विक्सित भारत को बनाने में अपना सहयोग देगे !!!!
अरे आप सुरुआत तो करिए सकारात्मक परिणाम आपको नजर आने लगेगें ! और जिस दिन इस ऐतिहासिक काम की सुरुआत हो गई उस दिन से ट्राफिक में खड़े हवलदार से लेकर देश को चलाने वाली बड़ी से बड़ी शख्शियत में इतनी ताकत नहीं होगी की वो "भ्रष्टता"के गलियारे घुसने की कोसिस कर सके!! और आज के भारत को देखते हुए हमें पूरा विश्वास है की वो दिन जल्द ही हमारी आँखों के सामने होगा ,क्योकि आज की युवा पीढ़ी में देश के उत्थान का स्वप्न साफ झलक रहा है!!!!!!!!!!

जनता मात्र वोट बनकर रह गई है आज की राजनीती में- अंकुर मिश्र"युगल"


एक विचार आपके विचार के लिए......
जी हा अब फिर एक तातीजा आ रहा है हमारे लिए "अयोध्या का फैसला" !अरे आज हम हिन्दू- मुसलमान एक दुसरे के इतने दुश्मन नहीं है जितनी हमारी सरकार हमें बनाती जा रही है! यदि वर्तमान की गतिविधियों को देखे तो सब शांति से चल रहा है कोई किसी परेशानी में नहीं है सिवाय महगाई के,वो भी हम हँसते हँसते झेल रहे है ,लेकिन अयोध्या मामले का फैसले की खबर से पुनः अशांति फ़ैलाने जो की कोशिश हमारी सरकार कर रही है वह वास्तव में "आज की भारतीय राजनीती" पर सोचने के लिए विवश करती है ! वो भी दशको से पड़े इस मामले का परिणाम तब देगे जब "हमारे स्वर्ग जैसे कश्मीर में परेशानिया छायी हुई है ", "कुछ ही समय बाद हम राष्ट्रमंडल खेलो का आयोजन करने जा रहे है ",क्या हमारी सरकार य न्यायलय को और कोई समय नहीं मिला था जिसमे इस परिणाम की तिथि घोषित कर सके ,अरे हम यही सोच लेगे की हमारा मंदिर या मस्जिद थोड़ी विलंभ बना ! पर विश्व में हमारी छवि तो बनी रहेगी हम खेल तो शांति पूर्वक निपटा सकेगे! हाँ यहाँ दूसरा ध्यान देने वाला बिंदु यह है की आखिर अयोध्या में सेना को लगाकर सरकार दिखाना क्या चाहती है,देश की सेना विदेशियों से सुरक्षा के लिए है या आपस में लड़ने के लिए !और हाँ देश के अन्दर हमें सुरक्षा की आवश्यकता खुद के लिए नहीं अपितु उनके लिए है जो हमारे यहाँ अपनी प्रतिभाओ का प्रदर्शन करने आ रहे है !!
यह तो केवेल एक बिंदु था जहा यह सिध्ध होता है हमारी सरकार हमारे साथ जब चाहे अपने वोटो का कोटा बढ़ने के लिए कुछ भी कर सकती है जो पूर्ण रुपें दृशनीय है !
आप किसी भी सरकारी क्रियाकलाप से ये देख सकते है की हम केवल वोट के लिए प्रयोग किये जा रहे है,वो चाहे नेताओ के चुनाव से पहले विकासक के वादे हो या फिर चुनाव के बाद की नेतागिरी !
अरे आप खुद सोचिये की.....
>> क्या वो धन वापस आया है जिसके लिए चुनाव से पहले वादा किया गया था (मेरा मतलब कला धन) !
>>क्या दशको से पड़े उन गरीबो का कुछ हुआ जो चुनाव में हमेशा भाग लेते है(उनका विकाश)!!
>>क्या उन नेताओ का कुछ हुआ जो हमारी माँ, बहनों को सताकर परिवार जानो को लूटकर मंत्रिमंडल में पहुछे है और जिनको कभी मंत्री पद न देने की बात कही गई थी!!!
>>अरे उनके लिए भी सोचिये जो अपनी जन को हमेश अपनी हंथेली पर लिए रहते है वो भी इस लिए की हमरे राजनेताओ,उद्योगपतियों को कुछ न हो, अरे उनके परिवार जानो के बारे में तो सोछो हमारे आकाओ!!!!
>>राजनीती की परिभाषा को यद् करो ,हाँ सब जानते है की किसी साम्राज्य के लिए महत्व पूर्ण इकाई है ,पर यद् करिए उसमे यह भी है यही वो शब्द है जो दो विभिन्न साम्राज्यों को संगठित करता है न की अपश में लड़ता है !!!!
इत्यादि हमें ऐसे अनेक बिंदु मिल जायेगे जो हमारी राजनीती को गर्त में पहुछा रहे है !
आप सोचेगे की इन बिन्दुओ को तो सब जानते है , हाँ सत्य भी है पर आप एक बार गंभीरता से विचार करिए आपको कुछ नकुछ कमी जरुर नजर आयेगी!
आशा है आप इस विचार पर विचार जरुर करेगे...

"घोर कलयुग का सामना करती राष्ट्रभाषा के विचार"..



