अब ''अफसरों'' का फैसला करेगे राजनेता ..अंकुर मिश्र ''युगल''


श्री पि.चिदंबरम द्वारा दी गयी टिपण्णी की ''अब ५० वर्ष पुरे कर चुके I.A.S. , I.P.S. ,I.F.S. अधिकारियो के कामकाज की समीक्षा की जाएगी '' क्या सही है ! कार्यकाल तो सभी का देखना चाहिए पर इसमे उम्र का व्यधान क्यों! कामकाज की समीक्षा तो अतिआवश्यक है पर नियुक्ति के समय से ही ,यदि उम्र का सवाल है तो मै चाहता हू की आधुनिक राजनीती में सबसे पहले बदलाव होने चाहिए और उसकी समीक्षा की आवश्यकता पहले है ! हमारी राजनीती में अनेक ऐसे लोगो को जगह दी गयी है जो इस के बिलकुल काबिल नहीं है ,तमाम को तो केन्द्रीय मंत्री ,राज्यमंत्री व तमाम पद दिए गए है जो अत्यंत शर्मकार है !तो श्री चिदंबरम जी आपका मतलब है की आप उन नेताओ के जरिये उन अधिकारियो की समीक्षा करायेगे जिनमे जमीं असमान का फर्क है !
मानते है हमारा देश लोकतांत्रिक है पर इतना ज्यादा लोकतात्रिक भी मत बनाइये की यहाँ प्रशासन नाम का अश्तित्व ही न बचे ! पहले ही उन अधिकारियो का ''तबादला'' आप लोग अपने मनमाफिक जगह करके उन्हें अपना पुतला बनाये हुए है अब और ज्यदिती न करे तो अच्छा ही होगा !
हमें चाहिए की की प्रशासनिक अधिकारियो के कामकाज में राजनेताओ का दखल समाप्त कर उनके लिए उनके ही आयोग के नियमो को लागु करना चाहिए जो उनके लिए एवं भारतीयों के लिए हितकारी है !
तो आप जैसे महान नेताओ से गुजारिश है की आप लोग कृपया प्रशासन को इतना कमजोर न बनाये की वो अपने कामो को करने के लिए भी डरे और अपने पद का अश्तित्व भूलकर वह उस जनता को भूलकर ,(जिसके लिए वह आया है और जिसने आपको यह पद दिया है) आपका कतपुतला बनकर आपकी सेवा में ही जुट जाये और देश एवं जनता को भूल ही जाये!
आशा है आप यह बाते मजाक में नहीं लेगे!

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