इनपुट २५० करोण आउटपुट शून्य : अंकुर मिश्र "युगल"


कहते है कनून के हाथ बहुत लंबे होते है , उससे बचाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुनकिन है !परन्तु जब कानून ही घुतंर टेंक दे तक क्या करेगे! किसी को किससे इंसाफ की आशा रहेगी ! आज यही परिस्थिति हमारे देश की हो रही है, यहाँ राष्ट्रिय स्टार अनेक बड़े बड़े केशों के मुकदमे अदालत में चल रहे है,पर उनमे अब विलम्ब के साथ साथ कानून ने इंसाफ देना भी बंद कर दिया है !
बोफोर्स घोटाले से कौन अनजान होगा !सन् १९८७ में यह बात सामने आयी थी कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। स्वीडन की रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया। इसे ही बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स काण्ड के नाम से जाना जाता है। और आज भी केंद्र में कांग्रेस की सर्कार है, और सञ्चालन भी वाही गाँधी परिवार कर रहा है !
केश की सुनवाई २५ साल से बराबर होती अ रही है ,सी.बी,आई. जाँच भी हुई है,और सबसे बड़ी बात यह है की इस केश में खर्च होने वाली रकम २५० करोंण है, यह रकम भी आम जनता की ही है !आखिर देश का विकाश कैसे हो महंगाई क्यों न हो !आम जनता भूंखी क्यों न मरे जब उसी के धन का उपायोंग ऐसी जगह किया जा रहा है!! और इतनी रकम का अन्तिम परिनक अत है "इस केश में बहुत अधिक समय हो गया है अतः इस केश को बंद किया जाता है" !क्या हमने इसी के लिए कानून का भरोषा किया है , क्या हमने इसी लिए सरकार को चुना है !
यदि इसी तरह के निर्णय हमारी कानून व्यवस्था देती रही तो आम जनता का क्या होगा!!बोफोर्स जैसे मामलों के परिणाम में कानून के साथ साथ सर्कार का भी पूरा हाथ होना आम जनता के विश्वास घाट को प्रदर्शित करता है!!

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

great yar

संतोष कुमार "प्यासा" ने कहा…

SAHI MANG...
HAME SARKAR SE ISKA HISAB LENA HI CHAHIE,....
ISI TARAH KE KAI BADE AUR BHI CASH HAI JO SARKAR K PAS LAMBIT PADE HAI JINPAR SARKAR KI KOI KARGAR PRATIKRIYA NAHI NAJAR AA RAHI HAI..