''सत्य और साहित्य'' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ )
जनलोकपाल की अति आवश्यकता थी यह “अनशन” और “आन्दोलन”:- अंकुर मिश्र “युगल”
देश ने अग्रेजी स्वतंत्रता के बाद देश के आतंरिक कलह की विशाल स्वतंत्रता हाशिल करते हुए जिस मुकाम को हासिल किया है उसे न केवल जनता की जीत कहेंगे बल्कि उसे एक नवीनतम भारत की जागरूप जनता के अधिकारों की जीत कहेंगे ! उसने उन अधिकारों को लिया है जो उसके लिए वांछनीय थे ! इस आन्दोलन ने भारत की एकता को पुनः एकत्र कर दिया है, यदि इसी एकता से भारत अपने अधिकारों के लिए लड़ता रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब हम वही होंगे जहाँ होने चाहिए थे ! देश के इस आन्दोलन के पथ प्रदर्शक “अन्ना जी” को मै धन्यवाद देना चाहूँगा की उन्होंने जिस शालीनता और अहिंषा से देश को अपने अधिकारों के लिए लड़ाई का मार्ग दिखाया है वो कोई साधारण कार्य नहीं है !
“आज की दुनिया और अहिंषा” इन शब्दों का कुछ तालमेल नहीं बैठता लेकिन फिर भी इस महानायक ने इन्हें समतुल्य कर दिखाया, वो भी हजार या लाख लोगो में नहीं इन्होने ये समतुल्यता दिखाई है एक अरब से ऊपर वाले भारत में, जो अपने अधिकारों के टेल खुद दब रहा था !यहाँ कानून तो आते थे पर सामान्य जनता को उसकी जानकारी भी नहीं हो पाती थी! गरीब हमेशा अपनी गरीबी के लिए गरीबी और सरकार दोनों से लड़ता आ रहा है ! अमीर की बात मत करे .... क्योंकि उनकी दशा और दिशा दोनों आप को पता ही होंगे ! बात करे ग्रामीण इलाको की तो उनके पास संचार साधनों की कमी होने के कारण सूचनाओ की जानकारी दुर्लभ रहती है वही शहरो को सारी जानकारियां, जानकारियों के आने के पहले ही मिल जाती है ! इसी वजह से एक प्रजाति तो विकास की उचाई पर होती है और दूसरी के विकास का “अंकुरण” भी नहीं हो पाता ! इसी अंतर को खत्म करने के लिए जिस लोकपाल बिल के लिए आन्दोलन हुआ है, मै समझता हू वाद देश की आवश्यकता नहीं बल्कि अति आवश्यकता थी ! सभी देखते है कितने कानून आते है और चले जाते है जिनकी जानकारी सामान्य जनता को हो भी नहीं पाती ! लेकिन इस बिल का इस तरह से पास होना या संविधान में आना अच्छा नहीं था !क्योकि यह वो बिल है जिससे तानाशाही रुकेगी, भ्रश्ताचारिता रुकेगी और अराजकता रुकेगी ! ऐसे बिल का शांति से पास हो जाना और उसकी नियमावली जनता को पता न चलना सही नहीं था ! धन्यवाद देना चाहिए उस “सरकार” की “सरकार” का की वो खुद अपने जंजालो में फसते गए और इस “अन्ना” अनशन को जनता को समझाने का मौका दिया ! उसे यह पता भी नहीं चला की उसने सोई हुई जनता को जगा दिया है, अब केवल लोकपाल बिल पर बात नहीं रुकने वाली, आवाज उठ चुकी है और यह आवाज हर उस विडंबना पर उठेगी जिससे देश को जरा भी खतरा होगा !
इस अनशन और आन्दोलन के बीच के समय में जनता को “जनालोकपल बिल” की खूबियों का विवरण भली-भांति पता चल चुका है , यह विवरण उस जनता तक भी पहुँच चुका है इसके पास संचार संसधानो की कमी थी और वह हमेशा अराजकता और तानाशाही के टेल दबे रहते थे!
प्रमुख मुद्दों को संचार माध्यमों में से इतने प्रकाश में ला कर जनता को उसके अधिकारों को बताया है खासकर अंतिम 3 “सिटिजन चार्टर, निचले स्तर के नौकरशाह और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति” ने सबको अपने अधिकारों से अवगत करा दिया है ! उकता कारणों से पता चलता है यदि यह “अनशन और आन्दोलन” नहीं होता तो देश को एक इससे अवगत नहीं हो पाता, सरकार और प्रशाशन की तानाशाही इसी तरह चलती रहती परन्तु अब हर तबके के लोगो में इसिअकी जानकारी होने की वजह से “जन लोकपाल” की पूर्ण विजय होगी !
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4 टिप्पणियां:
bahot achha sir..bas ab yahi ekta aur sanyam deshwasiyon me barkarar rahe..
well said brother. keep it up..
Saty Vachan Mishra ji..
अन्ना हजारे जी ने जो आन्दोलन खड़ा किया सच्चे माने में वह भारतीय इतिहास के पन्नो में आदर पूर्वक लिखा जायेगा....निस्संदेह यह क्रांति लोक नायक जय प्रकाश नारायण द्वारा संचालित क्रांति के बाद स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी क्रांति थी और आशा है की बनी रहेगी ! परन्तु मित्र, क्रांतियाँ हमेशा इतिहास के पन्नों में दब जाया करती हैं, मुझे डर केवल इसी बात का है की कहीं क्रांति की ये चिंगारी जो दशकों बाद इस देश ने फिर से प्रज्वलित की है, काल के झंझावातों में कहीं विलुप्त न हो जाय ! आशावादिता के चौराहे पर खड़ा ये मन फिर भी भारतीय जन मानस से ये आशा करता है कि ये चिंगारी ज्वाला ज़रूर बनेगी ! जय हिंद !!
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