ये तो वो ‘आतिश’ है ग़ालिब !
लगाये न लगे ! बुझाये न बुझे !
उपर्युक्त पंक्ति वैसे तो साधारण है लेकिन वास्तविकता असाधारण है,शब्द छोटा है, लेकिन किसी व्यक्तित्व को “साधारण से असाधारण या असाधारण से साधारण” बनाने में अहम भूमिका होती है! शादियों से चली आ रही इश्क की कहानिया तो सभी ने सुनी ही होगी लेकिन इसी शब्द पर आधारित “सत्यमेव जयते” देखने के पद दिल दहल जाता है, “प्यार, मोहब्बत, इश्क, लव” इन खूबसूरत शब्दों को वास्तव में किन विषम परिश्थितियों से गुजरना पड़ता है ! जैसा कहा जाता है “ इश्क :लगाये न लगे ! बुझाये न बुझे !” इस जीवन से कोई जितना दूर है उतना दूर है लेकिन एक बार जिस व्यक्तित्व ने अपना पदार्पण कर लिया उसे यहाँ से निकलना “दूभर” हो जाता है ! इस “अंकुरित” प्यार से या तो “युगल” बन जाते है या फिर ऐसी कहानिया सुनने को मिलती है जो एक परिवार को विखंडित कर देती है ! भारतीय संस्कृति के रीती-रिवाजो के हिसाब से अधिकतम ग्रामीण परिवार इए तरह के रिश्तों को स्वीकार नहीं करते जो “आज के भारत” की प्रमुख समस्या बनी हुयी है वाही शहरी जीवन में नजर डालने से पता चलता है की यहाँ ऐसे सम्बन्ध में रूकावट तो कम है लेकिन सम्बन्ध स्थापित होने के बाद संबंधो के तथ्य नकारत्म है ! वहाँ कुछ न कुछ वास्तविक समबन्धो में गिरावट आ जाती है ! इस स्थिति में कहा के “इश्क” को अच्छा समझे ?????
“सत्यमेव जयते”के जरिये कई ऐसे कारण निकलकर आये जो “प्यार और इश्क” जैसे शब्दों को बदनाम किये हुए है , जैसे परिवार के जातिवाद का जुल्म, बेटे-बेटियों की असाधारण हत्याए, पंचायतो का बहिष्कार, ‘खापो’ की मनमानी ....... इत्यादि ! कुछ भी हो मनमानी किसी को हो, समाज की मर्यादाओ का बहाना हो या कुछ और हो , कुछ बहके लोगो की मनमानी से ऐसे रिश्तों को कुछ परम्पराओ के अधर पर अपने अधर पर जुर्म घाषित करना बिल्कुल गलत है ! “इश्क” के जरिये ऐसे सम्बन्धो का निर्माण होता है जो जीवनपर्यंत के लिए जरुरी है और जीवन में कभी समस्याए नहीं आती ! आज के समाज के लिए परिवर्तन जरुरी है, लोगो को समझना होगा की यदि किसी का जीवन हमारी रुढिवादिता को तोड़कर बनता है तो हमें तोडनी होगी ये पुराणी रुढिवादिता, रोकनी होगी पंचायतो की मनमानियां ! समस्या हमारी है पहला कदम हमें ही उठाना होगा !!
एक महान प्रेमी-दोस्त का कहना है :
“प्यार करना पाप नहीं है और विरोधी हमारा बाप नहीं है !”
प्रेम का विकास हो, प्रेमी प्रमिकाओ में में विश्वास हो,
प्रेम विरोधियो का नास हो, गर्व से कहो हम प्रेमी है, अपराध-बोध से नहीं !!
हम सब एक है : सत्यमेव जयते !!
1 टिप्पणी:
lots of interested material here
Happy to find it
via Indiblogger
एक टिप्पणी भेजें