एक आन्दोलन जो आज से ठीक
साढ़े तीन साल पहले शुरू हुआ था ! जिसमे सैकड़ो लोग जेल में बंद कर दिए गए थे और
लाखो लोग सड़कों पर उतर आये थे ! जिसके कुछ नामो को मै कभी नही भूल सकता : अन्ना
हजारे, अरविन्द केजरीवाल, किरण बेदी, कुमार विश्वास, बाबा रामदेव, मनीष सिसोदिया
आदि !
सारे नाम एक मंच में थे,
एक मुद्दे के साथ एक मुहीम, देश से भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए, देश सुधार के लिए
! रोज मंच से देश सुधार के लिए आवाज आती थी, लोगो के जुड़ने की फरियाद होती थी !
मै उसी समय से इस आन्दोलन
से जुड़ा हूँ ! जेल जाने वाले चन्द लोगो में मै भी था ! हमेशा गर्व रहा है उस बात
का और आज ये गर्व और बढ़ गया जब किरण बेदी ने भाजपा की सदस्यता ली !
२०११ में जब आन्दोलन शुरू
हुआ मंच से हर पार्टी की सच्चाई को सामने लाया गया ! सप्ताधारी कांग्रेस हो या
भाजपा सभी के नाम सामने आये ! दोनों डालो में भ्रष्टाचारियो की भरमार थी और है !
आन्दोलन आगे बढ़ रहा था ! झूठे वादों के साथ सप्ताधारियों ने आन्दोलन को शांत करा
दिया ! कुछ वक्त आगे बढ़ा मगर वादों पर सर्कार ने कोई विचार नहीं किया तभी अरविन्द
केजरीवाल ने आगे आकर एक ऐसा दल बनाया जिसमे कुछ संभावनाएं देश को दिखी मगर दल
बनाने के साथ ही विरोधी भी बना डाले ! किरण बेदी से लगाकर अन्ना हजारे सब ने विरोध
किया, सबने कहा हमें राजनीती नहीं करनी हम केजरीवाल के साथ नहीं है हम राजनीती के
विरोध में है हम समाजसेवक है.......
मुझे भी उस वक्त थोडा
अजीब लगा मगर जब मै दिल्ली चुनाव में मनीष सिसोदिया के साथ चुनाव प्रचार में
निकला, और लोगो की आश दिखी, एक ऐसी आश जिसके इन्तजार में वो काफी दिनों से थे ! जो
भाजपा और कांग्रेस से दूर हो ! साफ़ हो ! स्वच्छ हो ! आम आदमी के लिए हो ! सबके लिए
हो ! इस दिन के बाद मुझे विश्वास हो गया अरविन्द का निर्णय गलत नहीं था ! दिल्ली
में सर्कार बनायीं और चलायी ! सरकार गिरी मगर अरविन्द ने मैदान नहीं छोड़ा ! साथ के
लोगो ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया मगर उसके पैर तक नहीं डिगे !
मुझे गर्व था हमेशा की मै
उस समूह का सदस्य हूँ ! समय बढ़ता गया लोकसभा चुनाव हुए हार हुयी मगर वो अडिग था
हमेशा की तरह ! कुछ और साथी जो सच में देश के लिए कुछ करना चाहते थे उसके साथ खड़े
थे, और आज भी खड़े है !
लोकसभा चुनाव के बाद मै
धोड़ा राजनीती से अलग होता गया मगर एक दृश्य जिसने मेरा दिल दहला दिया मुझे राजनीती
की तरफ फिर खीच लायी !
किरण बेदी का भाजपा में
आना... राजनीती में आना...
जो कल तक राजनीती के
विरोध में थी जिसने उन्ही नेताओ को गलियां दी थी अन्ना के उस मंच से, जिसने
भ्रष्टाचार के खात्मे की लड़ाई में हिस्सा इया था ! जो जेल गयी थी इन्ही दलों के
विरोध में ! कल तक जिसने अरविन्द को बुरा बताया राजनीती में आने के लिए ! आज वो
राजनीती में आ गया !
राजनीती में आना ठीक था
मगर एक ऐसी पार्टी के साथ जिसके खिलाफ कल तक खड़ी थी, सतीश उपाध्याय, नितिन गडकरी,
येदुरप्पा जिसके हिस्से है !
अरविन्द ने राजनीती चुनी
मगर एक अलग टीम के साथ ! एक अलग छवि के साथ !
किसी भ्रष्ट दल में घुसकर नहीं ! सप्ता का लालची
अरविन्द नहीं है सप्ता की लालची तो आप निकली किरण जी जो कही भी सेट हो लिए !
खेद है आपके विचारो पर कल
तक सम्मान था आपके लिए आज नहीं है !
मगर आपकी इस हरकत ने
अरविन्द के लिए इज्जत और बढ़ा दी ! “वो हमेशा से वही था जो दिखता है, बोलता है उसकी
नियत साफ़ है सबके सामने है !!
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