''जिज्ञासा'' दिमाग को चलायमान बनाती है |


आज हर सवाल का जवाब इन्टरनेट पर उपलब्ध है ! अणु, परमाणु, ग्रह, उपग्रह, आत्मा, ईश्वर, ओबामा, ब्रिटनी, अमिताभ जिसके बारे में पूछो पलक झपकते ही जवाब मिल जाता है इससे हम संतुष्टि रुपी उपहार भी प्राप्त कर लेते है बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक, अब माँ बाप और गुरु की आवश्यकता नहीं समझाते हैं न उनसे कुछ जानने की इचछा करते हैं इससे माँ बाप और गुरु भी खुश हैं की अब बच्चों के सवाल तंग नहीं करते हैं ! इंटरनेट ने यदि थोड़ा भी छोड़ दिया तो बांकी समय टीवी के लिए संयमित है !पहले घरो में जिज्ञासा का माहोल होता था हर कोई एक दूसरे से कुछ न कुछ जानने की कोशिश करता था लोगों को सवालों के जवाब खोजने पड़ते थे, कभी कभी जटिल सवालो में घनघोर विवाद तक पैदा हो जाते थे जिसके उपरांत अनेकानेक विचार उत्पन्न होते थे किताबों व् कहानियों पर वाद विवाद सामान्य था ! इस प्रकार के क्रिया कलापों से दिमाग हमेशा चलायमान रहता था लेकिन आज इस चलायमान दिमाग के आगे इन्टरनेट रुपी मंदक का पहरा है!आज जिज्ञासा की अभिलाषा सिर्फ इन्टरनेट से समाप्त हो जाती है! वेदों कथित है की ज्ञान का विस्तार व्यक्तित्व का विकास और मानवीय गुन ख़ुद को जानने के बाद ही आते है " अथातो ब्रह्म जिज्ञासा " jigyasa ke bad manushya ke andar prerna , samvedna , karuna , vinamrata , namrata aur sarashata aati hai ! jo ahankar bhedbhav shoshan aur ashanshkratic वातावरण को अंकुरित होने से रोकती है ! अतएव दिमाग को चलायमान रखने हेतु तकनिकी होने के साथ प्रकृति को न भूले तो अच्छा होगाAnkur Mishra'Yugal'[Unique Group,India]

5 टिप्‍पणियां:

Amit K Sagar ने कहा…

बहुत अच्छा लेख लिखा है आपने. वधाई हो. जारी रहें.
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उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये. [उल्टा तीर] please visit: ultateer.blogspot.com/

shama ने कहा…

Swagat hai...! Bada vicharpoorvak likha hai aapne!

http://shamasansmaran.blogspot.com

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डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

फॉण्ट बड़ा कर लो भाई सफ़ेद में काला अक्षर ज्यादा अच्छे से पढ़ा जाता है वर्ड वेरिफिकेशन भी हटा लो

ĄŊмФ└ ΛĢΆЯшÀҐ ๑۩۞۩๑ ĢΈΛΛ ΘЃ θЯЌЦҐ ๑۩۞۩๑ ने कहा…

AT LAST I MAKED UP MY MIND TO WRITE ON THIS BUT AS I AM NOT SO GOOD IN WRITING LIKE ANKUR I WAS SEEKING MYSELF FROM THIS BUT NOW ITS THE TIME TO BOOST UP HIS CONFIDENCE TO THE EXTREME LEVEL ,,,,HERE I GOES...

TO ALL MY FRIEND WHO ARE CONTINUOUSLY READING AND VISITING HIS BLOG I WANT TO TELL THEM THAT HE IS NOT LIKE US HE IS UNIQUE FROM ALL US TTHE WRITING QUALITY WHICH DIFFRENTIATE HIM FROM ALL US IS A REMARKABLE QUALITY IN HIM AND WHICH ALSO DEPICTS IN HIS ARTICLES. YEAH IF U THINK I AM WRONG YOU CAN READ HIS ARTICLES AND AFTER THAT U WILL FIND THAT I WAS RIGHT.
APART FROM ALL DIS THIS MAN IS VERY SINCERE ABOUT HIS CARRER HE WANT TO CRACK IAS AND MY FRND U WILL CRACK MY BEST WISHES ARE ALWAYS WITH YOU

MAY GOD BLESS YOU !

ANMOL AGARWAL

hitendra ने कहा…

TUM TO BAHUT HI CHHUPE WRITER NIKLE HAM TO MALUM HI NAHI THA KI TUM ITNA SPECIAL LIKH SAHTE HO WA YAAR TUM MEHNAT KARO TUMNE JO HINDI KE LIYE LIKHA HAI VAH HAME BAHUT HI PSAND AYA KYOKI HAM TO HINDI KO HI APNI MATRA BHASA MANTE HAI NA JANE KYO LOG ENGLISH BOLNE KO BETAB RAHTE HAI
THAT'S VERY GOOD.
GOD BLESS YOU.