''सत्य और साहित्य'' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ )
आज ''सेना'' नहीं ''जज्बा'' बढ़ाने कि जरुरत है! अंकुर मिश्र ''युगल''
आज मुंबई हमले को एक साल होने को है ,उसका भयावह चित्रण आज भी मस्तिष्क को चकित कर देता है, लेकिन हमारा शासन आज भी चकित नहीं है ! हम वह भयावह चित्रण भुला नहीं सकते जिसमे लगभग २०० भारतीयों की जान गई थी और हमारी औद्योगिक नगरी के तमाम होटलों पर कहर बरसा था और उस समय हमारी सरकार की तरफ से सफाई आ रही थी की हमारे पाश सही हथियार नहीं थे, हमारे पास N.S.G. कमांडो की कमी थी ,इस हमले के बाद सरकार और प्रशासन दोनों अपने को छुपाने की कोशिस कर रही थी हमारा खुफिया तंत्र आखिर किस काम के लिए है हम सुरक्षा के नाम पर इतना धन क्यों खर्च करते है कि ''डेविड हेडली'',''तह्ब्बुर राणा'' जैसे आतंकवादी मुंबई आते है और हमें पता भी चलता है !हमारी सुरक्षा विध्वंश से होती जा रही है !
हमें यदि आतंकवाद जैसे 'नासूर' को ख़त्म करना है तो अपने आप में जज्बा का 'अंकुरण' करना होगा !पुलिस को खाकी वर्दी में रहकर डंडा चलाने या एक ख़ुफ़िया अधिकारी बनाने से इस नासूर का खात्मा असंम्भव है ! आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए हमें खुद आगे बढ़ाना होगा ,,,वर्ना २६/११ जैसे हमले हमारे लिए एक छोटी घटना बन के रह जाएगी और देश में आतंकवाद का एकछत्र स्वराज्य स्थापित हो जायेगा!
अंत में उन शहीदों को नमन जिन्होंने हमारे लिए अपनी एक भी चिंता न कि और शहीदों कि स्वर्णिक श्रेणी में शामिल होने का गौरव हासिल किया! वो छोटे थे या बड़े,, हमें पता नहीं है पर वो महान थे ,महान थे महान थे !!!!!!!!!!!!!!!!!!
कवि !तुने यों गाया तो क्या ,....ankur mishra
कवि !तुने यों गाया तो क्या ,
जग बंधन से यों बंधा रहा ,
''अंकुरित'' कली जब खिल उठी,
युग-युग से से झस्न्कृत स्वालहरी,
अपने तारो से मिल न सकी!!!!!!!!
चांदनी चाँद की रात रात भर
हंसती रही मुस्कराती है
बेशक मतवाली लहरों में
चमकीली मस्ती आती है!!!!!!!!!!!!!!
पर प्रर्थ नहीं इसका
प्रियवर! यह सरे जग को भाता है
अरे प्रोषिता तप्त ह्रदय
अव्व्मी जलवा चिल्लाता है
प्रति प्रातः पदेश!!!!! ........
श्रमी रवि मुश्काराया तो क्या
कवि! तुने यों गया तो क्या गाया!!!!
''विश्व शांति'' में कितने सफल है राष्ट्रों के ''महानायक'' ---अंकुर मिश्र''युगल''
सदिया बिताती चली जा रही है ,लोग अपनोंको लगातार खोते चले जा रहे है , खाने के लिए हो या पीने के लिए, रहने के लिए हो या जाने के लिए लोग आपस में ही टकराने को तैयार हो जाते है लोग संभल भी जाये पर कुछ अपवाद शांति को समझते ही नहीं है इन्ही अपवादों को आज आतंकवादियो का नाम दे दिया है कहते है आतंकवादी जिहाद के लिए लढते है लेकिन जिहाद भी शांति का पथ पढ़ाता है क्या उन मझभियो को नहीं पता ,क्या वो अपने धर्म्ग्रथ नहीं पढ़ते है kya उनके परिवार में माँ, बहन,पिता,भाई, नहीं होते क्या उन्हें उनकी किल्कारिया कभी सुनाई नहीं देती ! आखिर उनकी सोच क्या है ,वो चाहते क्या है!विश्व व स्वयं का विधवंस ही उनका उद्देश्य है क्या !ये तो अखीवाही जन सकते है !
