क्या सच में ऐसा देश है हमारा :अंकुर मिश्र 'युगल'


आखिर और कब तक सपनों की दुनिया में रहेंगा ?
अनेकता में एकता , शांति का प्रतीक, सर्वधर्म समभाव आदि जैसी खोखली कहावतो को और कब तक मानते रहेंगे ? देश के अन्दर कोई दूसरा देश घुसता चला आ रहा है और हम अब भी शांति के दूत है ?
देश में रोज बलात्कार पे बलकार होते चले जा रहे है और हम शांति के दूत है ? देश के अन्दर एक व्यक्ति यह बोल देता है की बलात्कार महिलाओ की साज  सज्जा के कारण हो रहे है उस बात को लेकर देश के अन्दर एक उबाल आ जाता है लेकिन देश की सीमओं के अन्दर  घुसकर कोई  मातृभूमि को हड़पता चला जा रहा है उसके लिए कोई नहीं बोलेगा ! जनता भी  शांत है, मिडिया भी शांत है और सरकार भी शांत है !
एक सरबजीत के लिए सारे अखबार और न्यूज चैनल भरे पड़े है लेकिन उन हजारो सरब्जीतो का क्या जिन्होंने अपनी जान गवांकर देश को सुरक्षित रखा है !
कहा  है वो नरेन्द्र मोदी जो पाकिस्तान पाकिस्तान के पीछे पड़े रहते है , क्या भारत को पाकिस्तान से ही खतरा है ! अब चीन भी आ रहा है अब आप कुछ नहीं कहेंगे ?
कहा है वो अरविन्द केजरीवाल जो आम आदमी की साख में देश को बचाने चले थे वाही आम आदमी आज खतरे में है, जल्दी ही चीन धीमे धीमे करपे दिल्ली भी आएगा क्या आप तब भी धरना कर रहे होगे !
और वो दीदी कहा है जो पश्चिम बंगाल की लड़ाई में लिए दो दिल्ली तक आ जाती है लेकिन अब तो देश खतरे में है आप भी कुछ नहीं कहेंगी ?





खैर इन सब से पूंछने का ज्यादा हक़ तो है भी नहीं !  ये सब तो फिर आरोप प्रत्यारोप शुरू कर देंगे !
प्रश्न तो सरकार से बनता है, आखिर सप्ता होते हुए भी सभी पुतले क्यों बने हुए है, क्या प्रधानमंत्री अब भी किसी जुगाड़ की फ़िराक में है या या फिर इंतज़ार कर रहे है की 2014 के चुनाव में इसे भी मुद्दा बना लेंगे !
ohhhhhhhhh फिर से गुस्ताखी प्रधानमंत्री कौन होते है उत्तर देने वाले उत्तर तो इटली की महारानी से पूंछना होगा ! इस समय पर इनके बारे में कुछ अच्छाइयां  भी सुनने में आ रही है "त्याग" की कहानिया !
अभी मै कुछ दिन पहले एक महाशय से मिला सरकार के कार्यकाल की बात चल रही थी , महाशय बोले "है किसी में इतनी हिम्मत जो भारतीय इतिहास का हिस्सा न बनना चाहता हो, प्रधानमंत्री पद का त्याग कोई साधारण आदमी नहीं कर सकता "! खैर मुझे बात में दम तो लगी 'त्याग' की बात तो मननी पड़ेगी लेकिन त्याग  पद का नहीं इटली का  जो इटली छोड़कर भारत में रह रहे है सच में मेरी हिम्मत तो नहीं है की मै अपने देश को छोड़ सकू !!
तो अब आप कुछ नहीं कहेगी चीन मामले में , कही ऐसा तो नहीं है इटली का मध्यस्थ बनकर भारत को भेजने का इरादा हो आपका चीन के हाथो ! ........................
समस्याये समस्याए बनी हुयी है सरकार और राजनैतिक दलो का काम है बस आरोप प्रत्यारोप ! अखिर क्या होगा  आम आदमी का आम आदमी को भी नहीं पता !
बस देखते रहो और जागते रहो !

