बारूदी बंदूख लिए
खड़ा मौत के बाजार,
रह रहकर ताकता दुश्मन
की हुंकार...
फौजी बनना उसने खुद चुना
दो रस्ते थे उसके सामने
फ़ौज या मौज
उसके सब साथी मौज में है
और वो फ़ौज में...
फौजी कहता है
मेरी किसी से दुश्मनी नहीं है
हालाँकि अब किसी से
दोस्ती भी नहीं है...
युगल तो बस उसकी 'गल' है
उसने पहले अपना घर जलाया
जब तक घर रहेगा,
लौटने की मंसा रहेगी,
कइयो को फ़ौज से मौज में लौटते देखा है
उसने अपने पड़ोस में
घर एक विकराल 'जाल' है...
जोर जोर दहाड़ता है वो फौजी
हम यहाँ शांत सोते है
बेखबर होके
चिंतित होता है वो फौजी
जाग जागकर...
#YugalVani
खड़ा मौत के बाजार,
रह रहकर ताकता दुश्मन
की हुंकार...
फौजी बनना उसने खुद चुना
दो रस्ते थे उसके सामने
फ़ौज या मौज
उसके सब साथी मौज में है
और वो फ़ौज में...
फौजी कहता है
मेरी किसी से दुश्मनी नहीं है
हालाँकि अब किसी से
दोस्ती भी नहीं है...
युगल तो बस उसकी 'गल' है
उसने पहले अपना घर जलाया
जब तक घर रहेगा,
लौटने की मंसा रहेगी,
कइयो को फ़ौज से मौज में लौटते देखा है
उसने अपने पड़ोस में
घर एक विकराल 'जाल' है...
जोर जोर दहाड़ता है वो फौजी
हम यहाँ शांत सोते है
बेखबर होके
चिंतित होता है वो फौजी
जाग जागकर...
#YugalVani
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें