''सत्य और साहित्य'' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ )
वंशवाद से नहीं विकासवाद से चलता है देश : अंकुर मिश्र 'युगल'
आखिर कुछ आच्छा दिखने लगा भाजपा में, एक बुरे दौर से गुजर रही भाजपा ने लोकसभा चुनाव के पहले कुछ अनोखे पहलुओ पर काम करते हुए देश को दिखा दिया की ये किसी परिवारवाद पर चलने वाला दल नहीं है ! वास्तव में जिस देश में दो दलों की ही सरकारी दावेदारी रहती हो , और उसमे भी एक दल ऐसा है जिसे लोकतान्त्रिक दल खा भी नहीं जा सकता ! कांग्रेस, जो अपने आप को देश का सबसे बड़ा दल कहता है और आजादी के बाद सबसे ज्यादा शासन किया है लेकिन मेरे अनुसार यह एक ऐसा दल है जिसने देश में सबसे ज्यादा कुशासन किया है और देश की आजादी के बाद की सभी लड़ाइयाँ गवाह है, पाकिस्तान गवाह है की इस बड़े दल ने देश को क्या दिया है ?
एक लोकतान्त्रिक दल में राजतन्त्र जैसा माहौल पैदा करके इस दल ने जिस तरह से तानाशाही भरा शासन किया है, वह अनदेखा नहीं है ? एक दल जिसकी बागडोर हमेशा एक परिवार के हाथो में रही,
पार्टी में अनेक महान नेताओ के होते हुए बड़े पदों पार हमेशा ऐसे राजनेताओ को बैठाया गया जिन पर गाँधी परिवार खुद शासन कर सके , मनमोहन सिंह जिसका सबसे बड़े उदहारण है !
पार्टी में अनेक ऐसे बड़े नेताओ के होते हुए ‘राहुल गाँधी’ उपाध्यक्ष का पद दिया जाना और अध्यक्ष का पद खुद सोनिया गाँधी के पास होना किसी लोकतान्त्रिक दल को नही दिखाता, पार्टी में जयराम रमेश, शशि थरूर अवं अनेक ऐसे युवा नेता है जो देश को राहुल गाँधी या गाँधी परिवार से अच्छा चला सकते है लेकिन उन्हें इस दल में ऐसे पद न मिलना किसी तानाशाही को ही दिखा सकता है !
वही देश में दूसरी तरफ एक ऐसा दल है जो अपनी आपसी लड़ाइयो से ही जूझता रहता है, दल मेंकुछ अच्छाइयां है जो इसे कांग्रेस से अलग करती है पहली बात पार्टी में किसी वंशवाद का न होना देश के सभी धर्मो के लोगो को पड़े पदों में बैठालना. इसी दल ने देश को अटल बिहारी बाजपेई जैसे प्रधानमंत्री व् आब्दुल कलम जैसे राष्ट्रपति दिए है ! पड़े पदों में उस व्यक्ति को बैथालना जो उपयुक्त है !
आभी वर्तमान में नितिन गडकरी को हटाकर राजनाथ सिंह को अध्यक्ष बनाना इस बात को ही दिखता है को भाजपा केवल आर. एस . एस. के इशारों पर नहीं चलत और जारुरत पडने पर उसका साथ भी नहीं छोडती !
यह भाजपा का समर्थन नहीं था बल्कि वह सच्चाई थी जिसे देश बराबर नजरंदाज कर रहा है, जानते हुए भी अपना भला करने में असमर्थ है ! एक विकाशशील देश को दशको से वही पर खड़ा किये है !
देश वंशवाद , जातिवाद , आरक्षण, भरष्टाचार से नहीं चलता देश बढ़ता है विकास से और हम विकास नहीं निकास कर रहे है एक साच्ची बात से !
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1 टिप्पणी:
1947 से एक ही वंश में देश की सत्ता है
पता शेष देश का नेता क्यों बहु से डरता है
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