क्या सच में 'नमो ! नमो ! नमो ! ' हो सकता है ? :अंकुर मिश्र 'युगल'

     नमो ! नमो ! नमो ! की गूंज ने जिस तरह से पूरे देश में तहलका मचा रखा है क्या वो सच में देश का उद्धार करने में सक्षम है ! नरेंद्र मोदी देश के लिए आज एक ऐसा नाम है जिसे प्रधानमंत्री बनाने के लिए लगभग सभी की मुहर लग चुकी है ! यहाँ सभी से मतलब उस अधिकतम प्रतिशतता से है जो इन्हें भारत के अगले प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें देखना चाहते है , प्रसंशको में देखे तो इनके विपक्ष के राजनेता भी इस सख्शियत में देश का अगला प्रधानमंत्री देख रहे है ! इन सबके पीछे है केवल एक कारण गुजरात का विकास ,
गुजरात में इन्होने 'रूरल' और 'अरबन' दोनों  क्षेत्रो को ध्यान में रखकर 'ररबन' विकास की जो नीव राखी उसकी सराहना केवल भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में हुयी ! विश्व की बड़ी सभाओ में अपने विकास के कदम बताने के लिए बुलाये जा चुके नरेन्द्र मोदी क्या सच में देश के अगले प्रधानमंत्री हो सकते है ये भाजपा से लेकर सभी पार्टियों केसामने बड़ा प्रश्न है ! देखा जाये तो खुद नरेन्द्र मोदी ने अपनी इस मुहीम के लिए प्रचार प्रसार शुरू कर दिया है ! बाबा रामदेव से मिलना , भाजपा के बड़े नेताओ को बार बार गुजरात बुलाना , कई बार दिल्ली आना , बड़ी सभाओ के राजनैतिक भाषण तो यही दिखाते है की वो खुद को वो भाजपा से अगली पंचवर्षीय के प्रधानमंत्री पद के दावेदार मान चुके है !
     लेकिन अभी भी प्रश्न अनेक है , क्या केवल उनके या आम जनता के सोचने से वो प्रधानमत्री बन जायेगे ??
उनकी राजनैतिक प्रष्टभूमि जो रही है क्या उनके प्रधानमंत्री बनाने के लिए सही   है  ? क्या देश को ऐसा प्रधानमत्री चाहिए जो देश के लिए कभी भी सांप्रदायिक हो सकते है ?
     इन सभी प्रश्नों के आलावा उनके सामने अनेक ऐसे प्रश्न भी है जिन्हें उनकी खुद की पार्टी ने खड़ा किया है , कई बार लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा भाजपा अभी भी उनके स्वप्नों की पार्टी नहीं है , पार्टी के अन्दर ही कई राजनेता उनके प्रधानमंत्री बनाने का खिलाफ है, और खुद नरेन्द्र मोदी क्या अपने राजनैतिक गुरु लाल कृष्ण आडवानी के होते हुये प्रधानमंत्री बनना चाहेगे !





अभी कुछ समय पहले नरेन्द्र मोदी ने इण्डिया टुडे के एक सम्मलेन में कहा- जनता उन्हें बुला रही है , जनता उनसे कह रही है भारत को भी गुजरात बनाना है !
आखिर ये शब्द उन्होंने सुने कहा से , क्या राजनीती में कल्पनाओं में ही सच्चाई है ? यदि देश की जनता उन्हें बुला रही है तो वो पिछले लोकसभा चुनावो में क्यों नहीं आये !  खैर मामला कुछ भी लेकिन मामला संदिग्ध है ! जिस तरह से उन्होंने जल्दी जल्दी में ही बाबा रामदेव , आर.एस. एस. प्रमुख , भाजपा प्रमुख से नजदीकियां बढ़ने की कोशिश की है इससे तो यही लगता है उन्हें प्रधानमंत्री बनने की बहुत जल्दी है और वो इसके लिए खुद को उम्मीदवार भी घोषित कर चुके है !