मै तो उनसे आज तक मिला नहीं मिलना जरुर चाहता हु मै जानना चाहता हु की उनकी सोच क्या है आखिर ऐसी क्या महत्वाकांक्षा है जो वो पूरी करना चाहते है !
पं. जवाहरलाल नेहरु ने विश्व शांति के जो स्वप्न देखे तो वो आज की तारीख में पुरे होते नहीं दिख रहे है !ओबामा व मनमोहन सर की दोस्ती इसमे क्या परिवर्तन ला सकती है वो हम प्रत्यक्ष देख ही रहे है !
''परमाणु'' मुक्त विश्व के स्वप्न आज देखना निरर्थक है ! यदि आज हम स्वयं को परमाणु मुक्त बना भी ले तो हम सुखी नहीं रह सकते है!
हजारो परमाणु बम वाले विश्व में हम ''शांति'' जैसे शब्द को निरर्थक ही विध्वंशक बनाये दे रहे है! हर देश कहता है की वो परमाणु बम अपनी सुरक्षा के लिए बना रहा है ! पर बिना परमाणु बम के भी सुरक्षा हो सकती है !हम सोचते क्यों नहीं है की आज की परमाणु शक्ति को सोचकर ही लोग भयभीत हो जाते है ! वो बच्चा जो पैदा होते ही सोचने लगता है की अब जिस दिन भी किन्ही दो वर्गों में युध्ध शुरू उस दिन हम विशावयुध्ध का रूप धारण कर हमारा विनाश अवश्य कर देगा !
उस बच्चे की पुकार तो सुनिए , विश्व को उसकी जरुरत है और विश्व को उसकी जरुरत है !कृपया विश्व को शांति का उपाशक बनाइयेऔर इसकी सुरुत करने के लिए आपको विश्व भ्रमण की जरुरत नहीं है इसको अप अपने घर में सुरु करके भी परिणाम को विश्वस्तरीय बना सकते हैं!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
सचिन तुझे सलाम ----अंकुर मिश्र’’युगल’’
आखिर एक रिकॉर्ड और रच ही डाला !
जब मेरा जन्म हुआ था तब आपने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा था और मै आज २० साल का हो गया हु और अभी tak अपने क्रिकेट का साथ वखुबी निभाया है ! यद्यपि कपिल सर द्वारा १९८३ विश्व कप दिलाने के कारन क्रिकेट हमारे बिच काफी लोकप्रिय हो चुका था !
1989 में सचिन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकट में कदम रखे और लगातार सफलता चुमते हुए देश को चमत्कार दिए
आपकी खेल व राष्ट्रभावना से देश का हर नागरिक प्रभावित है!
मैंने उनके लभभग सभी मैच देखे होगे जिसमे मुझे उनकी सर्व्स्रेस्था पारी नवम्बर २००९ की आस्ट्रेलिया के खिलाफ लगी इस पारी में वही सचिन दिख रहे थे जो १९९९ के विश्व कप में थे ! जबकि सचिन पाक. के खिलाफ १९९९ की पारी को सर्वश्रेष्ठ मानते है ! उनकी तो लभभग हर पारी बेमिशाल है और हमारे लिए वो हर पारी में कुछ न कुछ स्मरणीय छोड़ जाते है !
उनका खुद का मानना है की ''उतर- चढव तो चलते रहते है लेकिन जो उनकी शिकायत में जिंदगी व्यतीत करते है वह कभी भी सफल नहीं हो पते है ! उन्हें (सचिन) को आज तक खुद से कोई शिकायत नहीं है, और न ही आलोचकों की परवाह करते है कहते है मेरे खे का प्रमुख श्री मेरे आलोचकों को जाता है !
वास्तविक सचिन खेल की दुनिया के ही नहीं बल्कि सांसारिक दुनिया में भी महान है आपकी सोच और आपका खेल हर भारतीय को खुश कर देती है!
