अमेठी तो एक उदाहरण है, विकास के विस्वास की चिंगारी देशव्यापी है....

कुमार का आगमन दिल्ली को छोड़कर उनके खुद के प्रदेश में हुआ था, ऐसा प्रदेश जहा दो प्रदेशो के मुख्यमंत्री रहते है.. एक मुख्यमंत्री लखनऊ में रहते है जिन पर सभी थू-थू करते ही और एक मुख्यमंत्री गजियाबाद में रहते है जिनके काम की प्रसंसा करते लोग थकते नहीं है ! इसी रविश कुमार जैसे पत्रकार और अरविन्द केजरीवाल जैसे मुख्यमंत्री की निवास नगरी से निकलकर डाक्टर साहब ने अमेठी के लिए कूच किया था ! घने कोहरे में ट्रेन अपना रास्ता तय कर रही थी और डाक्टर साहब ध्यान कर रहे थे ! ऐसा सुना था की हमारे महापुरुष सत्य की खोज में जाया करते थे लेकिन यहाँ कुमार साहब अमेठी को अमेठी का सच बताने जा रहे थे.
गाँधी परिवार के संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी के अ’गांधीवाद से अमेठी त्रस्त हो चुकी थी, ऐसा मैंने सुना था! लेकिन आम आदमी आदमी पार्टी को जिस तरह से जनता का विश्वास हासिल हो रहा था उसके हिसाब से तो देश में एक अच्छी सरकार की कामना करना गलत नहीं था. उसी विस्वास को विस्तृत करने के लिए इस विस्वास ने अमेठी के कुमार (युवराज-राहुल गाँधी) को ललकारा था.! अमेठी एक ऐसा अनोखा घर था जहाँ पर घर के सदस्य अपने ही अभिवावक से त्रस्त थे! विकास से वंचित और युवराज से काफी दूर थे ! इसी अपनत्व को खो चुके अमेठी के लोगो ने डाक्टर साहब में भविष्य देखा और उनके समर्थन में सैलाब उतर आया..!





मैंने समाचार में सुना की “लोग काले झंडे दिखा रहे है उनका विरोध कर रहे है” लेकिन यदि २०% लोग विरोध कर रहे है तो ८०% लोग तो खुस है. ये उस २०% में आते है जो कभी किसी भी विकास में सहायक नहीं हो सकते और यही २०% बचे है राहुल गाँधी जैसे नेताओ के साथ है.! खैर एक विशाल भीड़ के साथ कुछ अमेठी के लोगो ने डाक्टर साहब का स्वागत किया, दिल्ली के रामलीला मैदान का एहसास वहां से मिल रहा था ऐसे मेरे मित्रो ने मुझे बताया..’भारत माता की जय’ के नारे एक अलग जोश पैदा रहे था और मुझे आज खेद है की मई उस साक्ष्य क हिस्स नहीं बन सका, लेकिन हर इतिहास पठनीय होता है उर यह रैली भी ऐतिहासिक थी, विशेषता अनेक थी सबसे बड़ी विशेषता जो मुझे लगी : देश के युवराज के संसदीय क्षेत्र की जनता युवराज को छोड़कर एक ऐसे आदमी को सुनने आती है जिसने अभी अभी राजनीती में कदम रखा है ! जानत का आना युवराज का खुला विरोध दिखाती है की लोग कितने त्रस्त है युवराज से..
अमेठी तो मात्र एक उदाहरण है देश के हर कोने का यही हाल है !
'कुछ छोटे सपनों के बादल,
बड़ी नींद का सौदा करने,
निकल पड़े हैं पांव हमारे,
जाने कौन डगर ठहरेंगे।'
डाक्टर सहक की ये पक्तियां वास्तव में लोगो के दिलो में बैठ चुकी है और वो देश विकास के लिए जाग चुके है..
न तेरा है
न मेरा है
ये हिंदुस्तान सबका है
नहीं समझी गयी ये बात
तो नुकसान सबका है.....

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