आज मै इस तरह से अपने ही घर में लज्जित हो रही हो की किसी के सामने अपने दर्द का व्याख्यान भी नहीं कर सकती !पहले तो मुझे इस बात का कष्ट रहता था की आतंकवाद, नक्सलवाद अदि मेरी माता को लगातार कष्ट दे रहे है, लेकिन उस दर्द का एहसास मुझे नहीं होता था ! अज जब लोग मुझे ही मारने लगे तो मुझे लगा की देश पर आज वास्तविक खतरा मधरा रहा है !और उस कष्ट की अनुभूति हुई जो मेरी मातृभूमि सदियों से सह रही थी ! जब श्री अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में मेरे दर्शन सम्पूर्ण विश्व को कराये थे तो मुझे लग रहा था की मै भी अब इस सखा की सदस्य बन जाउगी !
लेकिन आज की इस व्यस्ततम दुनिया में मुझे नहीं लगता की मेरा वह सपना कोई पूरा कर पायेगा !जो करने वाला था वो असमर्थ हो गया है और जिसको सौपा गया था उसने मेरा विनाश करने की ठान रखी है! मुझे आज मेरी जन्मभूमि में ही कोई सरन देने वाला नहीं है कोई नहीं है जो मेरी दुःख भरी किलकारियों को कोई सुन सके !सब के सब मुझे कष्ट देने में लगे है.....................................................

आखिर इनकी क्या इच्छाए है जो ये मेरी बलि चढा कर पाना चाहते है !यदि ये मेरी वजह से कष्ट में है तो मुझसे कह दे तो मै अपने भाइयो,माताओ, गुरुओ,और देश्वशियो के लिए अपना भी बलिदान कर दुगीं ! lekin मुझे ऐसा भारत चाहिए जो विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र हो जिश्मे तनिक भी बधाये न हो !
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"घोर कलयुग का सामना करती राष्ट्रभाषा के विचार"
प्रस्तुतकर्ता-- अंकुर मिश्र ''युगल''
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अरे हम बंदी किसके थे जो हमें कोई आजाद करेगा हमने तो उन्हें केवल व्यापर के लिए चंद समय और जगह दी थी..

अरे हम बंदी किसके थे जो हमें कोई आजाद करेगा हमने तो उन्हें केवल व्यापर के लिए चंद समय और जगह दी थी...


आखिर आ ही गया हमारी स्वतंत्रता का ६४वा वर्ष !
चलिए हम जरा विचार करते है की हमने , हमारे भारत के लिए इन ६४ वर्षों में कितने महान कार्य और कितने सराहनीय कार्य किये है, जिनसे हमारा और हमारे मुल्क का विकाश हुआ है!
जी हा हम कह रहे है अब ६४ वर्ष जो अब बीत चुके है जो बहुत ज्यादा होते है, आजकल तो एक मनुष्य की उम्र भी नहीं होती इतनी ....
फिर भी हम उनसे पीछे क्यों है, क्या हमारे पास संसाधनों की कमी है ,क्या हमारे पास तकनीक की कमी है ,क्या हमारे पास दिमाग की कमी है ,क्या हमारे पास शक्ति की कमी है???नहीं हम किसी में भी काम नहीं है !हम एक अरब से ऊपर है जो महान शक्ति का प्रतीक है ,विश्व के सर्वोच्च कोटि के डॉक्टर ,इन्जीनिअर,प्रयोग्शाश्त्री यही से होते है जो महान दिमाग के उत्पत्ति के सूचक है ,विश्व के महान तकनिकी संस्थानों के नायक भारतीय है जो महान तकनीक का सूचक है जब हमारे पास इतना सब है तो हम उनसे पीछे क्यों है !
और छोडिये आज जिस कम्पूटर पर सारा विश्व चलता है उस कम्पूटर को चलने वाला"शून्य" हमारी ही देन है,इस विश्व को पढना -लिखना किसने सिखाया है -हमने ,तभी तो हम एक समय पर विश्व गुरु थे और आज नहीं है इसका कारण क्या है !!!!!!!
क्या आपको नहीं लगता की केवल हमारे विचारो के कारण ही हम विश्व से पीछे है एक समय पर हम विश्व गुरु थे और आज हम सैकड़ो में भी नहीं आते !
एक समय पर हमारे पास वो अस्त्र - शश्त्र थे की हम पूरी दुनिया को हिला सकते थे और आप अपनों से ही हिल रहे है ! इस दुनिया को हमने ही उस श्रृंखला में लाके खड़ा किया है की वो अपने अधिकारों को ले सके हाँ ये सत्य है की उसने हमें छल से घायल कर दिया था पर यह तो सोचनीय है की ६४ वर्ष में तो अच्छा से अच्छा घाव सही हो जाता है फिर हम तो केवल चोटिल थे अरे आप और छोड़िये अपने पडोसी "जापान" को देखिये वो तो मृत्यु के दरवाजे से निकला था पर आज पूर्ण रूपेण विकसित है हाँ वहा के लोगो में अभी तक घाव है पर उन्होंने अपने देश के घाव को सही कर दिया !
अरे हम उसी को आदर्श बना कर चल सकते है आखिर हमारा अच्चा दोस्त है वो!
वहां भ्रष्टाचार नहीं होता ,वहा के नेता अपने देश का धन दुसरे देशो में जमा नहीं करते ,वहां के नागरिक दुसरे को पतन पर नहीं बल्कि खुद को उन्नति के मार्ग ले जाने का प्रयास करते है ,वहा वर्ष में हजारो चुनाव नहीं होते,अरे वहा हर उस मार्ग को चुनते है जिससे आज के आवश्यक तथ्य "समय और धन" की बचत हो सके और उसका उपयोग अन्य किसी कार्य में कर सके !आखिर ये संभव कैसे है --- केवल और केवल उनके विचारो के कारण उनके विचार उनके देश के साथ है वो देश को सोचकर कोई कदम उठाते है !क्या वो कुछ अलग करते है ,क्या वो खाना नहीं खाते ,क्या वो सोते नहीं है ,क्या वो लड़ते नहीं है ??????
जी नहीं ये सब उनके यहाँ भी होता है अरे ये तो दैनिक जीवन के क्रिया कलाप है सब कोई करता है !!!!!!!! हाँ पर ये तथ्य है की वो केवल इन्ही कारणों से सबसे आगे है क्योकि वो सभी कार्य एक अलग तरीके से करते है ;उनका कार्य को करने का हर तरीका अलग होता है !अद्वितीय होता है!!!!!!!!!!
जी हा ये सब हम भी कर सकते है और सारे तरीके हमारे पास भी है क्योकि हमारे पूर्वजो से ही इन्होने लिए है.....लेकिन आज समस्या यही है की अह हम खुद को भूल चुके है और इसी का परिणाम हमारा देश और हम भुगत रहे है ,और हमी कहते है हम आजाद नहीं है """अरे हम बंदी किसके थे जो हमें कोई आजाद करेगा हमने तो उन्हें केवल व्यापर के लिए चंद समय और जगह दी थी पर ये "सत्य" है की हमारे विचारो को कुलीन इसी समय ने किया है !!!!!!
हाँ यदि हमने अभी से ही अपने विचारो पर विचार करना सुरु कर दिया तो विश्व की कोई ताकत हमसे आँगे नहीं हो सकती....

अभी इतने भी प्रागैतिहासिक मत बनो यारो की कल के बलिदानों को ही भूल जाओ ......


अभी इतने भी प्रागैतिहासिक मत बनो यारो की कल के बलिदानों को ही भूल जाओ ,अरे काम से काम उन्हें तो याद कर लो जिनके कारण आज तुम खुले असमान के नीचे खेल रहे हो !!!!!!!!!!!!!!!!!
....बैलेंटियन दिवस ,मैत्री दिवस य और कोई ऐसा ही दिन होता है तो भारत के महान निवासी एक-दुसरे को बढ़िया देने में जुट जाते ,वो भी एक-दो दिन पहले नहीं बल्कि पंद्रह बीस दिन पहले से !जी हा यही कार्यकलाप है हमारा !!!!!!!
हम बात कर रहे है हमारे स्वतंत्र भारत की वर्षगांठ की जिसके मात्र ५-६ दिन शेष है उसकी किसी को चिंता नहीं है ,लोग सोचते है आने दो उस दिन झंडा लहरा लेगे ,लोगो से पुराना इतिहास सुन लेगे,लालकिला पर प्रधानमंत्री का भाषण सुन लेगे बस हो गया १५ अगस्त लेकिन हमारी महान हस्तियों जरा ये भी तो सोचो की इस १५ - अगस्त को मानाने के लिए हमें कितनी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ी है क्या यही कठिनाइया आपके बैलेंतियन दिवस य मैत्री दिवस को मानाने के लिए झेलनी पड़ी है ,मई बताता हु जी नहीं !!! इन सब दिवसों के कारणों पर जायेगे तो पता चलेगा की कोई दिवस इस्सलिये मनाया जाता है की इसनइ इसको शादी के लिए आमंत्रित किया था ,जैसा की आज भी करते है !!
किसी दुसरे दिवस पर जायेगे तो पता चलेगा की वो इस दिन समुद्र में कूड़ा था ,जैसा आज भी होता है ,, रहा होगा कोई कारन.........
किसी अगले पर जाते है तो पता चलेगा की इस दिन उसका लड़का पैदा हुआ था जैसा की आज भी होता है !!
तो फिर आज क्यों नहीं सुरु कर देते इन दिनों को धूम धाम से मानना ....
मनाओ हम ये भी नहीं कहते है की अप इन्हें बिलकुल ही मत मनाओ बल्कि हम तो यह कह रहे है की अरे जिसे मानाने के लिए हमने 350 साल लड़ाई लड़ी है पहले उसे याद करो ...अरे ये दिन न होता तो जो अप आज मन रहे हो न वो सब धरा का धरा रह जाता ..

एक क्लिक से आप किसी की भूख मिटा सकते है.....