हम एक अरब भारतीय कामना करते है की एपी रिकार्डो का ऐसा रिकॉर्ड बनाये जो क्रिकेट की दुनिया हमेशा केवल सोचती ही रही !
आप इसी प्रकार हमें अपना क्रिकेट रूपी उपहार देते रहे ! आप ईसी तरह हजारो साल क्रिकेट खेलते रहे !
आपके समर्पण को सलाम ...............................................................................
Sachin Tendulkar Biography ................
Welcome to Sachin Tendulkar biography section of Sachin-Tendulkar.co.in. Sachin Tendulkar biography is so impressive that anyone can get inspired from it. When 16 years old Sachin entered the world of cricket against Pakistan, experts said a lot of things about Sachin Tendulkar height, but tallest of the bowlers have proven short in front of Sachin Tendulkar height. Although Sachin Tendulkar height is 5ft 5 inch but bowlers like Courtney Walsh, Curtley Ambrose and Tom Moody, who are some of the tallest bowlers in Sachin’s era, have received thrashing from Sachin’s heavy bat. With time, Sachin Tendulkar height and stature in world cricket has become tallest.
Sachin Tendulkar profile : If you talk about Sachin Tendulkar profile, he has done everything to make his profile just the perfect one. If any cricketer in the world can include even 1% of ingredients of Sachin Tendulkar profile in his approach towards Cricket, he’ll be a good player, if not great. A short Sachin Tendulkar profile includes following details of Sachin Tendulkar.
Full name: Sachin Ramesh Tendulkar
Father’s name : Ramesh Tendulkar
Mother’s name : Rajni Tendulkar
Sachin Tendulkar birthday : April 24, 1973 , Bombay (now Mumbai)
Current age 36 years 150 days (as on 21 Sep 2009 )
Major teams: India , Asia XI, Mumbai, Mumbai Indians, Yorkshire
Nickname: Tendlya, Little Master, Master Blaster
Batting style: Right-hand bat
Bowling style : Right-arm offbreak, Legbreak googly
Sachin Tendulkar height : 5 ft 5 in
Education: Sharadashram Vidyamandir School
People in India want to know complete Sachin Tendulkar biography. When anyone goes through Sachin Tendulkar profile or Sachin Tendulkar biography, he comes to know how a young boy from Mumbai rose to the height of popularity in the world of Cricket. Sachin Tendulkar height may not be that big, but his stature is the biggest in the Cricketing world. This website puts a full-stop on your search for Sachin Tendulkar biography.
A bit more on Sachin Tendulkar profile: Sachin Tendulkar is considered one of the complete batsmen ever. He has all the shots in the book. Also, he is unarguably the biggest crowd puller and icon of the game. Even, all time great Late Sir Don Bradman told his wife that Sachin reminded him of himself. Few people know that Sachin actually wanted to become a fast bowler, but legendary pacer Denis Lillee turned away Sachin from MRF Pace Academy , based in Chennai. Debuted at the age of 16, a glimpse of greatness was seen by another Indian great Kapil Dev, when he continued to bat with a blood soaked shirt, as he was hit by a Waqar Younis bouncer in his debut match. He even had 16 international Hundreds before the age of 25. In 2008, he passed Brian Lara as the leading Test runs scorer and the first bastman to score 12,000 runs. There were times in Indian households, when Sachin Tendulkar used to get out, people used to turn off their Television sets.
Sachin Tendulkar birthday is on April 24. In India , Sachin Tendulkar birthday is like a festival among cricket lovers. India is already a cricket crazy country and thus, Sachin Tendulkar birthday is celebrated like a festival. Millions of fan mails and wishes are received by Sachin Tendulkar every year on Sachin Tendulkar birthday. We even wonder, whether there would be a national holiday on Sachin Tendulkar birthday, after he retires from Cricket.
A Shost Biography of Chacha ji..By ankur mishra''yugal''
Pt.Jawaharlal Nehru Personal Details|Biography|Children’s Day Jawaharlal Nehru was the first and also long serving prime minister of India[From 1947 to 1964].He is also referred as Pandit Nehru ("pandit" means "scholar","teacher" in Sanskrit).
