लो अब वो समय भी आ गया
कमर कस के बैठ जाओ
जन स्वप्न को बनाने में.
स्वराज को दिखाने में
विचार और विकास का अंकुर’ण कराना है
सियासत और विरासत नहीं
कूटनीति और राजनीती नहीं
एक पृष्ठ में ईमानदारी लगाना
भ्रष्टाचार और अत्याचार भागाना
बुझी हुये दीप को जगाना
बस यही काम कराना...
की जनता को जगाया है
ये जनता है सब कुछ जानती है
बस उन्हें सबक सिखाना आ गया है
है कौन अपना और पराया
बस अब फर्क करना आ गया है
ये लौ लिखी है आप’से
अब आप’को निभाना है
कमर कास लो आप’लोगो
लो अब वो समय भी आ गया
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