''सत्य और साहित्य'' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ )
हम हमेशा इन क्षणों को यद् करेगें !!.Ankur Mishra"yugal"
जब राष्ट्र मंडल खेल शुरू हए थे तब इस संसार के साथ साथ हमने अपनों की टिप्पणियों का वो चेहरा देखा था जिसकी कोई तुलना नहीं हो सकती है,जिसका श्रेय हम किसे दे हमें भी नहीं पता ,उस "लेकिन" और "यदि" में किसका हाथ था पता नहीं ,अब हमें सोच कर करना भी क्या ! अब राष्ट्रमंडल खेल समाप्त हो चुके है! इसमे हमारे जीतने के साथ साथ आज हमारा देश "भारत" विजयी हुआ है !
हमने जो १०१ पदक जीते है, वो हमारे १२५ करोण भारतीयों को गर्व महसूस कराते है, उससे भी बड़े गर्व की बात यह है की आज हमने वो सफल कर दिखाया है जिसकी आलोचना हमने सम्पूर्ण विश्व से झेली है ,हमेशा यहाँ की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगाने वालो को हमने ऐसा "तमाचा" दिया है जो वो शदियों तक ध्यान रखेगा! हमारा देश हमेशा "करने" पर विश्वाश रखता आ रहा है! हमने ऐसा ही राष्ट्रमंडल खेलो में कर दिखाया है ! हमने विदेशी खिलाडियों को सम्पूर्ण सुख-सुविधाए दी है! उन्हें पूरी सुरक्षा दी है, उन्हें उनके घर का वातावरण दिया है ! घुमने की पूरी आजादी दी है ! हमें संवेदनशील बताने वालो ध्यान से सुनो वो दिन दूर नहीं है जब हम "ओलम्पिक" का आयोजन यही "भारत" भूमि पर करेगे और उस समय भी आपकी आलोचनाओ का इंतजार करेगे ! हाँ, हम इन खेलो के पश्चात सूनापन जरुर महसूस कर रहे है ,क्योकि हमारा "शेरा" अब हमारे साथ नहीं है , हमारे खिलाडी अब हमारे साथ नहीं है, हम हमेशा इन स्वर्णिम क्षणों को सजाकर रखेगे !!
हम हमेशा इन क्षणों को यद् करेगें !!!
अर्जुन के साथ सचिन का नया रूप- अंकुर मिश्र "युगल
जब आस्ट्रेलिया और भारत का दूसरा मैच खेला जा रहा था तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा की उसमे क्या होगा और क्या नहीं! यहाँ भारत ने २-० से मैच जीतकर इतिहास तो रच ही डाला ,और इसके साथ- साथ कई यादगार पल भी ऐतिहासिक बना दिए ऐसे पल जो दर्शको के साथ साथ ,खिलाडियों को भी हमेशा यद् रहेगे! क्रिकेट की दुनुया में रिकार्डो के बादशाह सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के भगवन तो है ही ऐसा हम सभी जानते है ,परन्तु हमेशा "नर्वस " ९० का शिकार होने के कारन उनके रिकार्डो की गिनती कुछ अलग सी लग रही थी !जरा सोचिये जिन भी मैच में वे "नर्वस " ९० का शिकार हुए है यदि उनमे उनके शतक होते तो रिकार्डो का नजारा क्या होता ! इनमे कुछ में सचिन की अनियमितता के कारन सफलता नहीं मिली ,और कुछ में उन्होंने "दबाव" में खेला लेकिन जिस तरह से सचिन का शतक यहाँ इस श्रंखला में देखने को मिला वह अत्यंत ही सोचनीय है और कहा जा सकता है अब सचिन पर "दबाव" का असर भी ख़त्म हो गया है !उन्होंने अपना शतक छक्के के साथ करते ही अपने बेटे की मनोकामना पूरी करने के साथ साथ करोणों आलोचकों की आलोचनाओ को भी ख़त्म कर दिया !कहते है कुछ समय पहले सचिन के बेटे अर्जुन ने अपने "पापा" से कहा था की "पापा" अप अपना शतक छक्का मारकर क्यों नहीं पूरा करते तब सचिन ने इस शतक के साथ अपने बेटे को जबाब दिया ,साथ ही अर्जुन ने भारत के गौरव को और गौरंवान्वित होने का नया रूप भी दिया है !!!
सचिन के इस नए रूप को सलाम ,साथ ही अर्जुन को धन्यवाद जिसने इस नए रूप को प्रेरणा दी !!!!