आज फिर से उसी गहन समस्या पर पुनः एक प्रयाश करने ही कोशिशि कर रहा हूँ!
जिसकोप्राप्त करने के लिए कुछ असहाय लोग बराबर प्रयासरत है हैं और तो और तमाम सरकारी संगठन भी लगातार अनेक तरीको से लोगो को इस विसम विपदा से निजात दिलाने में संघर्षरत है!!!!!!!!!!!!!!!
जी हा मै बात कर रहा हूँ ''भूख'' की जिससे लगभग ७००० लोग प्रतिदिन अपना जीवन गवां देते हैं !
क्या हम उनके लिए थोडा भी प्रयाश नहीं कर सकते है,
हम उन्हें खाना देने की अवस्था में नहीं है तो क्या हम लोगो को प्रोत्साहित नहीं कर सकते ताकि जो इसके काबिल हैं वो तो इसमे अपना हाथ बटाएं !
और हम काबिल नहीं है तो हमारे पास अनेक तरीके हैं जिनके जरिये हम भी उन लोगो तक भोजन पंहुचा सकते है जिनको हमसे ज्यादा जरुरत है !
जी हाँ आज मै एक ऐसे ही तरीके की बात यहाँ कर रहा हूँ
यदि आप प्रतिदिन http://www.bhookh.com/ पर क्लीक करते है तो इस वेबसाइट के माध्यम से उन असहाय लोगो तक हम भोजन पंहुचा सकते है !!!!
जी हा यह एक NGO है जो ऐसा करता है !
तो क्या हम उन असहाय लोगो की सहायता के लिए हम अपनी उंगलियों को भी नहीं हिला सकते है ,
यदि इस कार्य को करने में भी सक्षम नहीं है तो धिक्कार है हमारे इस जीवन को और इस मानव शारीर को !!!!

आखिर कब तक बलि चढ़वाने का इरादा है हमारी सरकार का !.....


पिछले कुछ वर्षो से लगातार नक्सली हमलो से मरने वालो की सख्या हजारो में पहुँछ गई होगी! लेकिन इससे निजत का आज भी सरकार को कोई उपाय नहीं सूझ रहा !
हाँ हो सकता है हमारी सरकार यहाँ भी पं. जवाहर लाल नेहरु जी के शांति के समझौते को लागू कर रही हो!
वो नक्सलियों को सन्देश दे रही हो की आप हमला करो हम जबाब नहीं देगें !
लेकिन सरकार को यह तो समझना ही चाहिए की नक्सली यहीं से पैदा हुये है और उन्हें मालूम है हमारी नीतियाँ क्या है ,हमारी शांति की नीति भी उन्हें मालूम है!
और सोचनीय तो यह है की वो हमारे खिलाफ हथियार उठाने वाले है और क्या उन्हें शांति की परिभाषा भी आती होगी !
जो हम उन्हें लगातार शांति के और प्रत्यर्पण के सन्देश दे रहे है!
खुले रूप से कहा जाये तो नक्सलवाद आज भारत में आतंकवाद का रूप ले चुका है !
यहाँ भी यही सोचनीय है की आतंकवादी भी अपनों को कभी घात नहीं पहुचाते पर ये तो अपनों को समाप्त करने पर तुले है!
तब इन्हें क्या आतंकवाद और नक्सलवाद की संज्ञा भी सही है ! मेरे हिसाब से नहीं !!!!!!!!!!!!!!!!
आखिर इससे ये प्राप्त क्या कर लेगे ,क्या ये सरकार को चुनौती दे रहे है या समाज में अपना भय व्याप्त कर रहे है ये तो वही जानें//.
पर यहाँ हमारी सरकार को सही कदम उठाने की जरुरत है सरकार को खुद के भविष्य की नहीं तो जनता के भविष्य की चिंता तो करनी ही पड़ेगी ,उन सेनानियों की चिंता तो करनी ही पड़ेगी जो मंत्रियो जैसी विशाल सुरक्षा नहीं रखते है और दूसरो के लिए खुद को निक्षावर कर देते है ! वही सिपाही व सेनानी प्रतिदिन सहीद हो रहे है और सरकार उन्हें क्षणिक सम्मान देकर सहीद घोषित कर देती है ! सरकार को उन शहीदों को ही न्याय दिलाने की जरुरत आज के समाज की आवाज है अथवा वो दिन भी दूर नहीं होगा जब हम अपनों के साथ भी चलने में कतरायेंगे!!!!!!!!!!!!!!
वो भी चंद महानुभावो की वजह से जो मानव जाति में अपना भयावह सन्देश भेज रहें है !!!!

''सत्य ,साहित्य और समाज ''.........: देश की युवा प्रतिभाओ को सही प्रतिभा को चुनकर उसका साथ देने की जरुरत है ...........

''सत्य ,साहित्य और समाज ''.........: देश की युवा प्रतिभाओ को सही प्रतिभा को चुनकर उसका साथ देने की जरुरत है ...........

देश की युवा प्रतिभाओ को सही प्रतिभा को चुनकर उसका साथ देने की जरुरत है ...........


