''सत्य और साहित्य'' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ )
सचिन तुझे सलाम ----अंकुर मिश्र’’युगल’’
आखिर एक रिकॉर्ड और रच ही डाला !
जब मेरा जन्म हुआ था तब आपने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा था और मै आज २० साल का हो गया हु और अभी tak अपने क्रिकेट का साथ वखुबी निभाया है ! यद्यपि कपिल सर द्वारा १९८३ विश्व कप दिलाने के कारन क्रिकेट हमारे बिच काफी लोकप्रिय हो चुका था !
1989 में सचिन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकट में कदम रखे और लगातार सफलता चुमते हुए देश को चमत्कार दिए
आपकी खेल व राष्ट्रभावना से देश का हर नागरिक प्रभावित है!
मैंने उनके लभभग सभी मैच देखे होगे जिसमे मुझे उनकी सर्व्स्रेस्था पारी नवम्बर २००९ की आस्ट्रेलिया के खिलाफ लगी इस पारी में वही सचिन दिख रहे थे जो १९९९ के विश्व कप में थे ! जबकि सचिन पाक. के खिलाफ १९९९ की पारी को सर्वश्रेष्ठ मानते है ! उनकी तो लभभग हर पारी बेमिशाल है और हमारे लिए वो हर पारी में कुछ न कुछ स्मरणीय छोड़ जाते है !
उनका खुद का मानना है की ''उतर- चढव तो चलते रहते है लेकिन जो उनकी शिकायत में जिंदगी व्यतीत करते है वह कभी भी सफल नहीं हो पते है ! उन्हें (सचिन) को आज तक खुद से कोई शिकायत नहीं है, और न ही आलोचकों की परवाह करते है कहते है मेरे खे का प्रमुख श्री मेरे आलोचकों को जाता है !
वास्तविक सचिन खेल की दुनिया के ही नहीं बल्कि सांसारिक दुनिया में भी महान है आपकी सोच और आपका खेल हर भारतीय को खुश कर देती है!
हम एक अरब भारतीय कामना करते है की एपी रिकार्डो का ऐसा रिकॉर्ड बनाये जो क्रिकेट की दुनिया हमेशा केवल सोचती ही रही !
आप इसी प्रकार हमें अपना क्रिकेट रूपी उपहार देते रहे ! आप ईसी तरह हजारो साल क्रिकेट खेलते रहे !
आपके समर्पण को सलाम ...............................................................................
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