''सत्य और साहित्य'' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ )
आखिर कब तक बलि चढ़वाने का इरादा है हमारी सरकार का !.....
पिछले कुछ वर्षो से लगातार नक्सली हमलो से मरने वालो की सख्या हजारो में पहुँछ गई होगी! लेकिन इससे निजत का आज भी सरकार को कोई उपाय नहीं सूझ रहा !
हाँ हो सकता है हमारी सरकार यहाँ भी पं. जवाहर लाल नेहरु जी के शांति के समझौते को लागू कर रही हो!
वो नक्सलियों को सन्देश दे रही हो की आप हमला करो हम जबाब नहीं देगें !
लेकिन सरकार को यह तो समझना ही चाहिए की नक्सली यहीं से पैदा हुये है और उन्हें मालूम है हमारी नीतियाँ क्या है ,हमारी शांति की नीति भी उन्हें मालूम है!
और सोचनीय तो यह है की वो हमारे खिलाफ हथियार उठाने वाले है और क्या उन्हें शांति की परिभाषा भी आती होगी !
जो हम उन्हें लगातार शांति के और प्रत्यर्पण के सन्देश दे रहे है!
खुले रूप से कहा जाये तो नक्सलवाद आज भारत में आतंकवाद का रूप ले चुका है !
यहाँ भी यही सोचनीय है की आतंकवादी भी अपनों को कभी घात नहीं पहुचाते पर ये तो अपनों को समाप्त करने पर तुले है!
तब इन्हें क्या आतंकवाद और नक्सलवाद की संज्ञा भी सही है ! मेरे हिसाब से नहीं !!!!!!!!!!!!!!!!
आखिर इससे ये प्राप्त क्या कर लेगे ,क्या ये सरकार को चुनौती दे रहे है या समाज में अपना भय व्याप्त कर रहे है ये तो वही जानें//.
पर यहाँ हमारी सरकार को सही कदम उठाने की जरुरत है सरकार को खुद के भविष्य की नहीं तो जनता के भविष्य की चिंता तो करनी ही पड़ेगी ,उन सेनानियों की चिंता तो करनी ही पड़ेगी जो मंत्रियो जैसी विशाल सुरक्षा नहीं रखते है और दूसरो के लिए खुद को निक्षावर कर देते है ! वही सिपाही व सेनानी प्रतिदिन सहीद हो रहे है और सरकार उन्हें क्षणिक सम्मान देकर सहीद घोषित कर देती है ! सरकार को उन शहीदों को ही न्याय दिलाने की जरुरत आज के समाज की आवाज है अथवा वो दिन भी दूर नहीं होगा जब हम अपनों के साथ भी चलने में कतरायेंगे!!!!!!!!!!!!!!
वो भी चंद महानुभावो की वजह से जो मानव जाति में अपना भयावह सन्देश भेज रहें है !!!!
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