आखिरकार भारतीय जनता पार्टी की युवा मोर्चा इकाई को कोई कुशल खेवन हार मिल ही गया!
लगातार बिगड़ते समीकरणों के बीच अब भारती जनता पार्टी को पालिक हार के दुस्वप्नो से बहार आकर विजय अभियान की सुरुआत करने की जरुरत है
अब पार्टी में लगातार बल का समार्जन होता नजर आ रहा है !
वो चाहे पार्टी के चहेते नेताओ की गृह वापसी हो!!!!!!!!!!!!
अथवा
पार्टी की युवा मोर्चा इकाई की कमान श्री अनुराग ठाकुर के हाथों में सौपना हो !
जी हाँ हम बात कर रहे है "भारतीय जनता युवा मोर्चा" जो अपने आप में युवाओं का एक समूह है !
जिसने देश की राजनीती को परिवर्तित कर दिया है जो जोश और उत्साह से समार्जित है,
परन्तु इन सब के बावजूद जो
लगातार नेत्रित्व की कमी से जूझ रही थी !!
इस कठिन विपदा में आखिरकार भाजपा को अनुराग ठाकुर के रूप में एक कुशल भाजयुमो अध्यक्ष मिल ही गया !
जी हा "अनुराग ठाकुर" जिन्होंने अपना राजनितिक जीवन हिमांचल प्रदेश के हमीरपुर से सुरु करा तथा अपना प्रमुख शौख क्रिकेट भी साथ में ही रखा और हिमांचल क्रिकेट एसोसिएसन के अध्धयक्ष भी रहे! लगातार दो बार से हमीरपुर जैसी प्रसिध्ध लोक सभा सीट से सांसद भी है !
स्पष्ट द्रिस्थाव्य है की ऐसी महान प्रतिभा भाजयुमो को किस मुकाम तक नहीं पंहुचा सकती है!
बस इस कार्य के लिए जरुरत है तो देश की युवा प्रतिभाओ को सही प्रतिभा को चुनकर उसका साथ देने का !
आशा है इस बात पर देश के युवा विचार जरुर करेगे !!!!!!!!!!

कृपया खाने के अपव्यय को रोकिये..............


क्या आपको भरपूर्ण पेट खाना मिल रहा है ????
पर हजारो लोग ऐसे है जिन्हें ये भी नसीब नहीं होता है !
यहाँ सोचनीय यह है की इस स्थिति में बच्चो का क्या हल होता होगा!
यहाँ यह कल्पना आप केवल अपने बच्चो पर लागु करके जन सकते है !
इसी समस्या के थोड़े बहुत निनाद के लिए मै अपने पास आये एक मेल को आप तक स्थानांतरित कर रहा हूँ कृपया पढ़े अवश्य.......
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"अगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी / समारोह हो और खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो तो बिना झिझके आप 1098 (केवल भारत में )पर फ़ोन करें - यह एक मजाक नहीं है - यह चाइल्ड हेल्पलाइन है । वे आयेंगे और भोजन एकत्रित करके ले जायेंगे।
इस अन्न से उन बच्चों का पेट भर सकता है!
हम चुटकुले और स्पाम मेल अपने दोस्तों और अपने नेटवर्क में करते हैं ,क्यों नहीं इस बार इस अच्छे सन्देश को आगे से आगे मेल करें ताकि हम भारत को रहने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगह बनाने में सहयोग कर सकें -
'मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं ' - हमें अपना मददगार हाथ देंवे ।
भगवान की तसवीरें फॉरवर्ड करने से किसी को गुड लक मिला या नहीं मालूम नहीं पर एक मेल अगर भूखे बच्चे तक खाना फॉरवर्ड कर सके तो यह ज्यादा बेहतर है. कृपया क्रम जारी रखें !!!!!
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For more Help...........
http://www.childlineindia.org.in/

इस बार जापान क्यों नहीं.......


फीफा फुटबाल विश्वकप के परिणाम का समय अब नजदीक आ रहा है आप किसको विजय रथ पर सवार कर रहे है.
अब तो १६ टीमे है अनुमान लगाने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी.....
मै तो इस बार 'जापान' को इस रथ पर देखना चाहता हूँ और आप ?
अब आप सोचेगे जापान ही क्यों,
तब मै कहुगा
''क्योकि वो एक ऐसा राष्ट्र है जो संघर्ष के प्रत्येक पथ पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है! और उसमे इस कार्य को करने की छमता है
हमारी टीम तो है नहीं तब क्यों न हम ब्राजील व अन्य टीमो को छोड़कर अपने पडोसी को इस रथ पर सवार करें!''
ये मैंने सोचा है जरुरी नहीं सभी की सोच एक जैसी हो!

पुराने ताकतवर नेताओ की गृह वापसी कांग्रेस के सामने एक मुसीबत खड़ी कर सकती है!...


तमाम पुराने ताकतवर नेताओ की गृह वापसी कांग्रेस के सामने एक मुसीबत खड़ी कर सकती है!
अब भाजपा में लगे ग्रहण के समाप्ति का समय आ चुका है.!
अब ऐसा लग रहा है है की पुराने ताकतवर नेताओ के टीम में वापसी से भाजपा पुनः अपने पुराने रंग में दिख सकती है!
क्योकि ये वही हस्तिय है जिन्होंने जनता पार्टी को देश में उसकी शान दिलाई थी!
भाजपा को केंद्र में पहुचाया था!
अतः कांग्रेस सरकार को यदि दोबारा सप्ता में आना है कम से कम अब तो कुछ देश के लिए सोचे!
उसके मंत्रियो व पूरी सरकार ने अपनी कुर्सियों के लिए स्तीफे,संगोष्ठी जैसे खेलो को खूब खेला है लेकिन अब इनसे काम नहीं चलने वाला!
अब तो विकाश ही एकमात्र सहारा है, वही ऐसा ब्रह्मास्त्र है जो देश व सरकार दोनों को विकाश के मार्ग पर ले जा सकता है!!!!!

