अब तो जागो भाइयो ....अंकुर मिश्र ''युगल''

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तोड़ मोह के पाशों को,
भर लो वक्ष स्थल में आग |
अब समय नहीं है सोने का ,
राम पुत्र तू जाग जाग ||
बन पांचाली का क्रोध महा ,
बन जा तू ज्वाला प्रचंड |
अरिदल रण को छोड़ भगे ,
हो जाये उनका मान खंड ||
चारो दिशाएं गूंज उठे ,
ऐसा हो तेरा युद्ध राग |
अब समय नहीं है सोने का ,
राम पुत्र तू जाग जाग ||
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2 टिप्‍पणियां:

dwivedijournalist ने कहा…

bhai ji aap ki is baat pr hr bhartiy ke khoon me ubaal aana swabhawik hai.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढ़िया कविता है।बहुत बहुत बधाई।ऐसे ही लिखते रहे...शुभकामनाएं।