''सत्य और साहित्य'' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ )
अरे हम बंदी किसके थे जो हमें कोई आजाद करेगा हमने तो उन्हें केवल व्यापर के लिए चंद समय और जगह दी थी..
आखिर आ ही गया हमारी स्वतंत्रता का ६४वा वर्ष !
चलिए हम जरा विचार करते है की हमने , हमारे भारत के लिए इन ६४ वर्षों में कितने महान कार्य और कितने सराहनीय कार्य किये है, जिनसे हमारा और हमारे मुल्क का विकाश हुआ है!
जी हा हम कह रहे है अब ६४ वर्ष जो अब बीत चुके है जो बहुत ज्यादा होते है, आजकल तो एक मनुष्य की उम्र भी नहीं होती इतनी ....
फिर भी हम उनसे पीछे क्यों है, क्या हमारे पास संसाधनों की कमी है ,क्या हमारे पास तकनीक की कमी है ,क्या हमारे पास दिमाग की कमी है ,क्या हमारे पास शक्ति की कमी है???नहीं हम किसी में भी काम नहीं है !हम एक अरब से ऊपर है जो महान शक्ति का प्रतीक है ,विश्व के सर्वोच्च कोटि के डॉक्टर ,इन्जीनिअर,प्रयोग्शाश्त्री यही से होते है जो महान दिमाग के उत्पत्ति के सूचक है ,विश्व के महान तकनिकी संस्थानों के नायक भारतीय है जो महान तकनीक का सूचक है जब हमारे पास इतना सब है तो हम उनसे पीछे क्यों है !
और छोडिये आज जिस कम्पूटर पर सारा विश्व चलता है उस कम्पूटर को चलने वाला"शून्य" हमारी ही देन है,इस विश्व को पढना -लिखना किसने सिखाया है -हमने ,तभी तो हम एक समय पर विश्व गुरु थे और आज नहीं है इसका कारण क्या है !!!!!!!
क्या आपको नहीं लगता की केवल हमारे विचारो के कारण ही हम विश्व से पीछे है एक समय पर हम विश्व गुरु थे और आज हम सैकड़ो में भी नहीं आते !
एक समय पर हमारे पास वो अस्त्र - शश्त्र थे की हम पूरी दुनिया को हिला सकते थे और आप अपनों से ही हिल रहे है ! इस दुनिया को हमने ही उस श्रृंखला में लाके खड़ा किया है की वो अपने अधिकारों को ले सके हाँ ये सत्य है की उसने हमें छल से घायल कर दिया था पर यह तो सोचनीय है की ६४ वर्ष में तो अच्छा से अच्छा घाव सही हो जाता है फिर हम तो केवल चोटिल थे अरे आप और छोड़िये अपने पडोसी "जापान" को देखिये वो तो मृत्यु के दरवाजे से निकला था पर आज पूर्ण रूपेण विकसित है हाँ वहा के लोगो में अभी तक घाव है पर उन्होंने अपने देश के घाव को सही कर दिया !
अरे हम उसी को आदर्श बना कर चल सकते है आखिर हमारा अच्चा दोस्त है वो!
वहां भ्रष्टाचार नहीं होता ,वहा के नेता अपने देश का धन दुसरे देशो में जमा नहीं करते ,वहां के नागरिक दुसरे को पतन पर नहीं बल्कि खुद को उन्नति के मार्ग ले जाने का प्रयास करते है ,वहा वर्ष में हजारो चुनाव नहीं होते,अरे वहा हर उस मार्ग को चुनते है जिससे आज के आवश्यक तथ्य "समय और धन" की बचत हो सके और उसका उपयोग अन्य किसी कार्य में कर सके !आखिर ये संभव कैसे है --- केवल और केवल उनके विचारो के कारण उनके विचार उनके देश के साथ है वो देश को सोचकर कोई कदम उठाते है !क्या वो कुछ अलग करते है ,क्या वो खाना नहीं खाते ,क्या वो सोते नहीं है ,क्या वो लड़ते नहीं है ??????
