'मोहब्बत' न रही अब

'मोहब्बत'
न रही अब
ख़त्म हो गयी,
मर गयी
इक लाश बन गयी...
अब उसके साथ है
एक चादर
लफ्ज,
अल्फाज
और शायरी की...
'दिल में बाकी थी
जो अर्जियां
सब इन्जार में है
अब दफन होने के...
कल तक जो जिंदगी थी
अब... अब वो मोहब्बत
पड़ी है अकेले लाश बनकर...
लाश से 'अल्फाजो का चद्दर'
इस कदर चिपटा है
मानो इन्ही की मोहब्बत थी
मै, तू  और हम तो बस
बस
परवाने थे,
बस मोहब्बत की खिदमत के लिए
लायक नहीं थे मोहब्बत के.
#YugalVani


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