आतंरिक अंको(Internal Marks) की समाप्ति आवश्यक ..


शिक्षा विभाग को चाहिए की विद्यालय या विशाव्विध्यालय से छात्रो को मिलने वाले आतंरिक अंक (Internal Marks ) को समाप्त कर एक और सराहनीय कदम उठाये !
हाँ इस कार्य में अनेक वधाएँ जरुर आयेगे, अनेक विरोध भी होगे और कुछ छात्र और शिक्षक व्यक्तिगत रूप से आहत भी होगे ,परन्तु यह संख्या पक्ष के लोगो से कम ही होगी और यह कार्य विद्या एवं विद्यार्थी हित में होगा ! वर्तमान में विद्यालय व विश्वविद्यालय में इन अंको (marks) के कारण एक लम्बी राजनीती होती है जो छात्र एवं अध्यापक दोनों के लिए हानिकारक है , कभी इस राजनीती में कोई शिक्षक किसी विद्यार्थी को शिकार बनाता है तो कभी खुद कोई शिक्षक इसमे बलि चढ़ जाता है !
हाँ यह सत्य है की विद्यालय य विश्वविद्यालय में छात्रो व शिक्षक के सम्बन्ध अच्छे होते है पर ये सम्बन्ध सभी के साथ अच्छे नहीं होते है!
कभी कोई शिक्षक किसी विद्यार्थी को किसी व्यक्तिगत कारण की वजह से अंक(marks) कम देकर बलि का बकरा बनाता है तो कभी कोई विद्यार्थी अनेक असम्मानानीय कदमो को उठाकर अच्छे अंक(marks) प्राप्त करना चाहता है जो शिक्षक और शिक्षार्थी के संबंधो की गरिमा को ढेस पहुछाता है !
वास्तविकता तो यह है की कोई छात्र इन आन्तरिक अंको(Internal marks) के लिए कोई मेहनत ही नहीं करना चाहता है बस वो मेहनत करता है तो शिक्षक से अच्छे सम्बन्ध बनाने की जो उसे शिक्षक की नजरो में ले जा सके ! और अच्छे अंक(marks ) दिलाने में सहायता कर सके !
हमें आन्तरिक ह्रदय से सोचना चाहिए की आखिर इन अंको का क्या महत्त्व जिनके लिए इस तरीके की राजनीती खेली जाती हो !
विद्या ,विद्यार्थी और विद्यालय एक ऐसा मंदिर है जहा सरलता ,शीतलता जैसी पूज्य सामग्री को लेकर प्रवेश करते है फिर ऐसा जानते हुये भी क्या हम इसका उपहास बनाए में आनंद प्राप्त करते है वो भी ऐसा उपहास जो हमें खुद को सोचने पर मजबूर कर दे !
अलग अलग सस्थानो द्वारा अलग अलग प्रणाली से आन्तरिक अंक(Internal marks ) प्रदान किये जाते है जिससे कभी छात्र को संतुस्ती तो होती ही नहीं है तब ऐसी स्थिति में हमारी केंद्र एवं राज्य सरकारों के शिक्षा मंत्रालयों को चाहिए की समाज को समाज के सामने अपने आप को पठनीय बनाने वाली शिक्षा को कुछ नया दे उसे ऐसे आवाम प्रदान करे की विद्या इस भ्रष्टाचार से बच जाये !आन्तरिक अंको(Internal marks) को समाप्त करके पूरे मुल्यांकन को वाह मुल्यांकन में परिवर्तन ही इसका एक हल नजर आता है !
इस मुल्यांकन के जरिये वास्तविक प्रतिभाये तो उभर के आयेगी ही साथ में छात्रो में ज्ञान में भी ब्रद्धि होगी !!!!
आशा है हमारी सरकारे इस विचार पर विचार जरुर करेगी !!!!!!!!!!!

हर विधेयक को जनता की मंजूरी जरुरी है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!