Nehru is the son of a Motilal Nehru who was a barrister and politician.Nehru at an young age became the leader of the left wing of the Indian National Congress Party.After the independence,Nehru was recognized as Gandhi's political heir.
Nehru got the first chance to raise the flag of Independent India on 15 August 1947.Nehru was born on 14 November 1889 which was now celebrated as Children's Day.His daughter Indira Gandhi and Grandson Rajiv Gandhi also served as Prime Ministers of India.Nehru died in the early hours of 27 May 1964 of Heart Attack.His birthday,14 November,is celebrated as Children's Day in recognition of his lifelong passion and work for the welfare,education and development of children and young people. Children across India remember him as Chacha Nehru (Uncle Nehru).
Jawaharlal Nehru's Personal Profile
Name : Jawaharlal Nehru
Father : Motilal Nehru [Wealthy Barrister and politician]
Mother : Swarup Rani [Married on February 8,1916]
Sisters : Vijaya Lakshmi and Krishna
Wife : Kamala Nehru [Kamala Kaul - Died in 1936 of Tuberculosis]
Children : Indira Gandhi [Indira Priyadarshini]
Education : Trinity College,Cambridge
Profession : Barrister & Politician
Gotra : Kaul
Born On : 14 November 1889
Expired : 27 May 1964
हर क्षण हर पल कितना अहम हुआ विज्ञान ! ---अंकुर मिश्र ''युगल''
हर क्षण हर पल कितना अहम हुआ विज्ञान !
चाँद सितारों को छू लेना अब बिलकुल आसान !
नै क्रांति पैदा कर दी है धरती पर विज्ञान ने !
नए-नए सोपान सृजन के रच डाले इन्सान ने !
हुआ असंभव भी अब संभव है इसका हर प्रयोग है !
सपनो को साकार करेगी इसकी ''अंकुरित'' उडान !
..............हर क्षण हर पल कितना अहम हुआ विज्ञान.....
श्रम और समय बचा देता है प्रगति पथ का नायक है !
शांति सुरक्षा और सम्रिथ्थी में भी बहुत सहायक है !
अब तो यह वरदान हो गया उन्नति की पहचान है !
वैज्ञानिक पध्दती अपना कर खुश है आज हर किसान !
.............हर क्षण हर पल कितना अहम हुआ विज्ञान........
विकसित हो विज्ञान मगर मानव हित सर्वोपरि हो !
क्या प्राणी क्या जीवजन्तु जड़ चेतन को हितकर हो !
कठिनाई का समाधान हो ऐसा बस ऐसा विज्ञान हो !
इसके हर संभव से बन जाये अपना देश ''महान''!
.............हर क्षण हर पल कितना अहम हुआ विज्ञान........
अंकुर मिश्र ''युगल''
'' मुझे इतना तो न मरो --राष्ट्रभाषा हिन्दी''........अंकुर मिश्र 'युगल'
''आज मै इस तरह से अपने ही घर में लज्जित हो रही हो की किसी के सामने अपने दर्द का व्याख्यान भी नहीं कर सकती !पहले तो मुझे इस बात का कष्ट रहता था की आतंकवाद, नक्सलवाद अदि मेरी माता को लगातार कष्ट दे रहे है, लेकिन उस दर्द का एहसास मुझे नहीं होता था ! अज जब लोग मुझे ही मारने लगे तो मुझे लगा की देश पर आज वास्तविक खतरा मधरा रहा है !और उस कष्ट की अनुभूति हुई जो मेरी मातृभूमि सदियों से सह रही थी ! जब श्री अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में मेरे दर्शन सम्पूर्ण विश्व को कराये थे तो मुझे लग रहा था की मै भी अब इस सखा की सदस्य बन जाउगी !
लेकिन आज की इस व्यस्ततम दुनिया में मुझे नहीं लगता की मेरा वह सपना कोई पूरा कर पायेगा !जो करने वाला था वो असमर्थ हो गया है और जिसको सौपा गया था उसने मेरा विनाश करने की ठान रखी है! मुझे आज मेरी जन्मभूमि में ही कोई सरन देने वाला नहीं है कोई नहीं है जो मेरी दुःख भरी किलकारियों को कोई सुन सके !सब के सब मुझे कष्ट देने में लगे है.....................................................
