"घोर कलयुग का सामना करती राष्ट्रभाषा के विचार"..



आज मै इस तरह से अपने ही घर में लज्जित हो रही हो की किसी के सामने अपने दर्द का व्याख्यान भी नहीं कर सकती !पहले तो मुझे इस बात का कष्ट रहता था की आतंकवाद, नक्सलवाद अदि मेरी माता को लगातार कष्ट दे रहे है, लेकिन उस दर्द का एहसास मुझे नहीं होता था ! अज जब लोग मुझे ही मारने लगे तो मुझे लगा की देश पर आज वास्तविक खतरा मधरा रहा है !और उस कष्ट की अनुभूति हुई जो मेरी मातृभूमि सदियों से सह रही थी ! जब श्री अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में मेरे दर्शन सम्पूर्ण विश्व को कराये थे तो मुझे लग रहा था की मै भी अब इस सखा की सदस्य बन जाउगी !
लेकिन आज की इस व्यस्ततम दुनिया में मुझे नहीं लगता की मेरा वह सपना कोई पूरा कर पायेगा !जो करने वाला था वो असमर्थ हो गया है और जिसको सौपा गया था उसने मेरा विनाश करने की ठान रखी है! मुझे आज मेरी जन्मभूमि में ही कोई सरन देने वाला नहीं है कोई नहीं है जो मेरी दुःख भरी किलकारियों को कोई सुन सके !सब के सब मुझे कष्ट देने में लगे है.....................................................

आखिर इनकी क्या इच्छाए है जो ये मेरी बलि चढा कर पाना चाहते है !यदि ये मेरी वजह से कष्ट में है तो मुझसे कह दे तो मै अपने भाइयो,माताओ, गुरुओ,और देश्वशियो के लिए अपना भी बलिदान कर दुगीं ! lekin मुझे ऐसा भारत चाहिए जो विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र हो जिश्मे तनिक भी बधाये न हो !
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"घोर कलयुग का सामना करती राष्ट्रभाषा के विचार"
प्रस्तुतकर्ता-- अंकुर मिश्र ''युगल''
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13 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Good Thinking Sir..
Keep it Up...

बेनामी ने कहा…

really god thought

Anil Anuragi ने कहा…

Kafi achcha likha aapne. Lekin yaar writing only is not going to serve our purpose. We should do somethingto combat these illness of the socities which are growing inside them. Nice post :)

बेनामी ने कहा…

भाई राष्ट्र भाषा तो नाम की है कुछ लोगो के लिए लेकिन अच्छा लगता है जब हम देखते है की कई संस्थानों में व्यापर में हिंदी का प्रयोग होता है हिंदी के बने सॉफ्टवेर चलते है! लेकिन कुछ सुधरना और कुछ सुधारना तो पड़ेगा है हम, लोगो को

Mohammed Tariq ने कहा…

wese to hamare Desh me har 40 KM ke baad Boli/bhasha badal jati he phir bhi HINDI hamari RASHTR-BHASHA he iske mehatva ko har bhartiye ko samajhna hoga ...... Nivedanusar :- MUHAMMAD TARIQ BHOPAL

Unknown ने कहा…

oye ho bade achche vichar kar raha vyakt kar raha ho kahi politixxxxx me jane ka mood to nahi hai....

बेनामी ने कहा…

nicccccccc.

Amar Singh ने कहा…

article to achchha hai..
par ye batao tum itna time kaha se late ho tum yar koi dava hame bhi batao......

Amit Shukla ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है अंकुर जी आपने आप कलम तोड़ लिखते है लगे रहो मुन्ना भाई अब मंजिल दूर नहीं जब हम वहा अपना वर्चस्व लहरा रहे होगे

Ankur Mishra"Yugal" ने कहा…

Sabhi ka Bahut bahut Dhanyavad in mahatvpurn evam vicharniy tippaniyo ke liye.......

Ankur Mishra "Yugal" ने कहा…

SAHI BHI HAI HAM SABKO APNI HINDI KE LIYE AGE ANA HI HOGA....

Ankur Mishra"Yugal" ने कहा…

ha ab taippani kyo ayegi Hindi Divash to gaya...
Sahi bhi hai yahi to HindustAN hai jo khud ko bhul jata hai...

डॉ निरुपमा वर्मा ने कहा…

हिंदी हमेशा साहित्यकारों , हिंदी प्रोफेसरों , मंचीय कवियों ,की बपोती रह गयी है ,जब तक इसे सहज नहीं बनाते हम रोते ही रहेंगे . आप ने अच्छा लिखा है