हम ऐसे राष्ट्र में निवास करते है जहाँ प्रतिदिन कोई न कोई नियम कानून सरकर द्वारा जरुर बनाया जाता है
ऐसे में हम क्यों न एक ऐसी तकनीक विकसित करे जो प्रत्येक सरकारी विधेयक तक जनता का निर्णय पंहुचा सके !
मेरे व्यक्तिगत विचार से ऐसी तकनीक को हम ATM आधारित तकनीक से ले सकते है !
वर्तमान में हमारी जनगणना 2011 चल रही है जिसके बाद एक राष्ट्रिय पहचान पत्र बनाने की बात कही गयी है ! हमारी सरकार को चाहिए की वह इस पहचान पत्र में थोडा सा सुधर करके इसे थोड़ी मेमोरी देकर एक ''ATM'' कार्ड का स्वरुप दे देदे इस कार्ड में व्यक्ति की जानकारी हो जो राष्ट्रिय पहचान का कम करे औत यह वोटर कार्ड का भी का कम करे तथा इसके जरिये हमें ऐसी मशीन लगानी चाहिए जिसके जरिये हम किसी विधेयक में अपनी प्रतिक्रिया दे सके !!!!
हाँ हमें मशीन लगाने में दिक्कत हो सकती है पर इससे हमें अनेक लाभ होगे ......
1.) हमारी जनता सरकारी निर्णयों एवं विधेयको पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकती है !
2.)हम इस मशीन के जरिये देश के बार बार होने वाले चुनावो के खर्च को कम क्या बहुत कम कर सकते है !
3.)किसी सामूहिक समस्या को हम सामूहिक rup से सरकार तक पंहुचा सकते है !
4.)इस कार्ड में हमारी साडी जानकारी हो जो सुरक्षा व्यवस्था में हमारी सहायता करे !
इसके आलावा भी अनेक लाभ होगे जो हमें इस तकनीक को सुरु करने के बाद दिख सकते है !
अतः मै सरकार से निवेदन करुगा की इस छोटी सी पहल पर विचार जरुर करे !!!!

हमारी सरकारे समस्यायों का समाधान जल्दी कर सकती है पर नहीं.....


जब देश गरीबी व भ्रष्टाचार जैसे कष्टों से गले मिला कर चल रहा हो और देश कि मौजूदा सरकार मुद्रास्फीति दिखाकर लोगो के घावो में मरहम लगा रही हो , तब ऐसी स्थिति में मौजूदा विपक्ष कि स्थिति अत्यंत मजबूत होनी चाहिए ,लेकिन आज जो दशा हमारे देश के विपक्ष कि है वह अत्यंत दयनीय है इसके सभी सदस्य आपस में ही युद्ध में व्यस्त है तब ऐसी स्थिति में हमें देश के लिए कुछ करना चाहिए अथवा नकारात्मक परिणाम हम जानते ही है !
लेकिन यदि हप सरकार को सुधरने का प्रयास करते है तो उसके पास ''बहु मत'' है हमारा उस पर प्रभाव शायद ही पड़े अतः ऐसी स्थिति में हमें विपक्ष को मजबूत करना चाहिए जिससे हमारा देश गर्त में जाने से बच सके !
विपक्ष को मजबूत करने से सरकार द्वारा लाये गए जबरन विधेयको को स्वीकृति नहीं मिलेगी और जन समूह को इसका लाभ मिलेगा !
आखिर हमें बोफोर्स घोटाले , भोपाल गैस आपदा के परिणाम भी चाहिए ! हमें हमारी महगाई के कारण चाहिए ! हमें उनके लिए न्याय चाहिए जिन्होंने मुंबई बम ब्लास्ट में जाने दी !यह सब हम लगातार देख रहे है और साथ ही हम यह भी देख रहे है कि आज देश के सबसे सुरक्षित व्यक्तियों में "अजमल कसाब और अफजल" जैसे लोग है जिन्होंने देश कि सुरक्षा ही ख़त्म कर दी !
क्या हमारी सरकारे इन समस्यायों का समाधान जल्दी नहीं कर सकती है पर नहीं !
क्या हमारी सरकार उसी खर्च को बचाकर देश हित में नहीं लगा सकती है पर नहीं !
पर हमें ऐसा ही करवाना होगा यदि हमें समाज में अपने आप को और विश्व में अपने भारत को देखना है तो !
इस कार्य के लिए प्रथम प्राथमिकता हमें अपने विपक्ष को मजबूत करना है उन्हें किसी तरह संगठित करना है और उनसे देश हित में कार्य करवाना है !!!!
अथवा भविष्य के परिणामो कि कल्पना आप खुद आज से कर सकते है !!!!!!!!

उस संसद का अपमान है जिसके नियम कानून से हम चलते है..........


हमारा भारत आज पूर्ण रूप से स्वतंत्र है और यहाँ के हर नागरिक, कर्मचारी को सोचने , विचार करने एवं निर्णय लेने का अधिकार है तो फिर क्या वे संसद सदस्य भारत के निवासी नहीं है जिनको राज्य सभा से मात्र स्वविचार के कारण निष्कासित किया गया ! ये भाजपा , कांग्रेस ,सपा,माकपा , बसपा या किसी राजनैतिक पार्टी का अपमान नहीं बल्कि ये उस संसद का अपमान है जिसके नियम कानून से हम चलते है हम जानते है महिलाओ को बराबर का दर्जा मिलना चाहिए पर इसके लिए किसी को जबरन मनवाना तो गलत है ,वो भी उससे जो किसी भी अधिनियम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखता है ! उन सदस्यों को बिल में कोई कमी महसूस हुई होगी या वो उसका पक्ष नहीं लेना चाहते होगे तो उन्होंने अच्छा ही तो किया खुला विरोध किया ,आखिर विपक्ष की भूमिका भी तो यही है !जब बिल के पक्ष में मतदान करने वाले बाद में कह सकते है कि बिल राष्ट्र हित में नहीं है इससे पिछड़ा वर्ग को कोई सहायता नहीं मिलेगी यह तो केवल राजनेताओ के परिवार कि महिलाओ को और उठाने कि एक पहल है और खुद कांग्रेस व् उसके गठबंधन के सदस्य अब बिल के पक्ष में नजर नहीं आ रहे तो क्या अब उनको भी निलंबित किया जायेगा !
जो भी परिणाम निकले बिल पूर्ण रूप से पास हो या न हो पर उन सदस्यों के साथ तो अन्याय ही हुआ है!
पर यहाँ से एक संका और होती है कि कही एक और बिल कि तयारी तो नहीं हो रही ! हाँ मै ऐसे बिल कि बात कर रहा हु जिसमे किसी भी अधिनियम का विरोध करने वाले सदस्यों को निलंबित करने का प्रयोजन हो जिसका परिणाम जानने के लिए माननीय सभापति महोदय ने ''डेमो'' किया हो!
जो भी हो सभी को आशा है कि कोई भी राजनेता हमारे संविधान से खिलवाड़ करने का दुस्साहस नहीं करेगा !!!!!!!!