महाराष्ट्र विधान सभा में मेरी बेइज्जती को सभी ने ख़ुशी ख़ुशी सह लिया ! किसी महान व्यक्तित्व ने मेरी पुरानी छवि को दोबारा वापस दिलाने का सहस किया था लेकिन मेरे ही भाइयो और उपासको ने उस व्यक्तित्व को ऐसा करने का दंड दे डाला !
आखिर इनकी क्या इच्छाए है जो ये मेरी बलि चढा कर पाना चाहते है !यदि ये मेरी वजह से कष्ट में है तो मुझसे कह दे तो मै अपने भाइयो,माताओ, गुरुओ,और देश्वशियो के लिए अपना भी बलिदान कर दुगीं ! lekin मुझे ऐसा भारत चाहिए जो विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र हो जिश्मे तनिक भी बधाये न हो !
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"घोर कलयुग का सामना करती राष्ट्रभाषा के विचार"
प्रस्तुतकर्ता-- अंकुर मिश्र ''युगल''
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पत्रकारिता की ''परिभाषा'' थी 'श्री प्रभाष जोशी जी' ..................अंकुर मिश्र ''युगल ''
हैदराबाद का भारत -आस्ट्रेलिया एकदिवशीय क्रिकेट मैच हम सबने देखा होगा ! उसके मनोरंजक पालो का आनंद भी लाभागाब सबने लिए ही होगा , लेकिन अंततः मैच मेंहमारी हार हमारे लिए शर्मनाक थी , जो की एक वास्तविक भारतीय नागरिक को सदमा दे गयी जो इस विजय मैच की पराजय स्वीकार न कर सके!जी हाँ यह वास्तविक भारतीयता की पहचान है जो वरिष्ठ पत्रकार ''श्री प्रभाष जोशी जी '' जी के अंडार थी !मई उनके बारे में कुछ ज्यादा नहीं जनता हूँ ,न ही उनसे आज तक किसी प्रकार की वार्ता हुई है , लेकिन मैंने उनके बारे में समाचार पत्रों में पढ़ा है !पत्रकारिता की दुनिया के बेताज बादशाह और मेरे आदर्श है वो !वो कभी भी व्याक्ति विशेष पर टिपण्णी न कर के एक व्यापक पाठकगण पर लिखते थे!उनका कहना था की पत्रकारिता में स्पष्ठ पक्ष लेना चाहिय ! किसी विषय पर लिखते हुए पहले दिमाग में साफ होना चाहिए की हमारा स्टैंड क्या है ? वे असाधारण कॉपी एडिटर थे ख़राब से ख़राब कॉपी को शुधर कर शानदार बना सकते थे , वे पलक झपटे ही हेडिंग शुझा सकते थे ! वे प्रत्येक क्षेत्र में लेख लिखने में सखम थे ! उनके दिमाग में नए ज़माने के नए अख़बारों की योजनाये चलती रहती थी !वो ऐसे पत्रकार की कल्पना करते थे ,जो एक आयामी न हो ,बल्कि संपूर्ण पत्रकार हो ,जैसे की वो खुद थे !महानता के बावजूद वो सरल स्वाभाव के नहीं थे ,वो काफी जटिल और टेढ़े थे !वो यह बात जानते थे और इसे बदलना भी नहीं चाहते थे !उनका मानना था की मनुष्य को अपने सिद्धांतों और स्वाभाव के साथ समझोता नहीं करना चाहिए अंतसमय में वो आज कल की पत्रकारिता से काफी विचलित थे और उस पर हमेशा टिपण्णी करते रहते थे !और इन्ही विचारों के साथ उनका ............. स्वर्गवास हो गया !हमे चाहिए की उनके स्वप्नों और विचारों को हम पूरा करें !पत्रकारिता को हम उस मुकाम पर ले जाए जहाँ की उन्होंने कल्पना की थी!हमारे द्वारा उस महान पत्रकार को यही वास्तविक श्रद्धांजली हो सकती है!
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