"माँ" ने न जाने... न जाने... कौन से दर्द सहे है

हाँ आज दिन तो आपका है, 
मगर उनकी वजह से...
जिस "माँ" ने 
न जाने... 
न जाने... कौन से दर्द सहे है
कौन कौन सी बाते सही...
मगर उसकी एक मुस्कान ने 
सब कुछ...
सब कुछ... छिपा लिया 
मीलो पैदल चलती थी 
मुझे खड़ा करने के लिए
मगर मै 'माँ' के साथ आज, 
चार कदम भी नहीं चलता...
सुई-धागे से सींती थी 
वो मेरे कपड़े,
जिस "माँ" के लिए आज 
तक एक साड़ी भी नहीं ली....
एक इच्छा है...
बस पैसो में मत लगाओ उनकी कीमत, 
वर्ना कभी चुका नहीं पाओगे कर्ज उनका ...
कोशिश करो,
बस आज क्यों हमेशा याद करो, 
हर लम्हा याद करो, 
और "माँ"
को कभी कभी ये दवा भी दिया करो.
जब जब भी मिले बस दिल से 
"मुस्करा" दिया करो.....
#YugalVani
(https://www.facebook.com/er.ankur.mishra/posts/761948417178033)

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