"रोबोट" के साथ एक नए युग की शुरुआत !!!!अंकुर मिश्र "युगल"
आज देश को विकास के लिए जिन महत्वपूर्ण तथ्यों की जरुरत है,उनकी पूर्ति के लिए हमारा "बालीबुड" भी आगे आता नजर आ रहा है !हाल ही में आयी "शंकर जी " के निर्देशन एवं "रजनी कान्त" के अभिनय की फिल्म "रोबोट" के जरिये जो चलचित्र समाज को दिखाया गया है इससे हमें कुछ सोचने पर विवस जरुर होना पड़ता है वो अलग बात है की विश्व के अनेक सिनेमा ऐसी फिल्मो को बहुत पहले से दिखाते आ रहे है ,परन्तु हमारे भारत में ये ऐसी पहेली फिल्म है जिसमे मानव, तकनीक के बारे में जरुर सोचेगा !दशको से चली आ रही बालीबुड जिसने अभी तक अधिकतर "प्यार","मोहब्बत" वाली फिल्मो का ही निर्माण किया है उसने "रोबोट" को बनाकर बालीबुड की नयी नीव राखी है !फिल्म के जरिये जो प्रदर्शन किया गया है वास्तव में सराहनीय है ,"इलेक्ट्रोनिक्स के प्रयोग से अभिनेता जिस तरह एक मानव सामान आकृति को तैयार करता है जो बाद में एक गलत आदमी के हाथ में पहुच जाने के कारन मानव की ही दुश्मन बन जाती है,सोचने के लिए बिबस जरुर करती है ,हमारे छोटे-छोटे बच्चो को फिल्म से बहुत कुछ सिखाने को मिलता है !
मै यह नहीं कह रहा की यह विश्व स्तर बहुत अच्छी फिल्म है, मै तो यह कह रहा हु की यह फिल्म भारत के लिए बहुत ही अच्छी है ,आधुनिकता का सन्देश ,आज पर विज्ञानं की पकड़,विज्ञानं के गलत स्तेमाल का नतीजा एवं भ्रष्टाचार रूपी अभिशाप को फिल्म ने दिखाकर एक मिशाल कायम की है जो शराहनीय है !!!!
सर्वश्रेष्ठ करने का सर्वश्रेष्ठ मौका !! अंकुर मिश्र"युगल"
३ अक्तूबर में प्रवेश करते ही हमारे इतिहास में नया इतिहास जुड़ने को तैयार खड़ा है,आज हम उन खेलो के आयोजन की सुरुआत कर रहे है जो हमरे लिए अदुइतीय है जिसमे १-२ नहीं बल्कि ७१ देशो के लगभग ५००० खिलाडी अपने अपने राष्ट्रों के लिए संघर्ष करेगे !
जब हमें इन खेलो के आयोजन की जिम्मेदारी सौपी गई थी तब से अब तक विश्व के कुछ राष्ट्रों को छोड़कर सम्पूर्ण विश्व ने हमारी निंदा की ,हमारे ऊपर टिप्पणिया की !पर वो शायद भूल गए हम वही "सोने की चिड़िया" वाले हिन्दुस्तानी है जिसने कभी आपका पेट "पला" है ,आपको ज्ञान दिया है ,आपमे सदाचारो का "अंकुरण" किया था ,और आज वो हमसे ही आंख मिलाने की कोशिश कर रहे है !हमारे १९५१ब के खेलो को भूल गए क्या !!
विश्व के वासियों हमारे काम करने के तरीके को समझो हम किसी काम का ढिंढोरा नहीं पीटते हमारे परिणाम हमारे कार्य को सर्वश्रेष्ठ सिध्ध करते है,और बताते है की हम वही अर्यवासी है !
और मै यहाँ यह बताकर ढिंढोरा नहीं पीट रहा बल्कि वास्तविकता बता रहा हूँ ! हमारे "राष्ट्र मंडल" खेल सर्वश्रेष्ठ होगे हमारी सुरक्षा को ढीला समझने वाले राष्ट्रों को पता होना चाहिए हम "शांति" प्रिय है, हमारा पहला हथियार "अहिंसा" है ,परन्तु अब यहाँ जरुरत पड़ी तो हम अपने दूसरे हथियार "हिंसा" का उपयोग हमारी शांति के विनाशको के ऊपर जरुर करेगे !
हम अपने राष्ट्र मंडल खेलो को सर्वश्रेष्ठ बनायेगे, हम १३० करोण भारतीय उन ५००० प्रतिभाओ का उत्साहवर्धन करेगे!हम सब उनके साथ है आज देश में हर नागरिक के अन्दर जोश और जज्बे का जो संग्रह है उससे हम निहाल हो जायेगे !
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