
माननीय मंत्री जी कह रहे है "हमारे पास अलादीन का चिराग नहीं है "!अरे आप ये क्या बोल रहे है आपके मंत्रालय से ही कुछ दिन पहले खबर आई थी की "हम बहुत जल्दी ही महंगाई पर काबू पा लेगे" !तब कोई खजान हाथ लगा था क्या ?यही तो समझ में नहीं आता कम से कम चुनाव के बाद के वादों को तो पूरा करिये!जी हाँ मै बात कर रहा हू अपने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की जिन्होंने कुछ दिन पहले देश की सबसे बड़ी समस्या "महंगाई" को काबू करने की बात कही थी ,अब ये बोल रहे है "हमारे पास कोई अलादीन का चिराग नहीं है" अरे आप के पास "देश की वो सम्पूर्ण शक्तियां तो है,जिन्हें जनता ने आपको प्रदान की है"आप स्विस बैंको में जमा पैसा भारत ला सकते है, अप भ्रष्टाचार को खत्म करने में अपनी शक्तियों का उपयोग कर सकते है,और ऐसे ही अनेक कम आपके आदेशो का इंतजार कर रही है ! माननीय मंत्री जी देश की सोचिये यह कोई व्यक्ति विशेष का जीवन नहीं है, आपको इसी जनता ने वहाँ पहुचाया है,यह देश भी उन्ही सब का है!यहाँ वाद-विवाद या हिम्मत हारने से काम नहीं चलने वाला मंत्री जी,आपको जनता ने इसलिए नहीं भेजा की आप उस कुर्सी पर बैठकर ऐसे जबाब दे !देश की जनता का विकास ही आपका कर्तव्य है! मै सोचता हू यदि प्रत्येक मंत्री अपने कर्तव्यों का निर्वाहन इमानदारी से करे तो "भारत" को विकसित होने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती ! लेकिन लगता है हमारे अधिकतम राजनेताओ के शब्दकोष में "ईमानदारी" शब्द होता ही नहीं है !अरे अलादीक का चिराग तो अलादीन के पास भी नहीं था उसे भी खोजना पड़ा था! मंत्री अब ऐसे शब्द मत कहियेगा,वर्ना जनता अब कुछ ज्यादा ही समझदार हो गई है,अब वो इतने समय से आपको देख रही है आपसे जबाब मांग सकती है और हाँ जबाब भी "पाई-पाई का