खुली चुनौती देता हमको ,बदता हुआ अँधेरा---- अंकुर मिश्र'युगल'

खुली चुनौती देता हमको ,बदता हुआ अँधेरा,
पल-पल दूर जा रहा हमसे ,उगता हुआ सबेरा !
निशा नाचती दिशा दिशा में ,उडी तिमिर की धूल,
अपना दीप जलना होगा ,झाझा के प्रतिकूल !!


आत्मा की चिर दीप्त वर्तिका को थोड़ा उकसादो ,
मांगो नहीं ज्योति जगती से , लौ बन के मुस्कुरा दो !
जगमग जगती के उपवन में,खिले ज्योति के फूल,
माथे से फिर विश्व लगायें ,इस धरती की धूल!!
अमा,क्षमा मांगे भूतल से ,भगे सघन अँधेरा,
अवनी का अलोक स्तम्भ बन ,जगे भारत मेरा !
आर्य संस्कृति के परवाने ,आओ सीना ताने ,
दीप बुझाने नहीं ,ज्वलित पंखो से दीप जलने !!
तब समझूगा तुम जलने की , कितनी आग लिए हो,
और दहकते प्राणों में , कितना अनुराग लिए हो!!!!!!!!

अब तो जागो भाइयो ....अंकुर मिश्र ''युगल''

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तोड़ मोह के पाशों को,
भर लो वक्ष स्थल में आग |
अब समय नहीं है सोने का ,
राम पुत्र तू जाग जाग ||
बन पांचाली का क्रोध महा ,
बन जा तू ज्वाला प्रचंड |
अरिदल रण को छोड़ भगे ,
हो जाये उनका मान खंड ||
चारो दिशाएं गूंज उठे ,
ऐसा हो तेरा युद्ध राग |
अब समय नहीं है सोने का ,
राम पुत्र तू जाग जाग ||
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हाय रे परिवर्तन ...........


मेरे पूज्य बाबा श्री श्री धर मिश्र जी द्वारा 8 दिसंबर १९५० को जब यह कल्पना की गयी थी की एक मानव को ऐसी भी
जीवन यात्रा करनी पड़ेगी की जिसमे उसका ह्रदय ही केवल उसका साथ देगा शेष सांसारिक दिखावट केवल दिखावट ही रह जाएगी तब बाबा को ''कवि सम्मलेन'' में महत्व नहीं दिया गया और उनका मजाक उड़ाया गया !
पर आज की दशा देख कर तो लग रहा है की मानव का ह्रदय भी उसके साथ नहीं है और वह मात्र एक पुतला बनकर रह गया है
उनकी उस कविता को मै यहाँ प्रकाशित कर रहा हू !
आशा है की आप इसे पड़कर उस ''सत्य'' की अनुभूति करेगे जिससे ''आप और हम '' महशूश रहे है.!
यदि उसमे आप को भी कोई त्रुटी मिले तो आप कृपया मुझे दोष दीजियेगा मेरे बाबा को नहीं क्युकी मैंने इसे पब्लिश करने की अनुमति बाबा से नहीं ली थी, लेकिन आज की दशा देखकर और इस कविता में समानता देखकर मै इसे पब्लिश करने से अपने आप को नहीं रोक पाया !
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वाही आशा के झिलमिलाते तार,
निराशा की टूटी झंकार,
प्रणय के गीत मिले अनमोल,
उसी में मिली प्यार की पीर,
झूलता सा एक पागल मन,
ने पाया पलकों कुछ नीर !!
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बासते बदल छितराए,
अरे घर सावन ही आयें,
लगे होने आनंदाचार,
पधारी अल्वेली सुकुमार !!
..................
छुपाये नयनो में एक प्यार,
दवी आशाओ के ही मर,
''न ठहरा लेकिन यह कुछ दिन
मांग सिंदूर भरी वैरिन !!
...................
वही अलको के सुखमय घन,
अभी जो बरसाते थे प्यार,
आज मसकन से विथराए,
समेटे आशा का श्रंगार !!
..................
शेष रह गया ह्रदय साथ ,
लगा जब परिवर्तन का हाथ !!!!!!!!!