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क्या शम्भू अपने घर वालो से मिल पायेगा, क्या शम्भू बैंक में पैसे जमा कर पायेगा ?

दीवाली की ही बात है, जब शम्भू शहर गया था! घर में पूजा के लिए कुछ नए बर्तन, गणेश-लक्ष्मी की मूर्ती, कुछ मिठाई लाया था!
उसी वक्त उसने दीवाली पूजा के लिए बैंक से पैसे भी निकल लिए थे !  उसके के चाचा की लड़की की शादी भी है, नवम्बर के आखिरी हफ्ते में, काफी कपडे लेने पड़ेगे, तैयारियाँ करनी होगी और चाचा की भी सहायता करनी पड़ सकती है, इन सब बातो को सोचते हुए उसने करीब तीस हजार रुपये निकाल लिए
शम्भू: .....काफी होंगे इतने या और निकालू, चलो देखता हूँ अभी तीस हजार काफी ही होंगे, जरूरत पड़ेगी तो किसी से ले लूंगा और मकर संक्रांति में जब शहर आऊंगा तो दोबारा निकाल लूंगा ! अभी वैसे भी पांच हजार रुपये ही बचे है !...
मन ही मन शम्भू कुछ देर सोचता रहा और उसने तीस हजार रुपये निकाल लिए ! ख़ुशी से साइकल में सामान लादकर गॉंव को निकल गया ! घर पहुचते हुए काफी देर हो गयी ! 
वक्त गुजरा, दीवाली ख़ुशी से गुजर गयी!
अब शादी का इंतजार था, तैयारियां शुरू हो गयी ! 
शम्भू टीवी और समाचार से थोड़ा दूर रहता है, गाँव के लगभग सभी लोग अपने काम के व्यस्त रहते है !  देश में क्या चल रहा है , इन लोगो को देर से पता चलता है !
शम्भू  दूसरे हफ्ते में अपने परिवार के साथ पास वाले कस्बे में गया, वहां बस कुछ दुकाने थी, सबने कई दुकानों में कपड़े देखे और फिर एक जगह पसंद आ गए !
शम्भू: सभी कपड़ो के सही-सही दाम लगाओ, और इन्हें झोले में डाल दो!
दूकानदार पैसे जोड़ने लगा, और कपडे तह करके रखने लगा !
दूकानदार: ४४५० रुपये हुए !
शम्भू: ज्यादा है सही रेट लगाओ !
और काफी बहस के बाद ४००० में सौदा पक्का कर दिया गया !
शम्भू ने दूकानदार को चार , हजार-हजार के नए नोट दिए जो उसने दीवाली के वक्त निकाले थे !
दुकानदार: हँसते हुए, साहब क्यों मजाक करते हो? ४००० रुपये दो न !
शम्भू: चार हजार ही तो है !
दुकानदार: साहब, तफरी मत करो चार हजार दो !
शम्भू सुकपुकाते हुए, चार हजार है तो, हजार हजार के चार नोट है ये लो !
इस बार दुकानदार गुस्से में आ गया, सामान लेने आये हो या मजाक करने, चुपचाप चार हजार रुपये दो वार्ना जाओ यहाँ से !
एक बुजुर्ग समझदार सा व्यक्ति इन सबकी बहस दुकान के बाहर से सुन रहा था, कुछ सोचते हुए उसने शम्भू से कहा, ये नोट बंद हो गए है, सरकार ने ५००  और  १००० के नॉट बंद कर दिए है !
शम्भू घबराते हुए बोला : क्या ? कब ?कैसे ?
ऐसे कैसे बंद कर दिए है, पागल हो गए है सब लोग क्या यहाँ ?
... अभी एक हफ्ते पहले ही निकाले है बैंक से, ऐसे कैसे बंद कर दिए है ?
तुम्हे कपड़े नहीं देने मत दो तुम नहीं दोगे, तो कोई नहीं देगा क्या, हम कहीं और से ले लेंगे। चिल्लाते हुए शम्भू ने अपने परिवार को वहाँ से लेकर दूसरी में चलने को कहा !
तभी उस समझदार व्यक्ति ने शम्भू को शांत करते हुए समझाया-
हाँ ये नोट सच में बंद हो गए है !
मगर तुम इन्हें बैंक में जाकर जमा कर सकते हो, और नए नोट बैंक से निकाल सकते हो !
आस पास वाले लोगो ने भी शम्भू को समझाया!
शाम हो चुकी थी, शम्भू अपने परिवार और साइकल के साथ गाँव वापस आ गया !
अगले दिन सुबह उठकर शहर को निकल गया, करीब १२ बजे शहर पहुंचा ! बैंक में लोगो की लंबी लाइन थी! शम्भू भी लाइन में करीब ३०० लोगो के पीछे खड़ा हो गया ! ५ घंटे में बैंक बंद हो गयी करीब २०० लोगो के ही पैसे जमा हो पाए ! शम्भू यह सोचकर गांव को वापस निकल गया की कल सुबह जल्दी आ जाऊंगा और लाइन में लग जाऊंगा मगर अगले दिन लाइन और लंबी थी करीब ४०० लोग शम्भू के आगे थे !
क्या करे बेचारे लोग आस पास के गाँवो में  एक ही बैंक है !
फ़ी से ऐसा ही हुआ करीब ३०० शम्भू के आगे वाले लोगो के पैसे ही जमा हो पाए !
अब आज शम्भू ने निर्णय किया की यहीं खुले आसमान में, बैंक के बाहर रात बिताएगा ताकि सुबह जल्दी नंबर आ सके! 
शम्भू ने यह निर्णय ले तो लिया, मगर उसके पास कुछ खाने को नहीं था और सुबह घर से खाना खाने के बाद कुछ नहीं खाया था इसलिए भूख भी लगी थी, उसने निर्णय किया की किसी ढाबे में जाकर खा लेगा !
पास के ढाबे में जाकर बैठ गया, मगर तभी ध्यान आया की उसके पास तो १००० का नोट है जो चलेगा नहीं !
रात भर बिना खाना, रहने पर शम्भू के हालात और तबियत ख़राब हो गयी ! सुबह लाइन में खड़े लोगो ने शम्भू  को सरकारी अस्पताल पहुचाया, वहीं उसका इलाज हो रहा है ! शम्भू के घर वालो को अभी तक नहीं पता शम्भू कहाँ है !



प्रश्न ये है - 
क्या शम्भू अपने घर वालो से मिल पायेगा ?
क्या शम्भू बैंक में पैसे जमा कर पायेगा ?
क्या शम्भू को नए नोट मिल पाएंगे?
क्या शम्भू  परिवार वाले नए कपडे और सामान ले पाएंगे?
क्या शम्भू शादी में शाम्मलित हो पायेगा?
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इत्यादि !!!!