जनता मात्र वोट बनकर रह गई है आज की राजनीती में- अंकुर मिश्र"युगल"


एक विचार आपके विचार के लिए......
जी हा अब फिर एक तातीजा आ रहा है हमारे लिए "अयोध्या का फैसला" !अरे आज हम हिन्दू- मुसलमान एक दुसरे के इतने दुश्मन नहीं है जितनी हमारी सरकार हमें बनाती जा रही है! यदि वर्तमान की गतिविधियों को देखे तो सब शांति से चल रहा है कोई किसी परेशानी में नहीं है सिवाय महगाई के,वो भी हम हँसते हँसते झेल रहे है ,लेकिन अयोध्या मामले का फैसले की खबर से पुनः अशांति फ़ैलाने जो की कोशिश हमारी सरकार कर रही है वह वास्तव में "आज की भारतीय राजनीती" पर सोचने के लिए विवश करती है ! वो भी दशको से पड़े इस मामले का परिणाम तब देगे जब "हमारे स्वर्ग जैसे कश्मीर में परेशानिया छायी हुई है ", "कुछ ही समय बाद हम राष्ट्रमंडल खेलो का आयोजन करने जा रहे है ",क्या हमारी सरकार य न्यायलय को और कोई समय नहीं मिला था जिसमे इस परिणाम की तिथि घोषित कर सके ,अरे हम यही सोच लेगे की हमारा मंदिर या मस्जिद थोड़ी विलंभ बना ! पर विश्व में हमारी छवि तो बनी रहेगी हम खेल तो शांति पूर्वक निपटा सकेगे! हाँ यहाँ दूसरा ध्यान देने वाला बिंदु यह है की आखिर अयोध्या में सेना को लगाकर सरकार दिखाना क्या चाहती है,देश की सेना विदेशियों से सुरक्षा के लिए है या आपस में लड़ने के लिए !और हाँ देश के अन्दर हमें सुरक्षा की आवश्यकता खुद के लिए नहीं अपितु उनके लिए है जो हमारे यहाँ अपनी प्रतिभाओ का प्रदर्शन करने आ रहे है !!
यह तो केवेल एक बिंदु था जहा यह सिध्ध होता है हमारी सरकार हमारे साथ जब चाहे अपने वोटो का कोटा बढ़ने के लिए कुछ भी कर सकती है जो पूर्ण रुपें दृशनीय है !
आप किसी भी सरकारी क्रियाकलाप से ये देख सकते है की हम केवल वोट के लिए प्रयोग किये जा रहे है,वो चाहे नेताओ के चुनाव से पहले विकासक के वादे हो या फिर चुनाव के बाद की नेतागिरी !
अरे आप खुद सोचिये की.....
>> क्या वो धन वापस आया है जिसके लिए चुनाव से पहले वादा किया गया था (मेरा मतलब कला धन) !
>>क्या दशको से पड़े उन गरीबो का कुछ हुआ जो चुनाव में हमेशा भाग लेते है(उनका विकाश)!!
>>क्या उन नेताओ का कुछ हुआ जो हमारी माँ, बहनों को सताकर परिवार जानो को लूटकर मंत्रिमंडल में पहुछे है और जिनको कभी मंत्री पद न देने की बात कही गई थी!!!
>>अरे उनके लिए भी सोचिये जो अपनी जन को हमेश अपनी हंथेली पर लिए रहते है वो भी इस लिए की हमरे राजनेताओ,उद्योगपतियों को कुछ न हो, अरे उनके परिवार जानो के बारे में तो सोछो हमारे आकाओ!!!!
>>राजनीती की परिभाषा को यद् करो ,हाँ सब जानते है की किसी साम्राज्य के लिए महत्व पूर्ण इकाई है ,पर यद् करिए उसमे यह भी है यही वो शब्द है जो दो विभिन्न साम्राज्यों को संगठित करता है न की अपश में लड़ता है !!!!
इत्यादि हमें ऐसे अनेक बिंदु मिल जायेगे जो हमारी राजनीती को गर्त में पहुछा रहे है !
आप सोचेगे की इन बिन्दुओ को तो सब जानते है , हाँ सत्य भी है पर आप एक बार गंभीरता से विचार करिए आपको कुछ नकुछ कमी जरुर नजर आयेगी!
आशा है आप इस विचार पर विचार जरुर करेगे...

5 टिप्‍पणियां:

Er. Ankur Mishra'yugal' ने कहा…

एक विचार आपके विचार के लिए..........

Er. Ankur Mishra'yugal' ने कहा…

asha hai ap Favour or oppose me Comment jarur dege..
Thanx..

संगीता पुरी ने कहा…

सोंचकर भी हम क्‍या कर सकते हैं .. जब हम मात्र वोट ही रह गए हैं !!

Er. Ankur Mishra'yugal' ने कहा…

PAR MAM KARNA TO HAME HI HAI N.....

बेनामी ने कहा…

we have to take responsbilily for all.
if we want the change,we have freedom to choose the right person.