''सत्य और साहित्य'' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ )
''विश्व शांति'' में कितने सफल है राष्ट्रों के ''महानायक'' ---अंकुर मिश्र''युगल''
सदिया बिताती चली जा रही है ,लोग अपनोंको लगातार खोते चले जा रहे है , खाने के लिए हो या पीने के लिए, रहने के लिए हो या जाने के लिए लोग आपस में ही टकराने को तैयार हो जाते है लोग संभल भी जाये पर कुछ अपवाद शांति को समझते ही नहीं है इन्ही अपवादों को आज आतंकवादियो का नाम दे दिया है कहते है आतंकवादी जिहाद के लिए लढते है लेकिन जिहाद भी शांति का पथ पढ़ाता है क्या उन मझभियो को नहीं पता ,क्या वो अपने धर्म्ग्रथ नहीं पढ़ते है kya उनके परिवार में माँ, बहन,पिता,भाई, नहीं होते क्या उन्हें उनकी किल्कारिया कभी सुनाई नहीं देती ! आखिर उनकी सोच क्या है ,वो चाहते क्या है!विश्व व स्वयं का विधवंस ही उनका उद्देश्य है क्या !ये तो अखीवाही जन सकते है !
मै तो उनसे आज तक मिला नहीं मिलना जरुर चाहता हु मै जानना चाहता हु की उनकी सोच क्या है आखिर ऐसी क्या महत्वाकांक्षा है जो वो पूरी करना चाहते है !
पं. जवाहरलाल नेहरु ने विश्व शांति के जो स्वप्न देखे तो वो आज की तारीख में पुरे होते नहीं दिख रहे है !ओबामा व मनमोहन सर की दोस्ती इसमे क्या परिवर्तन ला सकती है वो हम प्रत्यक्ष देख ही रहे है !
''परमाणु'' मुक्त विश्व के स्वप्न आज देखना निरर्थक है ! यदि आज हम स्वयं को परमाणु मुक्त बना भी ले तो हम सुखी नहीं रह सकते है!
हजारो परमाणु बम वाले विश्व में हम ''शांति'' जैसे शब्द को निरर्थक ही विध्वंशक बनाये दे रहे है! हर देश कहता है की वो परमाणु बम अपनी सुरक्षा के लिए बना रहा है ! पर बिना परमाणु बम के भी सुरक्षा हो सकती है !हम सोचते क्यों नहीं है की आज की परमाणु शक्ति को सोचकर ही लोग भयभीत हो जाते है ! वो बच्चा जो पैदा होते ही सोचने लगता है की अब जिस दिन भी किन्ही दो वर्गों में युध्ध शुरू उस दिन हम विशावयुध्ध का रूप धारण कर हमारा विनाश अवश्य कर देगा !
उस बच्चे की पुकार तो सुनिए , विश्व को उसकी जरुरत है और विश्व को उसकी जरुरत है !कृपया विश्व को शांति का उपाशक बनाइयेऔर इसकी सुरुत करने के लिए आपको विश्व भ्रमण की जरुरत नहीं है इसको अप अपने घर में सुरु करके भी परिणाम को विश्वस्तरीय बना सकते हैं!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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