“कट्टर” Friendship की ओर बढते कदम !!- अंकुर मिश्र "युगल"


राष्ट्रभाषा में वैसे तो सभी शब्दों की नाजुकता और शालीनता का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन कुछ शब्द ऐसे भी है जिन्हें हमें परिभाषित करने के लिए व्यावहारिक जीवन का सहारा लेना ही पड़ता है ! हमें हमें उन शब्दो की वास्तविकता और उसका अर्थ व्यावहारिकता से ही पता चलती है ! उसी शब्दकोष में एक शब्द है “दोस्ती” पर्याय में देखे तो मित्रता, बंधुता ,सहयोगी अदि अनेक सब्दो का परिवार है, जिसकी परिभाषा की जरुरत शायद ही किसी को हो ! यह वह शब्द है जो ईमानदारी, सहायता , सत्यता आदि शदो की गरिमा को धोड़ा बहुत बचा के रखे हुए है ! इस संसार में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसके पास दोस्त न और कहे तो “कट्टर” दोस्त न हो ! अप “कट्टर” का अर्थ तो जानते हो होगे , और सुना भी होगा – कट्टर हिंदू, कट्टर मुसलमान,कट्टर ........., कट्टर........... अदि (कार्य की अधिकतम सीमा) !आज हम बात करते है “कट्टर” दोस्ती की , शायद मै सोचता हू इसके लिए किसी धर्म, किसी जाति, किसी समाज या किसी विशेष समुदाय से जुडाव जरुरी नहीं है यह सभी धर्मो ,समुदायों ,जातियों आदि का महामिलाप हो सकता है !लेकिन आज का मुद्दा यही है “कट्टर” बनना सभी चाहते है लेकिन उसकी वस्तविकता से कोई आँख नहीं मिलाना चाहता है ! क्या आप सोच सकते है - जिस दिन “कट्टर” दोस्ती रूपी महासागर में विश्व के 6 अरब जनसंख्या का मिलाप हो गया उस दिन आतंकवाद’, अलगाव-वाद’, ‘जातिवाद’, ’क्षेत्रवाद’ आदि विवाद बर्बाद हो जायेंगे ! इस कट्टरपंथी में आप उस समाज का अविष्कार कर सकते है जिसमे ईमानदारी, संय्वादिता, शालीनता आदि का “अंकुरण” हो ! यही एक ऐसा समाज है जो भविष्य के विनाश को रोक सकता है, अन्यथा परिणाम तो सभी को पता है ! वैसे तो प्रत्येक काम के लिए प्रत्येक दिन उपर्युक्त होता है लेकिन यदि हमें ऐसा दिन मिल जाये जिसका इतिहास भी हमसे उसे करने को कहता है जैसा की “Friendhip Day” जो विश्वविख्यात है और “दोस्ती” की महँ दस्ता भी अपने आप में समाये है ! तो क्यों न हम इस कट्टरपंथी रूपी दोस्ती के साम्रज्य की सुरुआत इसी दिन से करे अपनी दोस्ती की श्रृंखला को बढ़ाते हुए विश्व स्तर तक पहुचाये जिससे विश्व हित की इस मिहीम के संचालक और हिस्सा बने !!!