जी नहीं ये सब उनके यहाँ भी होता है अरे ये तो दैनिक जीवन के क्रिया कलाप है सब कोई करता है !!!!!!!! हाँ पर ये तथ्य है की वो केवल इन्ही कारणों से सबसे आगे है क्योकि वो सभी कार्य एक अलग तरीके से करते है ;उनका कार्य को करने का हर तरीका अलग होता है !अद्वितीय होता है!!!!!!!!!!
जी हा ये सब हम भी कर सकते है और सारे तरीके हमारे पास भी है क्योकि हमारे पूर्वजो से ही इन्होने लिए है.....लेकिन आज समस्या यही है की अह हम खुद को भूल चुके है और इसी का परिणाम हमारा देश और हम भुगत रहे है ,और हमी कहते है हम आजाद नहीं है """अरे हम बंदी किसके थे जो हमें कोई आजाद करेगा हमने तो उन्हें केवल व्यापर के लिए चंद समय और जगह दी थी पर ये "सत्य" है की हमारे विचारो को कुलीन इसी समय ने किया है !!!!!!
हाँ यदि हमने अभी से ही अपने विचारो पर विचार करना सुरु कर दिया तो विश्व की कोई ताकत हमसे आँगे नहीं हो सकती....
अभी इतने भी प्रागैतिहासिक मत बनो यारो की कल के बलिदानों को ही भूल जाओ ......
अभी इतने भी प्रागैतिहासिक मत बनो यारो की कल के बलिदानों को ही भूल जाओ ,अरे काम से काम उन्हें तो याद कर लो जिनके कारण आज तुम खुले असमान के नीचे खेल रहे हो !!!!!!!!!!!!!!!!!
....बैलेंटियन दिवस ,मैत्री दिवस य और कोई ऐसा ही दिन होता है तो भारत के महान निवासी एक-दुसरे को बढ़िया देने में जुट जाते ,वो भी एक-दो दिन पहले नहीं बल्कि पंद्रह बीस दिन पहले से !जी हा यही कार्यकलाप है हमारा !!!!!!!
हम बात कर रहे है हमारे स्वतंत्र भारत की वर्षगांठ की जिसके मात्र ५-६ दिन शेष है उसकी किसी को चिंता नहीं है ,लोग सोचते है आने दो उस दिन झंडा लहरा लेगे ,लोगो से पुराना इतिहास सुन लेगे,लालकिला पर प्रधानमंत्री का भाषण सुन लेगे बस हो गया १५ अगस्त लेकिन हमारी महान हस्तियों जरा ये भी तो सोचो की इस १५ - अगस्त को मानाने के लिए हमें कितनी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ी है क्या यही कठिनाइया आपके बैलेंतियन दिवस य मैत्री दिवस को मानाने के लिए झेलनी पड़ी है ,मई बताता हु जी नहीं !!! इन सब दिवसों के कारणों पर जायेगे तो पता चलेगा की कोई दिवस इस्सलिये मनाया जाता है की इसनइ इसको शादी के लिए आमंत्रित किया था ,जैसा की आज भी करते है !!
किसी दुसरे दिवस पर जायेगे तो पता चलेगा की वो इस दिन समुद्र में कूड़ा था ,जैसा आज भी होता है ,, रहा होगा कोई कारन.........
किसी अगले पर जाते है तो पता चलेगा की इस दिन उसका लड़का पैदा हुआ था जैसा की आज भी होता है !!
तो फिर आज क्यों नहीं सुरु कर देते इन दिनों को धूम धाम से मानना ....
मनाओ हम ये भी नहीं कहते है की अप इन्हें बिलकुल ही मत मनाओ बल्कि हम तो यह कह रहे है की अरे जिसे मानाने के लिए हमने 350 साल लड़ाई लड़ी है पहले उसे याद करो ...अरे ये दिन न होता तो जो अप आज मन रहे हो न वो सब धरा का धरा रह जाता ..
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