वो दिन और थे जब पुरुष किसी महिला के बचाव में खड़ा होता था ! आज की महिलाए खुद के साथ साथ समाज की सुरक्षा करने में भी सक्षम है ! देश सेवा के लिए सेना में या राजनीती में हर जगह इन्होने अपनी शक्तिशाली छवि बनायीं हुयी है ! लेखनी की ताकत हो या उद्योग जगत की उचाई हर जगह इन्होने अपना परचम लहराया है ! ऐसा करने वाली महिलाओ व लड़कियों में भारत ही नहीं बल्कि विश्व के हर देश का अलग स्थान है ! गाँव की लड़की अब शहर में आकर पढ़ती है, जमीन से आसमान तक का सफ़र तय करती
है ! वही दूसरी तरफ यही माँ के रूप में 'प्यार' और ममत्व का भण्डार रखती है !
तो यहाँ सोचना उन्हें है, जो अब भी अपनी माँ, पत्नी, बहन या बेटी को कमजोर मानते ! सोचना उन राक्षसों को है जो उनकी मजबूरी का फायदा उठाते है!
16 साल की लड़की 'मलाल' का संदेस केवल महिलाओ या लडकियों के लिए नहीं है उसका यह सन्देश सारी मानव जाती के लिए है ! संयुक्त राष्ट्र संघ में मनाया गया 'मलाला' का जन्मदिन सरे विश्व के लिए सन्देश है की अपने कर्म को इमानदारी और परिश्रम से करो, आज जो केवल कथन बन गया है उस पट अमल की जरुरत है !
मनुष्य के सबसे बड़े हथियार उसकी लेखनी होती है !
"मलाला" की अपील "चलो किताबें और कलम उठाओ. ये हमारे सबसे ताकतवर हथियार हैं. एक बच्चा, एक शिक्षक, एक किताब और एक कलम ही दुनिया को बदल सकते हैं. शिक्षा ही एकमात्र हल है." वास्तव में आज का समाज सुधारने का सबसे बड़ा हथियार है ! हमें किसी भी क्रांति की जरुरत नहीं होगी यदि सबको सही शिक्षा मिलने लगे !
तो बस जरुरत है छोटे से अभियान की
"सर्वशिक्षा श्रेष्ठ शिक्षा", एक छोटा सा कदम मलाला के संघर्ष के नाम !
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