धर्मनिरपेक्षता को नया मुद्दा मत बनाइये, जनता सब जानती है उसे विकास चाहिए !

  एक  हिदू बाहुल्य  देश  का  नेता कहता है है की वो धर्मनिरपेक्ष है, इसमें मिडिया उनके पीछे पड़  जाती है और उस मुद्दे को देश का सबसे बड़ा मुद्दा बना देती है ! वही दूसरी ओर  वह नेता   उनके साथ काम कर चूका है जिन्हें अब वह खुद धर्मनिरपेक्ष नहीं मानता ! केवल एक व्यक्ति ने उनकी सोच बदल दी, कारण क्या हो सकता है : व्यक्तिगत विवाद या प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी ! आज ही मैंने धर्मनिरपेक्षवाद की  परिभाषा पढ़ी जिसमे खा गया है : 
सभी धर्म के लोग कानून, संविधान एवं सरकारी नीति के आगे समान है।
तो क्या भाजपा के शाशनकल में ऐसा नहीं था, क्या गुजरात में ऐसा नहीं है ! क्या गुजरात में दो संविधान चलते है हिन्दुओ के लिए अलग और मुसलमानों के लिए अलग ?
प्रिय नेता जी आप बिहार से आगे बढिए , बिहार ने आपको अपनी जिम्मेदारी दी थी क्योंकि उन्होंने सोचा था आप जिम्मेदार और समझदार है , लालू जी की तानाशाई का विकल्प है , लेकिन आप ऐसे है तो आपने बिहार की जनता के साथ विश्वासघात किया है ! देश के आधुनिक विकारो को मिटाने की कोशिश करिए उन्हें बढ़ने की नहीं देश वैसे ही गर्त में   जा रहा है , देश को विकल्प की जरुरत है !
एक व्यक्ति जिसे देश की जनता चाहती है की वह देश की बागडोर संभाले, उस बागडोर के लालची मत बनिए !
            एक दल है जिसके अन्दर से रोज सुबह कुछ कीड़े पकडे जाते है, जिन्होंने भ्रष्टाचार को अपनाया है ! एक दल है जो देश के लिए नया है प्रतिभा होने के बव्जीद अनुभव की कमी है ! ऐसी परिस्थिति में आप और भाजपा ही एक विकल्प है ! सोचना आपको है बिहार ही आपका घर है या देश को घर बनाना है ! आपको विकास से भी कुछ मतलब है या फिर बस आपको कुर्सी चाहिए !
धर्मनिरपेक्षता को नया मुद्दा मत बनाइये, जनता सब जानती है उसे विकास चाहिए ! 

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

धर्मनिरपेक्षता को नया मुद्दा मत बनाइये, जनता सब जानती है उसे विकास चाहिए !