…..तो क्या नरेंद्र मोदी के विजय रथ को इस सर्दी में भी लू लग गया है.

यह क्या हुआ कि अरविंद केजरीवाल के चक्कर में काग्रेसियों से ज़्यादा भाजपाइयों के चेहरे कांतिहीन हो चले हैं। अभी तक के आदोलन या राजनीती के पदार्पण के पूरे समय में सबसे ज्यादा परेशान कांग्रेस ही हुआ है, जन्लोकपल से छिपना हो या अन्ना से डरना हो हमेशा कांग्रेस और कांग्रेसी पीछे ही रहे है और अगर गिनती में भी नजर मारते है तो यही पता चलता है की कांग्रेस के ऊपर ही ज्यादा आरोप निकले है, भाजपा ने वैसे भी गडकरी और येदुरप्पा के साथ रहकर अपनी इमानदारी तो जगजाहिर कर ही दी है ! लेकिन इन सबके बावजूद रैलियों में अच्छी खासी भीड़ जुटाना और मोदी मोदी चिल्लाकर भीड़ में बताना हमने यहाँ ये किया हमने वहां वो किया …….!! अच्छी गति से चल रहा था , अभी हाल ही में कुछ राज्यों में चुनाव हुए परिणाम आये जिन राज्यों में भाजपा के सपने कांग्रेस थी वहन पर तो अच्छी विजय कर ली लेकिन दिल्ली के परिणाम ने भाजपाईयों के साथ साथ राजनीती के विशेषज्ञों को भी झकझोर दिया एक नयी पार्टी जिसने अपने कदम रखे ही थे देश के सामने तीसरा विकल्प बन कर दिखने लगा. सीटे कम थी लेकिन दिल्ली को दोबारा चुनाव से बचने और बेकार के खर्चो को रोकने के लिए आप ने माइनोरिटी में सरकार बना ली.
……और कल दिल्ली विधान सभा ने एक अद्भुत परिदृश्य का वर्तमान और भविष्य देखा . ऐसे अवसर तो अनेक आये होंगे उसकी किस्मत में , लेकिन उसके आँगन में कहूं या उसकी गोद में , कोई सपूत ऐसा नहीं दिखा था जो उसके आसुओं को अपनी कमीज से पोंछने की कोशिश करे . सब टिश्यु पेपर खोजते हुए जिंदगी भर इधर -उधर छिपने की कोशिश करते रहे और उधर माँ छटपटाती रही . आज वैसा कुछ नहीं हुआ . बेगैरत बेटे रटा-रटाया आरोप दुहराते रहे और एक ईमानदार बेटा अपने गुमराह भाइयों से सही रास्ते पर आने का विनम्र निवेदन करता रहा . दिल्ली की जनता से उसने सहयोग माँगा . देश से उसने सहयोग माँगा . वह अपनी सरकार बचाने के लिए किसी के आगे गिडगिडाया नहीं , उसने घोड़े खरीदे नहीं , उसके घोड़े बिके नहीं . उसने स्वाभिमान से सौदा नहीं किया . उसने अहंकार को गले नहीं लगाया . उसने देश सेवा का व्रत लिया . हिंदुस्तान की राजनीति में इस नयी कड़ी जोड़ी.!

लेकिन इन सबके बीच एक व्यक्ति जिसके पास मुंगेरी लाल के सपने थे, धर्मवाद की राजनीती से जिसने जनता पर खासा असर दाल दिया था उसकी राजनीती में परिवर्तन आने लगा, परिवर्तन लाने वाला और कोई नहीं बल्कि कुछ समय तक ‘परिवर्तन नाम से एक समाज सेवी संस्था चलने वाला एक आम आदमी था. उस आम आदमी के त्याग और इमानदारी देखकर देश का युवा और जनता जुड़ती चली गयी जिसने एक राजनैतिक दल का रूप ले लिया और दिल्ली में अपना करिश्मा दिखाया.
यहाँ बात यहाँ है की आप से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करने वाली भाजपा के इस नेता की लोकप्रियता में दिल्ली चुनाव के पहले और बाद में काफी फर्क आने लगा.
…..हो सकता है सर्दी का असर हो, लू का असर हो लेकिन देश की दिशा और दशा अब बदल चुकी है, अब जनता अरविन्द केजरीवाल में एक प्रधानमंत्री का चेहरा भी देखने लगी है जिसकी वजह से भाजपा वालो में फ़्रस्ट्रेशन के बुलबुले लगातार बजबजा रहे हैं?
तो क्या नरेंद्र मोदी केविजय रथ को इस सर्दी में भी लू लग गया है? यह कैसी उलटी हवा चल रही है? कि मौसम ही उलटा हो गया है? शर्दी में भी एक ऐसी लू चली जिसने मोदी के पर ही काट दिए.

कोई टिप्पणी नहीं: